आयुर्वेद में यदि कोई वर्ग है जो बनाने में सब से आसान है, तो वह आयुर्वेदिक चूर्ण वर्ग ही है.
आयुर्वेदिक चूर्ण बनाने की विधि बड़ी ही आसान है.
Ayurvedic churnas बनाने के लिए, बूटियों व अन्य सामग्री को इकठ्ठा कर पीस लीजिये; लीजिये चूर्ण तैयार हो गया.
यदि आप कुछ मुख्य आयुर्वेदिक चूर्ण के गुणों से वाकिफ हो जाएँ, यकीन मानिए, आपको हर छोटी मोटी स्वास्थ्य समस्या के लिये भागना नहीं पड़ेगा.
आयुर्वेदिक चूर्ण – औषधि का सरल रूप
पेट की समस्या हो, खांसी हो, जुकाम हो या फिर महिला विशेष रोग, आयुर्वेदिक चूर्ण लगभग हर रोग के लिए उपलब्ध हैं.
कुछ आयुर्वेदिक चूर्ण ताकत बढ़ाने, दौर्बल्य निवारण के काम भी आते हैं.
जानिये, एक ऐसी आयुर्वेदिक चूर्ण लिस्ट के बारे में, जिससे हम कई स्वास्थ्य समस्याओं का निदान कर सकते हैं.
1. अविपत्तिकर चूर्ण
अम्लपित्त (Acidity) की नायाब दवा। इसे हाजमे का चूर्ण भी कहा जाता है.
अमाशय की जलन, खट्टी डकारें, कब्जियत आदि पित्त रोगों के सभी उपद्रव इससे शांत होते हैं।
मात्रा 3 से 6 ग्राम.
अविपत्तिकर चूर्ण लेने का समय : भोजन के साथ या बाद में।
2. आयुर्वेदिक सितोपलादि चूर्ण
श्वास, खांसी, शारीरिक क्षीणता, अरुचि, जीभ की शून्यता, पुराना बुखार, भूख न लगना, हाथ-पैर की जलन, नाक व मुंह से खून आना, क्षय आदि रोगों की प्रसिद्ध दवा।
सितोपलादि चूर्ण कैसे ले ?
इसमें समभाग शहद मिला लें और एक चौथाई से आधा चम्मच चाट लें, दिन में तीन से चार बार.
3. त्रिफला चूर्ण
त्रिफला चूर्ण का प्रयोग कब्ज, पांडू, कामला, सूजन, रक्त विकार, नेत्रविकार आदि रोगों में किया जाता है तथा यह एक रसायन भी है।
पुरानी कब्जियत दूर करता है।
त्रिफला चूर्ण के पानी से आंखें धोने से नेत्र ज्योति बढ़ती है।
मात्रा 1 से 3 ग्राम घी व शहद के साथ.
कब्जियत के लिए 5 से 10 ग्राम रात्रि को जल के साथ।
त्रिफला पर विस्तृत जानकारी इस लेख में देखिये
4. शिवाक्षार चूर्ण
पेट साफ करने के लिए प्रसिद्ध है।
बवासीर के मरीजों के लिए शिवाक्षार चूर्ण के फायदे एक श्रेष्ठ दस्तावर दवा के रूप में बताये जाते हैं।
मात्रा रात को सोते समय 10 ग्राम दूध या पानी के साथ।
5. अष्टांग लवण चूर्ण
स्वादिष्ट तथा रुचिवर्द्धक।
मंदाग्नि, अरुचि, भूख न लगना आदि में विशेष लाभकारी।
मात्रा 3 से 5 ग्राम भोजन के पश्चात या पूर्व।
थोड़ा-थोड़ा खाना चाहिए।
6. दाडिमाष्टक चूर्ण
स्वादिष्ट एवं रुचिवर्द्धक। दाडिमाष्टक चूर्ण बनाने की विधि भी बड़ी ही आसान है. बच्चे इसे बड़ा पसंद करते हैं.
अजीर्ण, अग्निमांद्य, अरुचि गुल्म, संग्रहणी, व गले के रोगों में अति लाभकारी है।
मात्रा 3 से 5 ग्राम भोजन के बाद।
बच्चों के लिये आधी मात्रा पर्याप्त है.
