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मीठा सोडा और नीम्बू या जलजीरा

मीठा सोडा और नीम्बू या जलजीरा – स्वस्थ पेट का बेहतरीन घरेलू उपाय

मीठा सोडा और नीम्बू या जलजीरा का योग एक ऐसा घरेलू उपाय है जिसे लेकर कई स्वास्थ्य लाभ पाये जा सकते है.

खाने वाला सोडा अथवा मीठा सोडा और बेकिंग सोडा एक ही होता है जिसमें कोई कोई अंतर नहीं होता.

इसका इंग्लिश नाम Sodium bicarbonate होता है.

इसलिए मीठा सोडा और बेकिंग सोडा में अंतर कोई नहीं होता.

यह योग नीम्बू या जलजीरा के गुणों से भरपूर तो होता ही है,

साथ ही जब इसमें मीठा सोडा मिला दिया जाता है तो इन दोनों के स्वास्थ्य लाभ कई गुणा बढ़ जाते हैं.

नीम्बू सोडा या बेकिंग सोडा के फायदे और स्वास्थ्य लाभ

इस लेख में जानेंगे, क्या हैं बेकिंग सोडा और नींबू के फायदे अथवा स्वास्थ्य लाभ

1 पाचन क्रिया सुधारक

आजकल के खानपान में पेस्टिसाइडस और उन्नत किस्मों के अनाज, फल और सब्जियों का समावेश रहता है.

पेस्टिसाइडस हमारे पाचन तंत्र के लाभकारी बैक्टीरिया को भी नष्ट कर नुकसान पहुंचाते हैं

जबकि पैदा बढ़ाने के लिए बनायीं गयी कई उन्नत किस्में ऐसी विकसित हो गयी हैं

जिन्हें हमारा पाचन तंत्र पचा ही नहीं पाता.

उदाहरण के लिए टमाटर को ही लेते हैं.

देसी टमाटर दों दिनों में ही पकने गलने लगता है जबकि उन्नत किस्म के टमाटर कई दिन या सप्ताह तक खराब नहीं होते.

जब आप इन्हें खायेंगे तो ज़ाहिर है, आपका पाचन तंत्र इन्हें 5-6 घंटे में पचा नहीं पायेगा.

नजीतन, यह पेट में जाकर पचने की बजाये सड़ने लगेगा जिससे हानिकारक बैक्टीरिया पैदा होंगे

नीम्बू सोडा के नियमित उपयोग से पेट में आहार के सड़ने, गलने से पैदा होने वाले विकारों में लाभ मिलता है.

2 गैस एसिडिटी में अत्यंत लाभकारी

जब पेट में IBS संग्रहणी और आँतों की सूजन जैसे विकारों का प्रकोप होता है

तो और आपको गैस, अफारा और एसिडिटी को भी झेलना पड़ता है.

हमारे अमाशय का ph 3.5 या उसे कम ही होता है, क्योंकि भोजन पचाने के लिए एसिड की ज़रूरत होती है.

जब अमाशय में आवश्यकता से अधिक एसिड होता है

तो हमें एसिडिटी, गैस, खट्टी डकारें (Acid reflux), GERD, अलसर जैसे विकार भी अधिक होते हैं.

एसिडिटी के लिए एलोपैथी में एंटेसिड और PPIs (Proton Pump Inhibitors) जैसे कि ओमिप्रज़ोल, राबिप्रज़ोल इत्यादि दिए जाते हैं जिनके अपने दुष्प्रभाव हैं.

क्योंकि PPIs एसिड का बनना नहीं रोकते बल्कि उसको अमाशय में भेजने से रोकते हैं.

नतीजतन, आपके रक्त की pH अम्लीय होने लगती है.

जैसे ही आप इन्हें छोड़ते हैं, आपको दुगना कष्ट झेलना पड जाता है.

नीम्बू सोडा के नियमित उपयोग से अफारा, पेट की पुरानी एसिडिटी और पित्त विकारों में लाभ पाया जा सकता है,

जो आपको इन गंभीर रोगों के दुष्प्रभावों से बचा सकते हैं.

यह सोडा वाटर पीने के फायदे का एक बड़ा उदाहरण है.

3 क्षारीय संतुलन में सहायक

जब लम्बे समय तक गैस और एसिडिटी की समस्या बनी रहती है तो acidosis नामक विकृति उत्पन्न हो जाती है

जिसे आयुर्वेद में पित्त प्रकृति का प्रकोप कहा जाता है.

शरीर का pH संतुलन

आपके शरीर का हल्का सा क्षारीय होना स्वस्थ होने की पहली पहचान मानी जाती है.

स्वस्थता के लिए ज़रूरी है कि हमारे शरीर का pH हल्का सा क्षारीय हो यानि pH स्तर 7.35 से 7.45 के बीच रहे.

एसिडिटी के लगातार बने रहने से pH का स्तर अम्लीय हो जाता है,

जिस कारण आप जलन, घबराहट, बेचैनी और असहजता अनुभव करते हैं.

