दारुहल्दी रसौंत आयुर्वेद में एक विशिष्ट वनौषधि मानी जाती है.
इसे एक उत्तम एंटीऑक्सीडेंट टॉनिक व डायबिटीज, लिवर रोगों, सोजाक के लिये अतिउपयोगी जाना जाता है.
यह एक बेहतरीन क्रिमिरोधी (antibacterial, antifungal) तथा ज्वरघ्न वनौषधि भी है.
दारुहल्दी की पहचान
दारुहल्दी (English name: Indian Berberry; botanical name: Berberis aristata) को अंग्रेजी में Tree Turmeric भी कहते हैं.
यह एक मध्यम आकार का कांटेदार क्षुप पेड़ है जो हिमालय क्षेत्र में 800 से 2000 मीटर तक की ऊंचाई में पाया जाता है.
इसके अतिरिक्त ये नीलगिरी पर्वत श्रृखला व श्रीलंका के पहाड़ों में भी पाया जाता है.
दारूहरिद्रा, दारुहल्द, रसवत, गंगेती, मनुपसुपू, कसमल, कस्मलू इत्यादि इसके अन्य प्रचलित नाम हैं.
दारुहल्दी और रसौंत में अंतर
दारुहल्दी के पेड़ की जड़ व तने की लकड़ी का ही मुख्यत: औषधि के रूप में उपयोग होता है.
इसका पानी या alcohol में उबालकर सत अथवा सत्व निकालते हैं जिसे रसौंत, रसौत, रसौत्व के नामों से जाना जाता है.
इसके फलों को ताज़े या सुखाकर खाया भी जाता है.
फलों में भी रसौंत के गुण मिलते हैं लेकिन बहुत ही कम मात्रा में.
दारुहल्दी रसौंत – क्यों खास होती है
इस का मुख्य घटक berberine नामक रासायनिक अवयव है, जिस पर बहुत सारे शोध हो चुके हैं.
लगभग सभी शोधों ने इसे कई रोगों के लिये व एक रसायन टॉनिक के रूप में बेहद लाभकारी पाया है.
कैसे काम करती है दारुहल्दी रसौंत
Berberine ही दारुहल्दी रसौंत के सभी मुख्य गुणों के लिये जिम्मेदार अवयव है.
जब आप berberine को खाते हैं तो ये पाचन तंत्र से रक्त परवाह से होते हुए शरीर की कोशिकाओं तक पहुँचती है.
कोशिकाओं के भीतर यह अलग अलग प्रकार के आणविक लक्ष्यों (molecular targets) से अपने आप को बांध कर उनके कार्यकलापों में बदलाव लाती है.
ठीक वैसे ही जैसे कोई दवाई काम करती है (1)
कोशिकाओं के भीतर यह AMP-activated protein kinase (AMPK) नामक एंजाइम को क्रियाशीलता प्रदान करती है (2).
इस एंजाइम को कभी कभी “metabolic master switch” के नाम से भी पुकारा जाता है (3).
यह स्विच हर महत्वपूर्ण अंग में विद्यमान रहते हैं, जैसे कि मस्तिष्क, किडनी, ह्रदय, लिवर व हमारी मांसपेशियों में भी.
यह चय-अपचय की हर गतिविधि के नियंत्रण में काम करता है (4, 5).
इतना ही नहीं, berberine हमारी कोशिकाओं के अन्य अणुओं को भी प्रभावित करती है,
और संभवत: हमारे जीन्स को चालू या बंद करने का भी काम करती है (6).
Berberine के इस गुण के कारण इसे बहुआयामी रोगों जैसे डायबिटीज, कोलेस्ट्रॉल (hyperlipidemia), heart diseases, कैंसर, और सूजन (inflammation) में अधिक लाभकारी माना गया है.
किन रोगों में गुणकारी है दारुहल्दी रसौंत
रसौंत के बहुत सारे रोगों पर अध्ययन हो चुके हैं.
इसे डायबिटीज, कैंसर, उच्च कोलेस्ट्रॉल, हृदयरोग, सूजन, फैटी लिवर, वज़न घटाने, संक्रमण, पेट के रोग जैसे IBS संग्रहणी इत्यादि में लाभकारी पाया गया है.
इसे लेने से किसी रोग (जैसे कि डेंगू, चिकुनगुन्या) के कारण कम हुई श्वेत रक्त कोशिकाओं की की कमी भी ठीक हो जाती है.
कितनी मात्रा में लेना चाहिए
रसौंत को एक टॉनिक के रूप में लेने की सामान्य मात्रा 500mg दिन में दो बार की है.
विभिन्न रोगों पर हुए शोधों में इसकी 900 से 1500mg की मात्रा का उपयोग नित्य किया गया था.
विशेष सावधानी
बताई गई मात्रा केवल रसौंत के अकेले उपयोग की है; किसी अन्य दवा के साथ यह मात्रा कम की जा सकती है.
यदि आप ह्रदय रोग, डायबिटीज इत्यादि की कोई अलोपथिक दवाई ले रहे हैं
तो रसौंत लेने पर आपको अपनी दवाईयों की मात्रा कम करनी पड़ सकती है.
कुछ वेशेष एंटीबायोटिक्स जैसे कि अज़िथ्रोम्य्सिन (Azithromycin) इत्यादि के साथ रसौंत का सेवन हानिकारक भी हो सकता है.
अपने डॉक्टर से अवश्य सलाह कीजिये.
रसौंत का नित्य मात्रा का एकमुश्त सेवन उतना लाभकारी नहीं जितना कि इसका छोटी छोटी मात्रा में दिन में दो या तीन बार का उपयोग.
एक मुश्त मात्रा पेट में मरोड़ इत्यादि भी पैदा कर सकती है. (7)
दारुहल्दी Berberis के सप्लीमेंट
रसौंत अथवा दारुहल्द को लेना कठिन हो सकता है, क्योकि यह एक अत्यंत कडवी वनौषधि होती है.
लेकिन इसके सप्लीमेंट्स भी लिए जा सकते हैं जिन्हें इसके घनसत्व (Extract) के रूप में कैप्सूल के रूप में आसानी से लिया जा सकता है.
इस लिंक में देखिये, इसके सप्लीमेंट के बारे में, जो काफी लोकप्रिय उत्पाद है
सारशब्द
दारुहल्दी और रसोत एक बेहतरीन गुणकारी औषधि है जिस के कई गुण लाभ फायदे हैं.
बढ़ती उम्र में इसका नित्य सेवन कई रोगों से बचाने में लाभकारी भी है.
Bahut badhiya jankari di hai apne. Dhanyavad