आम भारत और दुनिया भर का पसंदीदा फल है.
नाम ज़रूर “आम” है पर होता है यह बहुत ख़ास.
फलों का राजा आम एक ऐसा फल और वनस्पति है जिसके जड़, छाल, पत्तों से लेकर फूल, कच्चे पके फल और गुठली तक के पोषण और औषधीय उपयोग हैं.
आम (mango) को वानस्पतिक शास्त्र में Mangifera indica के नाम से वर्गीकृत किया गया है.
आम्र, रसाल, अतिसौरभ, सहकार, मधुदूत, कामांग, पिकवल्लभ और माकंद इसके अन्य संस्कृत नाम हैं.
आम को प्राय: सब जानते हैं इसलिए इस लेख में इसकी पहचान इत्यादि का व्याख्यान नहीं किया जा रहा.
लेख में केवल आम के आयुर्वेदीय गुणों को जानेंगे जो इस प्रकार के बताये गए हैं:
आयुर्वेद में कथन है
अम्यते प्राप्येते आरोग्यं बलं च अनेन; अम गत्यादौ
(आम से आरोग्य बल और अनेक लाभ प्राप्त होते हैं)
फलों का राजा आम – विभिन्न भागों के उपयोग
आम के विभिन्न भागों के गुण और उपयोग इस प्रकार से हैं
आम का फूल
शीतल, रुचिकारक, ग्राही, वातजनक एवं अतिसार, कफ, पित्त, प्रमेह तथा रक्तदोष को दूर करने वाला होता है
अमिया – आम के कच्चे फल
आम के कच्चे फल कषाय, अम्लरसयुक्त, रुचिकारक एवं वात और पित्त को उत्पन्न करने वाले होते हैं.
प्रौड़ आम का कचा फल तो अत्यंत अम्ल रस युक्त तथा रुक्ष होता है, एवं त्रिदोष तथा रक्त विकार को उत्पन्न करने वाला होता है.
यदि आपको त्वचा रोग होते हों, तो आपको कच्चा आम नहीं खाना चाहिए.
लेकिन कच्चे आम का मुरब्बा भी बनाया जाता है जिसमें कच्चे आम के दोष नगण्य हो जाते हैं.
अमाकड़ी, अमचूर के गुण
कच्चे आम के ऊपर का छिलका उतार कर या फिर छिलके समेत जब धूप में सुखा लिया जाता है तो उसे अमाकड़ी कहते हैं.
पिसी गयी अमाकड़ी के चूर्ण को अमचूर कहा जाता है.
अमचूर और अमाकड़ी अम्ल और कषाय रसयुक्त, स्वादिष्ट, मल का भेदन करने वाले, वात एवं कफ को दूर करने वाले होते हैं.
पका आम
पके आम का फल आरम्भ में मधुर तथा अंत में कषाय रस युक्त ,
वृष्य (वीर्यवर्धक), स्निग्ध, बल तथा सुख को देने वाला,
गुरु, वातनाशक, ह्रदय को हितकर, वर्ण को उत्तम (गोरा) करने वाला,
शीतल, थोडा पित्तजनक एवं जठराग्नि, कफ तथा शुक्र को बढाने वाला होता है.
वृक्ष में ही पका हुआ आम मधुर तथा अम्ल रस युक्त, गुरु, अत्यंत वातनाशक, तथा किंचित पित्त को कुपित करने वाला होता है.
कृत्रिम रीति से पकाए हुए (अथवा तोड़ने के कुछ दिन बाद) आम के फल पित्त नाशक हो जाते हैं, क्योंकि उनका अम्ल रस मधुर रस में बदल जाता है.
यह आम अत्यंत रूचिजनक, बल वीर्यकारक, लघु, शीतल, शीघ्र हजम होने वाला, सारक एवं पित्त नाशक होता है.
आम का रस
बलकारक, गुरु, वातनाशक, सारक, ह्रदय के लिए अहितकर, अत्यंत संतर्पण करने वाला, ब्रिंहणरस रक्तादी वर्धक, एवं कफ की वृद्धि करने वाला होता है.
दूध के साथ आम
दूध के साथ खाए गए आम स्वादिष्ट, वातपित्त नाशक, रोचक, बलवर्धक. वृष्य (वीर्यवर्धक), वर्ण को उत्तम करने वाले, गुरु तथा शीतल होते हैं.
इसलिए mango-shake का उपयोग अकेले आम से अधिक बेहतर है.
खट्टे आम खाने के दोष
अधिक खट्टे आम जठराग्नि की मंदता, विषमज्वर, रक्तसम्बन्धी रोग, अत्यंत मल का अवरोध और नेत्र सम्बन्धी रोग के कारक होते हैं.
यह दोष कच्चे आम की अम्लता के कारण होते हैं.
आम्रातियोग अथवा अधिक आम खा लेने पर सौंठ के साथ जल पीना चाहिए या फिर सौंचरनमक के साथ जीरा खाना चाहिए.
अमावट अथवा आमपापड़
आम के रस को धूप में सुखाकर जो परतदार पापड़ बनाये जाते हैं उन्हें अमावट अथवा आमपापड़ कहते हैं.
अमावट प्यास, वामन, वात तथा पित्त का नाशक, सारक तथा रोचक होता है एवं सूर्य की किरणों में सूखकर परिपक्व होने से लघु होता है.
गुठली अथवा गिरी बीज
आम की गुठली अथवा मींगी अथवा बीज, कसैली, मधुर एवं किंचित अम्लरस युक्त तथा वमन, अतिसार एवं ह्रदय के दाह को दूर करने वाली होती है.
यह अतिसार को रोकने वाली और पेट के कृमियों के लिए लाभकारी होती है.
आम के पत्ते
आम के नवीन पल्लव अर्थात कोमल पत्ते रूचिकारक, तथा कफ और पित्त के नाशक होते हैं.
ये डायबिटीज और IBS संग्रहणी में लाभकारी रहते हैं.
सारशब्द
आपने लेख में कई जगह देखा होगा की आम को मधुर और कषाय कहा गया है.
यह इस बात का सबूत है की पिछले काल में आम को छिलके समेत ही खाया जाता था.
फलों को छिलके समेत खाने से उनके प्रभाव संतुलित हो जाते हैं. पढ़िए यह लेख.
सामान्यत: आम सबके लिए हितकारी ही होता है.
लेकिन यदि आप रक्तपित्त संवेदनशील हैं (यदि फोड़े फुंसी इत्यादि होते हों) तो आपको आम का अधिक सेवन नहीं करना चाहिए.
डायबिटीज रोगियों के लिए भी आम बेहतरीन फल है, लेकिन संयम से खाएं अधिक नहीं.
इसमें उत्तम किस्म का फाइबर रहता है जो शुगर को अचानक बढ़ने से रोकता है.
यदि आप आम को छिलके समेत खाएं तो अधिक लाभकारी है.
छिलका इन्सुलिन संवेदनशीलता को बढ़ा देता है.