ब्रह्म मुहूर्त में उठने के आध्यात्मिक लाभ तो हैं ही, आयुर्वेद और विज्ञान भी इसे स्वास्थ्य लाभ के लिये उत्तम मानते हैं.
शास्त्रों में उल्लेख है कि इस समय तक निद्रा त्याग कर लेना चाहिए.
ब्रह्म मुहूर्त कब होता है
रात्रि के अन्तिम प्रहर के तीसरे भाग के काल को ब्रह्म मुहूर्त कहते हैं.
ब्रह्म मुहूर्त का सही समय सूर्योदय से ठीक 96 मिनट (लगभग डेढ़ घंटा) पहले का समय रहता है.
ऋतु अनुसार ये समय प्रात:काल 4:04 से 5:12 का हो सकता है.
सर्दियों में देर से व गर्मियों में जल्दी.
आईये जानते हैं, क्या हैं ब्रह्ममुहूर्त में जागने के फायदे.
वर्ण कीर्ति यशः लक्ष्मीः स्वास्थ्यमायुश्च विन्दति।
ब्राह्मे मुहूर्ते संजाग्रच्छियं वा पंकजं यथा।। – (भैषज्य सारः 63)
ब्रह्म मुहूर्त में उठने वाला सौन्दर्य, लक्ष्मी, स्वास्थ्य, आयु आदि वस्तुओं को प्राप्त करता है।
उसका शरीर कमल के समान सुन्दर हो जाता है।
मनुस्मृति में उल्लेख हैः
ब्राह्मे मुहूर्ते या निद्रा सा पुण्यक्षयकारिणी
प्रातःकाल की निद्रा पुण्यों एवं सत्कर्मों का नाश करती है।
इसलिए, पुण्यों और सत्कर्मों के संचय के लिए ब्रह्म मुहूर्त में ही उठना चाहिये.
ब्रह्म मुहूर्त कितने समय तक
एक मुहूर्त 48 मिनट का होता है.
ब्रह्म मुहूर्त का समय सूर्योदय से 96 मिनट पहले आरम्भ हो कर सूर्योदय से 48 मिनट पहले तक रहता है.
इस काल को ब्रह्म बेला भी कहा जाता है.
उसके बाद के काल को विष्णु काल कहते हैं जो सूर्योदय से 48 मिनट पहले से सूर्योदय तक का रहता है.
ब्रह्म मुहूर्त में उठने के फायदे, लाभ
1 ब्रह्म मुहूर्त में चार कार्य उत्तम बताये गए हैं.
1. ईश वंदन,
2. ध्यान
3. प्रार्थना और
4. स्वाध्याय व अध्ययन
2 पढाई अध्ययन के लिये यह समय सबसे उत्तम माना गया है।
विद्यार्थियों को ईश वंदन के बाद अध्ययन करना चाहिए.
जब मन निर्मल, विचारहीन और ताज़ा होता है, तो हर पढ़ी बात आसानी से मन में समा जाती है.
3 यह समय ग्रंथ रचना व लेखन के लिए उत्तम माना गया है.
इस समय में विचार व कल्पना विशुद्ध रहते हैं, सृजनता (creativity) से भरे रहते हैं.
4 इस समय दैवीय शक्तियां पृथ्वी लोक (धरा धाम) पर विचरण करती है.
उन दैवीय शक्तियों का आशीर्वाद पाने के लिए ब्रम्ह मुहूर्त में उठना चाहिए.
5 योग मतानुसार, ब्रम्ह मुहूर्त में मनुष्य के शरीर में सहस्त्रार चक्र से अमृत तत्व निकलता है.
इस कारण ब्रम्हमुहूर्त को योगतांत्रिक साधनाओ में अत्यधिक महत्वपूर्ण समय माना गया है.
6 आयुर्वेद में वर्णन है कि वात पित्त व कफ़ का प्रभाव भी दिन रात के प्रहरों व मुहूर्तों के अनुसार बदलता रहता है.
ब्रह्म मुहूर्त में वात प्रभाव अधिक रहता है.
फलस्वरूप इस मुहूर्त में उठने से high BP, जोड़ों के रोग जैसे कि गठियावात, यूरिक एसिड, गाउट, मोटापा, IBS अथवा संग्रहणी इत्यादि रोगों में लाभ मिलता है.
7 इस काल में किसी भी गृह -नक्षत्र का बुरा प्रभाव नहीं होता.
ब्रह्म स्नान
8 ब्रम्ह मुहूर्त में किया गया स्नान सर्वश्रेष्ठ फल देता है.
स्नान करते समय यदि परमेश्वर का चिंतन करें तो यह ब्रम्ह स्नान कहलाता है और देवों का स्मरण करें तो देव स्नान कहलाता है.
इस समय स्नान करने से तीनों दोष (वात, पित्त, कफ़) शांत रहते है और मन और बुद्धि बलवान होते है.
9 ब्रम्ह मुहूर्त में तामसी शक्तियां सुप्तावस्था में होती है, व सत्व गुणों की प्रधानता रहती है.
मन और बुद्धि सकारात्मक होती है.
ध्यान जल्दी लगता है.
इस समय स्मरण शक्ति तीव्र रहती है.
10 आयुर्वेद में इस समय बहने वाली वायु को अमृततुल्य कहा गया है.
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर टहलने से शरीर में संजीवनी शक्ति का संचार होता है.
जल्दी उठने से सौंदर्य, बल, विद्या और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है.
वैज्ञानिक मत
11 वैज्ञानिक मतानुसार ब्रह्म मुहुर्त में वायुमंडल प्रदूषणरहित होता है.
इस समय वायुमंडल में ऑक्सीजन (प्राणवायु) की मात्रा सबसे अधिक (41 प्रतिशत) होती है, जो फेफड़ों की शुद्धि के लिए महत्वपूर्ण होती है।
वनस्पतियों द्वारा यह ऑक्सिजन ओज़ोन के रूप में भी परिवर्तित मिलती है जो सूर्योदय के बाद विघटित हो जाती है.
शुद्ध वायु मिलने से मन, मस्तिष्क भी स्वस्थ रहता है.
ब्रह्म मुहूर्त – सारशब्द
ब्रह्म मुहूर्त में उठने के लाभ आध्यात्मिक, आयुर्वेदिक ग्रंथों के अतिरिक्त दुनिया भर के संतों व सफल हस्तियों द्वारा भी बताये गए हैं.
इनमें से अधिकतर लाभ आध्यात्मिक व बौद्धिक होने के कारण निजी अनुभव से ही जाने जा सकते हैं.
शुरुआत कीजिये, आप भी जान और मान जायेंगे.
यह post हाल ही में संशोधित की गयी है. अतिशय धन्यवाद!!
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