जब आप नीम्बू सोडा का उपयोग करते हैं तो शरीर से अम्लता का निवारण हो जाता है

और आपका शरीर क्षारीय हो जाता है.

आप गैस एसिडिटी से राहत तो पाते ही हैं साथ ही आप स्वस्थ और हल्का भी अनुभव करते हैं.

4 कैंसर से बचाव

शरीर में अम्लता बने रहने को कैंसर के सबसे बड़े कारकों में से एक जाना गया है.

शोध बताते हैं कि अधिकतर कैंसर तब उत्पन्न होते हैं जब शरीर का pH तेजाबी अथवा एसिडिक (acidic) होता है(1).

यदि आप शरीर के pH को बरकरार रखते हैं तो कई प्रकार के कैंसर रोगों से बचाव किया जा सकता है.

शोधों ने पाया है कि, यदि शरीर का pH संतुलन क्षारीय रहे तो कैंसर नहीं पनप सकते.

इसी कारण बहुर सारे विशेषज्ञ नीमू सोडा सेवन करने की सिफारिश करते हैं.

नीम्बू सोडा का उपयोग कीजिये और निश्चिन्त हो जाईये.

हालांकि नीम्बू सोडा के कैंसर निवारक गुणों पर अभी भी कई शोध जारी हैं जिनके परिणाम आने बाकी हैं

फिर भी आरंभिक शोध आशावान दीखते हैं.

बेकिंग सोडा और नींबू मसाला सोडा बनाने का तरीका

5 विषतत्वों के निकास में उपयोगी

अम्लता के कारण ही शरीर में विषतत्वों का जमावड़ा होने लगता है.

यदि आप शरीर की अम्लता का नियमित निवारण करते हैं तो विषतत्व (Toxins) ठहर नहीं पाएंगे

और आप हमेशा हल्का और स्फूर्तिवान महसूस करेंगे.

नीम्बू सोडा के उपयोग से आप यह सब हासिल कर सकते हैं.

इसीलिए नीम्बू सोडा के उपयोग को गुर्दे (kidney) के लिए लाभकारी बताया जाता है.

यह योग लिवर को भी शुद्ध करता है और आपको विटामिन C की बेहतर खुराक भी देता है,

जिसे एक बेहतरीन एंटीऑक्सीडेंट माना जाता है.

6 कोलेस्ट्रॉल नियंत्रक

शोध प्रमाणित करते हैं कि नीम्बू सोडा के नियमित उपयोग से हानिकारक कोलेस्ट्रॉल कम होती है

जबकि लाभकारी कोलेस्ट्रॉल में बढ़ोतरी होती है.

इसका सीधा मतलब है कि इस योग के उपयोग से कोलेस्ट्रॉल में बेहतर संतुलन पाया जा सकता है और ह्रदय रोगों से बचा जा सकता है.

बेकिंग सोडा और नींबू मसाला सोडा बनाने का तरीका

लेमन सोडा बनाने की विधि बड़ी ही आसान है.

एक गिलास ठन्डे पानी में एक तिहाई या आधा चाय का चम्मच मीठा सोडा घोल लें.

जब सोडा पूरा घुल जाए तब आधा या एक नीम्बू का रस मिला दें.

यही है लाइम सोडा बनाने की विधि.

थोडा सा हिलाएं और तुरंत पी जाएँ.

सोडा और जलजीरा 

यदि आप रोज़ रोज़ नीम्बू सोडा नहीं लेना चाहते तो नीम्बू की जगह जलजीरा भी ले सकते हैं.

नीम्बू की जगह आपको आपको बस एक चम्मच या एक पाउच जलजीरा पानी में मिलाना चाहिये.

बाकी सारी विधि नीम्बू सोडा वाली ही है.

विशेष

इस पेय को खाने के बाद न पियें बल्कि खाली पेट ही लें,

जैसे कि सुबह नाश्ते से पहले, दोपहर और रात के भोजन से आधा घंटा पहले.

इसे दिन में तीन बार तक ही लें.

दो हफ्ते लेने के बाद एक से तीन दिन तक न लें और फिर चालू कर दें.

यह अंतराल इसलिए ज़रूरी होता है ताकि आपका शरीर बदले हुए चयापचय के अनुसार बदल सके.

हालाँकि, नीम्बू सोडा की 5-6 खुराकें प्रतिदिन भी ली जा सकती हैं,

लेकिन पुरानी एसिडिटी के निवारण के लिए जल्दबाज़ी न करें, केवल तीन खुराक प्रतिदिन ही लें.

यदि आपको सोडियम सम्बंधित संवेदनशीलता हो तो अपने डॉक्टर से अवश्य विमर्श करें.

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10 thoughts on “मीठा सोडा और नीम्बू या जलजीरा – स्वस्थ पेट का बेहतरीन घरेलू उपाय”

  1. नागेश काळे.

    बहूत ही बढीया योग है ऐ, मेरी डकारो कि समस्या काफी हद तक समाप्त हूई और अच्छा महसूस करता हूँ.
    शर्माजी आपका आभारी हूँ.

आपके सुझाव और कमेंट दीजिये

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