7. अश्वगन्धादि चूर्ण
धातु पौष्टिक, नेत्रों की कमजोरी, प्रमेह, शक्तिवर्द्धक, वीर्य-वर्द्धक, पौष्टिक तथा बाजीकर, शरीर की झुर्रियों को दूर करना अश्वगन्धादि चूर्ण के फायदे हैं।
मात्रा 5 से 10 ग्राम प्रातः व सायं दूध के साथ।
8. आमलकी रसायन चूर्ण
आमलकी रसायन चूर्ण के फायदे हैं कि यह पौष्टिक, पित्त नाशक व रसायन है।
नियमित सेवन से शरीर व इन्द्रियां दृढ़ होती हैं।
मात्रा 3 ग्राम प्रातः व सायं दूध के साथ।
9. आमलक्यादि चूर्ण
हलके ज्वरों में उपयोगी, दस्तावर, अग्निवर्द्धक, रुचिकर एवं पाचक।
मात्रा एक से 3 गोली सुबह व शाम पानी से।
10. जातिफलादि चूर्ण
अतिसार, IBS संग्रहणी, पेट में मरोड़, अरुचि, अपचन, मंदाग्नि, वात-कफ तथा सर्दी-जुकाम को नष्ट करता है।
यह जातिफलादि चूर्ण के लाभ हैं.
मात्रा 1.5 से 3 ग्राम शहद से।
11. चातुर्भद्र चूर्ण
बच्चों के सामान्य रोग, ज्वर, अपचन, उल्टी, अग्निमांद्य आदि पर गुणकारी।
मात्रा 1 से 4 रत्ती दिन में तीन बार शहद से।
12. चोपचिन्यादि चूर्ण
चोपचिन्यादि चूर्ण के फायदे उपदंश, प्रमेह, वातव्याधि, व्रण आदि में मिलते हैं।
मात्रा 1 से 3 ग्राम प्रातः व सायं जल अथवा शहद से।
13. पुष्यानुग चूर्ण
पुष्यानुग चूर्ण उपयोग: देवियों के प्रदर रोग की उत्तम औषधि है पुष्यानुग चूर्ण के उपयोग।
सभी प्रकार के प्रदर, योनि रोग, रक्तातिसार, रजोदोष, बवासीर आदि में पुष्यानुग चूर्ण के फायदे पाये जाते हैं।
मात्रा 2 से 3 ग्राम सुबह-शाम शहद अथवा चावल के पानी में।
14. पुष्पावरोधग्न चूर्ण
ये देवियों के मासिक धर्म न होना या कष्ट के साथ होना तथा रुके हुए मासिक धर्म को खोलता है।
इसे पीसीओ (PCOS) में अशोकारिष्ट के साथ देने से अधिक लाभ मिलता है,
मात्रा 6 से 12 ग्राम दिन में तीन समय गर्म जल या अशोकारिष्ट के साथ।
15. यवानिखांडव चूर्ण
रोचक, पाचक व स्वादिष्ट।
अरुचि, मंदाग्नि, वमन, अतिसार, संग्रहणी आदि उदर रोगों पर गुणकारी।
मात्रा 3 से 6 ग्राम।
16. लवणभास्कर चूर्ण
लवण भास्कर चूर्ण के उपयोग: यह स्वादिष्ट व पाचक है तथा आमाशय शोधक है।
अजीर्ण, अरुचि, पेट के रोग, मंदाग्नि, खट्टी डकार आना, भूख कम लगना आदि अनेक रोगों में लाभकारी।
कब्जियत मिटाता है और पतले दस्तों को बंद करता है।
बवासीर, सूजन, शूल, श्वास, आमवात आदि में उपयोगी।
मात्रा 3 से 6 ग्राम मठा (छाछ) या पानी से भोजन के पूर्व या पश्चात लें।
17. लवांगादि चूर्ण
वात, पित्त व कफ नाशक, कंठ रोग, वमन, अग्निमांद्य, अरुचि में लाभदायक।
स्त्रियों को गर्भावस्था में होने वाले विकार, जैसे जी मिचलाना, उल्टी, अरुचि आदि में फायदा करता है।
हृदय रोग, खांसी, हिचकी, पीनस, अतिसार, श्वास, प्रमेह, संग्रहणी, आदि में लाभदायक।
मात्रा 3 ग्राम सुबह-शाम शहद से।
18. व्योषादि चूर्ण
श्वास, खांसी, जुकाम, नजला, पीनस में लाभदायक तथा आवाज साफ करता है।
मात्रा 3 से 5 ग्राम सायंकाल गुनगुने पानी से।
19. शतावरी चूर्ण
शतावरी चूर्ण खाने के फायदे: धातु क्षीणता, स्वप्न दोष व वीर्यविकार में, रस रक्त आदि सात धातुओं की वृद्धि होती है।
