प्राकृतिक सिरका (Natural vinegar) मानव सभ्यता की प्राचीनतम खोजों में से एक है.
हमारे पूर्वजों ने शायद जब देखा कि कुछ आहार गलने सड़ने के चक्रकाल की समाप्ति पर और अधिक स्वादिष्ट व गुणकारी हो जाते हैं,
तब से ही सिरका उपयोग में आया होगा.
आदिकाल से ही इसके गुणों से हम वाकिफ हो गए थे.
आयुर्वेद में प्राकृतिक सिरका (Natural vinegar) बनने के चरण पर एक पूरा संग्रह उपलब्ध है
जिसे आसव व अरिष्ट संग्रह के नाम से जाना जाता है.
कुमारी (एलोवेरा) आसव , अशोकारिष्ट, द्राक्षासव, अश्वगंधारिष्ट, अर्जुनारिष्ट इत्यादि कई आसव व अरिष्ट जड़ी बूटियों से बनाये गए
जिन्हें कमज़ोर बालकों, महिला पुरुषों और वृद्धों के लिये अति उपयुक्त माना गया.
बाजारू सिरके
आधुनिक दौर में हम केवल सिंथेटिक सिरके से ही वाकिफ हैं जो पानी में कृत्रिम एसिटिक एसिड मिला कर बनाया जाता है.
जबकि आज से 15-20 वर्ष पहले तक जामुन का सिरका काफी प्रचलन में होता था.
ये बाजारीकरण का ही प्रभाव है कि गुणकारी वस्तुएं गायब होती जा रही है
व उनके स्थान पर 5 रूपए की वस्तु हमें 100 रूपए में बेचीं जा रही है, और हम अज्ञानवश व सुलभता के कारण इन्हें खरीदते भी हैं.
प्राकृतिक सिरका (Natural vinegar) के लाभ
सजीव वनस्पतियों व फलों से तैयार सिरके में उस वनस्पति विशेष के गुणों के अतिरिक्त, हमें एंजाइम ब लाभदयक बैक्टीरिया (yeast) भी मिलते हैं
जो हमारी आंतों के अंदर के बैक्टीरिया को बल प्रदान कर हमारी पाचन शक्ति बढ़ा देते हैं.
प्राकृतिक सिरका (Natural vinegar) के उपयोग से कब्ज़, गैस, एसिडिटी, IBS संग्रहणी इत्यादि में बड़ी राहत मिलती है
और भोजन पूरी तरह से पच जाता है.
कितने प्रकार के सिरके
दुनिया भर की सभ्यताएं अपने यहाँ उपलब्ध फलों से प्राकृतिक सिरका (Natural vinegar) बनाती है.
जापान में चावल से,
तुर्की में अंगूर व खजूर से,
अमेरिका में सेव, चेरी व जामुन से,
मलेशिया में नारियल से,
यूरोप में अंजीर, जामुन से, और
जर्मनी में बियर से बने सिरके हर घर की शान माने जाते हैं.
प्राकृतिक सिरका (Natural vinegar) की जैविक प्रक्रिया
जब कोई शर्करा युक्त फल या अनाज (पानी युक्त) को खुले मौसम में पड़ा रहने दिया जाता है
तो वातावरण में खमीर (Yeast) के जीवाणु उस पर पनपने लगते है व शुगर्स का विघटन करने लगते हैं.
बढ़िया शुगर युक्त भोजन मिलने के कारण ये जीवाणु जल्दी ही अपनी संख्या अनन्तरूप से बढ़ा लेते है.
ये वैसे ही है जैसे कुछ घंटे में ही दूध का दही बन जाना.
फिर एक ऐसा चरण आता है जब इन जीवाणुओं को खाने के लिये कुछ नहीं मिलता और वे मरने लगते हैं
व अपने अंदर के एंजाइमस को पीछे छोड़ जाते हैं.
अब ये enzymes किसी अन्य प्रकार के वातावरणीय बैक्टीरिया का भोजन होने के कारण उस विशेष बैक्टीरिया को आकर्षित करते हैं
जो इसे ग्रहण कर अपनी संख्या बढ़ाने लगते है.
एक बार फिर, जब इन बैक्टीरिया के लिये कुछ भी खाने को नहीं मिलता
तो ये भी अपने विशेष enzymes छोड़कर मर जाते हैं.
भिन्न भिन्न प्रकार के बैक्टीरिया का ये जीवन चक्र घटनाक्रम कुछ घंटों से लेकर 3-4 दिन का होता है.
और तब तक चलता है जब तक कि कोई भी बैक्टीरिया पनपे हुए एंजाइमस को खा न सके.
इस प्रकार सिरका बनने की प्रक्रिया में 40 से 60 दिन तक का समय लग जाता है.
और जब सिरका इस विधि से बनाया जाता है
तो यह गुणकारी और लाभकारी भी बन जाता है.
प्राकृतिक सिरका (Natural vinegar) बनाने की विधि के लिए इस लिंक के लेख को देखिये
सेवन मात्रा
यदि आप प्राकृतिक सिरका (Natural vinegar) के किसी भी रूप की एक चम्मच मात्रा पानी में या भोजन में मिलाकर लेते हैं
तो यकीन मानिये आप पेट के कई रोगों से मुक्ति पा सकते हैं.
आपके पास घर का बनाया का जो भी सिरका उपलब्ध हो, उसे उपयोग कीजिये.
लाभ मिलना निश्चित है.
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