रक्तचाप (Blood Pressure) हमारे जीवन की मूलभूत प्रक्रियाओं में से एक है.
समस्या तब खड़ी होती है जब हम इसके उच्च (High) या कम (Low) होने के कारण ग्रसित होते हैं.
हमारा ह्रदय दिन भर में लगभग एक लाख बार धडकता है.
इसके धडकने पर ही फेफड़ों द्वारा ऑक्सीजन युक्त खून शरीर के बाकी हिस्सों में पहुँच पाता है
और कार्बन डाइऑक्साइड युक्त रक्त कोशिकाए दोबारा रिचार्ज होने के लिये वापिस फेफड़ों तक पहुँच पाती हैं.
जब दिल सिकुड़ता है तो ये अपने अंदर संचित रक्त को शरीर में धकेलता है.
संकुचन की इस स्थिति में, जब ह्रदय रक्त से खाली होता है, तो बाकी शरीर में रक्त का चाप या दाब (Pressure) बढ़ जाता है.
इस रक्तदाव को सिस्टोलिक (systolic) ब्लड प्रेशर कहा जाता है.
जब ह्रदय वापिस रक्त से भर जाता है तो स्वाभाविक तौर पर शरीर का रक्तदाव भी कम हो जाता है.
इस स्थिति में, जब रक्त शरीर के साथ साथ ह्रदय में भी भरा होता है, रक्तदाव कम हो जाता है.
ये वैसे ही है जैसे निश्चित हवा की मात्रा से पहले 10 गुव्वारे भरना फिर उसी मात्रा से 12 या अधिक गुव्वारे भरना.
इसे डायस्टोलिक (diastolic) ब्लडप्रेशर कहा जाता है.
ब्लड प्रेशर कितना होना चाहिए
सामान्य रक्तचाप का एक वैज्ञानिक पैमाना है जिसमें न्यूनतम व अधिकतम दाव के मानक निर्धारित हैं.
एक सामन्य व्यक्ति का systolic ब्लड प्रेशर 80 से 120 के बीच
और डायस्टोलिक (diastolic) ब्लडप्रेशर 60से 80 के बीच होना चाहिये.
इन सीमाओं से अधिक के रक्तचाप को हाई BP या उच्च रक्तचाप कहा जाता है.
सामान्य, High और low रक्तचाप की विभिन्न range सीमायें नीचे के table में दी गयी हैं.
लो ब्लड प्रेशर कितना होता है
रक्तचाप जब 90/60 से नीचे होता है तो उसे Low Blood Pressure, Low BP या hypo-tension कहते हैं.
आमतौर पर न्यून रक्तचाप को 80/60 से नीचे रक्तचाप के रूप में परिभाषित किया गया है, जिसे गंभीर माना जाता है.
निम्न रक्तचाप के लक्षण
लो ब्लड प्रेशर के लक्षण हैं अकारण घबराहट होना, अनावश्यक डर और बेहद कमज़ोर अनुभव करना.
टांगों में कम्पन, हाथ पैरों का ठंडा पड़ जाना इत्यादि भी लो ब्लड प्रेशर के लक्षण होते हैं.
उच्च रक्तचाप क्या है
जब ब्लड प्रेशर के दोनों स्तर अपने सामान्य स्तर से ऊपर होते हैं
तो उसे हाइपरटेंशन अथवा उच्च रक्तचाप (Hypertension or High BP) के नाम से जाना जाता है.
आमतौर पर उच्च रक्तचाप को 140/90 से ऊपर रक्तचाप के रूप में परिभाषित किया गया है, और 180/110 से ऊपर का रक्तचाप गंभीर माना जाता है.
उच्च रक्तचाप के लक्षण
अक्सर उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन (Hypertension) का कोई एक लक्षण विशेष नहीं होता.
इसमें उतावलापन, चिडचिडापन, बिना बात गुस्सा, अकारण अधिक पसीना आना, कनपटी या सिर में भारीपन जैसे लक्षण हो सकते हैं.
अधिक बढ़ जाने पर समय के साथ इससे हृदय रोग, ब्रेन हेमरेज व दौरा पड़ने जैसी स्थितियां बन सकती हैं.