शक्ति वर्द्धक, पौष्टिक, बाजीकर तथा वीर्य वर्द्धक है।
मात्रा 5 ग्राम प्रातः व सायं दूध के साथ।
20. सुख विरेचन चूर्ण
हल्का दस्तावर है। बिना किसी समस्या के पेट साफ करता है।
रक्त शोधक है तथा नियमित व्यवहार से बवासीर में लाभकारी भी।
मात्रा 3 से 6 ग्राम रात्रि सोते समय गर्म जल अथवा दूध से।
21. सारस्वत चूर्ण
मस्तिष्क के दोषों को दूर करता है। बुद्धि व स्मृति बढ़ाता है।
अनिद्रा या कम निद्रा में लाभदायक।
विद्यार्थियों एवं दिमागी काम करने वालों के लिए उत्तम।
मात्रा 1 से 3 ग्राम सुबह शाम दूध से।
22. महासुदर्शन चूर्ण
समहासुदर्शन चूर्ण के फायदे: सब तरह का बुखार, इकतरा, दुजारी, तिजारी, मलेरिया, जीर्ण ज्वर, यकृत व प्लीहा के दोष से उत्पन्न होने वाले जीर्ण ज्वर, धातुगत ज्वर आदि में विशेष लाभकारी।
कलेजे की जलन, प्यास, खांसी तथा पीठ, कमर, जांघ व पसवाडे के दर्द को दूर करता है।
मात्रा 3 से 5 ग्राम सुबह-शाम पानी के साथ।
23. सैंधवादि चूर्ण
अग्निवर्द्धक, दीपन व पाचन। मात्रा 2 से 3 ग्राम प्रातः व सायंकाल पानी अथवा छाछ से।
24. हिंग्वाष्टक चूर्ण
पेट की वायु को साफ करता है तथा अग्निवर्द्धक व पाचक है।
अजीर्ण, मरोड़, ऐंठन, पेट में गुड़गुड़ाहट, पेट का फूलना, पेट का दर्द, भूख न लगना, वायु रुकना, दस्त साफ न होना, अपच के दस्त आदि में पेट के रोग नष्ट होते हैं तथा पाचन शक्ति ठीक काम करती है।
मात्रा 3 से 5 ग्राम घी में मिलाकर भोजन के पहले अथवा सुबह-शाम गर्म जल से भोजन के बाद।
25. त्रिकटु चूर्ण
खांसी, कफ, वायु, शूल नाशक, व अग्निदीपक।
मात्रा 1/2 से 1 ग्राम प्रातः-सायंकाल शहद से।
26. श्रृंग्यादि चूर्ण
बच्चों के श्वास, खांसी, अतिसार, ज्वर के लिए उत्तम औषधि।
मात्रा 2 से 4 रत्ती प्रातः-सायंकाल शहद से।
यदि आप पूरे शाकाहारी हैं तो जान लें; इसमें श्रृंग भस्म अथवा बारहसिंगे के सींग की भस्म होती है,
हालाँकि इसमें कोई जीव हत्या इत्यादि नहीं होती.
27. अजमोदादि चूर्ण
जोड़ों का दुःखना, सूजन, अतिसार, आमवात, कमर, पीठ का दर्द व वात व्याधि नाशक व अग्निदीपक।
मात्रा 3 से 5 ग्राम प्रातः-सायं गर्म जल से अथवा रास्नादि काढ़े से।
28. अग्निमुख चूर्ण
उदावर्त, अजीर्ण, उदर रोग, शूल, गुल्म व श्वास में लाभप्रद।
अग्निदीपक तथा पाचक।
मात्रा 3 ग्राम प्रातः-सायं उष्ण जल से।
29. एलादि चूर्ण
उल्टी होना, हाथ, पांव और आंखों में जलन होना, अरुचि व मंदाग्नि में लाभदायक तथा प्यास नाशक है।
मात्रा 1 से 3 ग्राम शहद से।
30. चातुर्जात चूर्ण
अग्निवर्द्धक, दीपक, पाचक एवं विषनाशक है।
मात्रा 1/2 से 1 ग्राम दिन में तीन बार शहद से।
सारशब्द
आयुर्वेद के इन चूर्णों में से कुछ को जरुरत के हिसाब से घर पर रखिये.
ये आपके पूरे परिवार को निरोगी रख सकते हैं.
दैनिक जीवन की आपातकाल परिस्थितियों में भी ये बहुत उपयोगी रहते हैं।
बहुत बढ़िया जानकारी, धन्यवाद
Beautiful information, I had not heard about many of these names. Thank you
Ati sundar
Very good information!
Thank you very much!