क्या सभी लक्षण होते हैं?
ये ज़रूरी नहीं कि ऊपर के बताये लक्षणों से ही निर्धारित हो कि आप हाई या लो ब्लडप्रेशर के शिकार हैं या नहीं.
एक आध्यात्मिक प्रवृति वाला इंसान high BP का शिकार हो सकता है लेकिन उसमें गुस्सा इत्यादि लक्षण नहीं पाए जाते.
एक आदतन गुस्से वाले इंसान का BP बिलकुल सामान्य भी मिलता है.
इसी प्रकार एक low BP के आध्यात्मिक इंसान में घबराहट जैसे लक्षण नहीं पाए जाते.
उच्च रक्तचाप के कारण
रक्तचाप के अपनी सामान्य सीमाओं से अधिक होने के कई कारण हो सकते हैं. इनमें मुख्य हैं:
विसंगत आहार
फ़िज़ूल की चिंता व तनाव
व्यायाम की कमी
आयु का बढ़ाव
सोच में अनावश्यक बदलाव
रक्तचाप (Blood Pressure) के इलाज उपाय
यदि हम खानपान और जीवन में थोडा बदलाव कर लें तो ब्लड प्रेशर के रोग से बचा जा सकता है.
कुछ लाभकारी सूत्र इस प्रकार हैं:
उच्च रक्तचाप के उपचार
उच्च रक्तचाप के लिए आहार ऐसे लेने चाहिये जो मूत्रल हों.
इनके सेवन से शरीर का अतिरिक्त जल मूत्र द्वारा बाहर निकल जाता है जिससे BP सामान्य रखने में सहायता मिलती है.
पुनर्नवा, भूमिआंवला, गोखरू, गिलोय, कुलफा, पालक, इत्यादि के साग बेहतरीन मूत्रल होते हैं.
हरा धनिया, प्याज़ और नीम्बू का सेवन भी लाभकारी रहता है.
क्योंकि उच्च रक्तचाप में अक्सर एसिडिटी का भी प्रकोप बढ़ जाया करता करता है इसलिए क्षारीय पेय जैसे कि नीम्बू सोडा या फिर जलजीरा सोडा का नियमित सेवन करने से लाभ मिलता है.
इस लेख में जानिये क्या हैं नीम्बू सोडा के फायदे और बनाने की विधि
उच्च रक्तचाप में परहेज
चाय, कॉफ़ी, का सेवन कम कर देना चाहिये.
धूम्रपान से बचना चाहिये.
गरिष्ठ भोजन और अधिक मिर्च मसाले भी नहीं लेने चाहिये.
उच्च रक्तचाप के लिए योग भी किया जा सकता है.
उच्च रक्तचाप की रोकथाम के लिये नित्य सैर करना और मौन रखना भी लाभकारी रहता है.
Low BP के लिये
वे आहार लाभकारी होते हैं जो शरीर में जल व सोडियम जैसे मिनरल्स को संचित कर सके.
नमक, चीनी, अधिक पानी पीना, हाई फाइबर आहार इसमें लाभकारी रहते हैं.
आप किसी डायटीशियन से एक लो ब्लड प्रेशर डाइट चार्ट भी ले सकते हैं.
रोग के अन्य उपाय
दोनों प्रकार के blood pressure रोग में ऐसी वनौषधियों का उपयोग करना लाभकारी रहता है जिन्हें adaptogen कहा जाता है.
Adaptogen जड़ी बूटियों के ऐसे तत्वों का संग्रह होता है जो हमारे शरीर के बिगड़े हुए प्रक्रिया तंत्र को पुन: सामान्य करने की क्षमता रखते हों.
आयुर्वेद सेंट्रल का अमृतयोग (Amrityog) उत्पाद एक ऐसा विकल्प है जो High BP और Low BP दोनों में ही कारगर रहता है.
अमृतयोग (Amrityog) पर अधिक जानकारी और खरीद के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिये.
जीवनशैली सहज रखिये
व्यर्थ चिंता मत करिए.
एक मजदूर हम से बढ़िया जीवन यापन कर सकता है जबकि एक अमीर नहीं.
Comparisons हमें कहीं का नहीं छोड़ते.
दूसरों से comparison हमेशा दुखदायी ही होता है.
हम सब एक यात्रा में आये हैं, कोई हम से आगे है कोई पीछे, ऐसा भाव रखना BP का एक बड़ा इलाज है.
यकीन मानिए, सोच में बदलाव का ये सूत्र बड़े काम का है.
वह खाईये जो आपका मन करता है
ज्यादा तर्क वितर्क में न पड़ें.
हमारा सहजज्ञान ही हमारा डॉक्टर भी होता है.
जब BP अधिक होता है तो इसे बढाने वाले आहार खाने का मन ही नहीं करता है.
हाँ, हमें थोडा ज्ञान भी होना चाहिए कि क्या खाने से BP बढ़ता है, और किस आहार से कम होता है.
नमक कम खाओ, घी कम खाओ जैसे तर्क अब विज्ञान द्वारा नकारे जा चुके हैं.
उपवास रखें
आपने कुत्ते बिल्लियों को देखा होगा.
जब ठीक नहीं होते तो कुछ भी नहीं खाते, चाहे आप जोर लगा लें.
उपवास से कई स्वाथ्य लाभ मिलते हैं.
उपवास में शरीर के पाचन तंत्र को आराम भी मिलता है.
व्यायाम व उछल कूद करिए, छोटे बच्चों जैसे बनिये
बचपन से लेकर जब तक हमने उछल कूद कर जीवन बिताया, कोई चिंता या तनाव होती ही नहीं थी.
दोबारा से उस जीवन को जियें.
आपको अनंत लाभ मिलेगा.
व्यायाम के साथ साथ बच्चों और मित्रों के साथ समय बिताना BP के लिये लाभकारी रहता है.
सामाजिक बनिये
घर के बाहर समाज से सम्बन्ध रखना या समाज सेवा के कार्य करना चिंता मुक्त रहने का अचूक उपाय है.
लोगों से मिलते रहने पर हम पाते हैं कि संसार में चिंतायें सब के साथ जुडी हुई हैं.
ज़रूरत है तो ये समझने की कि हम चिंता को दरकिनार कैसे रखें.
बेसहारा लोगों के साथ समय बितायें, उनकी यथासामर्थ्य सहायता करें, आपको अनन्त लाभ मिलेगा.
मौन रखिये
मौन एक ऐसी कुंजी है जो हमें अपनी वास्तविक “मैं” से साक्षात्कार कराती है.
अंग्रेजी में इसे reflection कहा जाता है. सुबह उठ कर बिस्तर पर ही बैठे बैठे आँखें बंद कर लीजिये.
जो विचार आते हैं, आने दीजिये.
कुछ ही दिनों में आप पाएंगे कि बेमतलब के विचार समाप्त हो गए हैं व उच्च विचार घर कर रहे हैं.
इस लेख में जानिये क्या हैं मौन रखने के फायदे
मानसिक शांति देने वाला संगीत सुनिए
संगीत पूरे ब्रह्माण्ड की अद्भुत अभिव्यक्ति है.
संगीत से जब हाथी, गाय और अन्य जानवर पक्षी अविभूत हो सकते हैं
फिर मानव की तो संगीत सबसे बड़ी उपलब्धि है.
एक बार कोशिश कीजिये इस गायन को सुनने की, आपको अनुभव हो जायेगा कि संगीत से मानसिक ताप में कितना लाभ मिलता है.
Blood pressure भी आखिर एक मानसिक ताप ही है.
स्वाध्याय व जाप कीजिये
स्वाध्याय और सिमरन या जाप की महिमा हर धर्म संप्रदाय में बताई गयी है.
आरम्भ में जाप रटन प्रतीत होता है लेकिन कालान्तर में स्वाध्याय व जाप हमें अपनी मूल सत्ता से जोड़ देते है.
मन को चिंतामुक्त रखने के लिये जाप का सहारा काफी कारगर रहता है.
दवाएं लीजिये
असामान्य रक्तचाप में दवाएं लेना एक तर्कसंगत व उचित युक्ति है.