पेट का मोटापा (Belly Fat) एक ऐसा रोग है जिसमें बाकी की देह तो मोटी नहीं होती लेकिन चर्बी के कारण मोटापा केवल शरीर के मध्य भाग में ही रहता है.
पेट का यह मोटापा खतरनाक भी होता है और रोगकारक भी.
इसे Pear Belly भी कहते हैं, जिसका मतलब है पेट का नाशपाती के फल जैसा दिखना.
इस चर्बी को Visceral fat कहा जाता है, और ये गंभीर रूप से हानिकारक मानी जाती है.
इस प्रकार का मोटापा डायबिटीज, ह्रदय रोग, आर्थराइटिस, व कई अन्य आजीवन चलने वाली बिमारियों का कारक भी होता है (देखिये NCBI का शोध पत्र).
मोटापा नापने का BMI (body mass index) फार्मूला इस प्रकार के मोटापे में फेल भी हो जाता है,
क्योकि इसमें व्यक्ति के बाकी अंग तो दुबले या ठीक होते हैं,
लेकिन पेट के अंदर की चर्बी के कारण मोटापा केवल शरीर के मध्य भाग में ही रहता है.
इसे नापने के लिए Waist-to-Hip Ratio (WHR) और Waist-to-Height Ratio (WHtR) का उपयोग किया जाता है।
Waist-to-Hip Ratio (WHR) में कमर के माप को हिप के माप से डिवाइड करते हैं। यदि यह .85 (महिला) 0.90 (पुरुष) से अधिक है तो आपके पेट में मोटापा है।
Waist-to-Hip Ratio (WHR) में कमर के माप को हाइट के माप से डिवाइड करते हैं। यदि यह 0.5 से अधिक है तो आपको चिंता करनी चाहिये।
सामान्य मोटापे वाले लोगों की अपेक्षा इस प्रकार के मोटापे वाले लोग अधिक जोखिम पर होते हैं (देखिये NCBI का शोध पत्र)
इस प्रकार के मोटापे को कम करने के 10 कारगर उपाय हैं जिन्हें अपना कर आप समस्या से निजात पा सकते हैं.
यह रहे 10 आसान तरीके और उपाय:
1 घुलनशील फाइबर
शोध बताते हैं कि घुलनशील फाइबर मोटापा कम कर देता है.
इस प्रकार के फाइबर से एक गोंद्नुमा परत आँतों पर चढ़ जाती है जो आहार के अवशोषण को रोकती है.
आहार अवशोषित होने की बजाय हमारे बैक्टीरिया का खाना बन जाता है.
क्योंकि हम फाइबर युक्त आहार के सारे अवयव विशेषकर कार्बोहाइड्रेट्स को पूरा नहीं ले पाते इस कारण धीरे धीरे हमारी पाचन शक्ति भी बलवान होती जाती है.
फाइबर युक्त आहार लेने पर आपको पेट पूरा भरने का आभास भी होता है जिससे आप कम खाते हैं.
फाइबर भोजन में उपलब्ध उर्जा के अवशोषण क्रिया को भी रोकता है, जिस कारण रक्त में कम शुगर व कार्बोहायड्रेट पहुँचते हैं (देखिये Journal of Nutrition का लेख ).
अधपके अमरुद, पपीता, अलसी, इसबगोल, फलियों वाली दालें जैसे लोबिया, सब्जियों में बैंगन, भिन्डी, चोकरयुक्त आटा इत्यादि घुलनशील फाइबर तृप्त आहार हैं.
सप्लीमेंट्स में आयुर्वेद सेंट्रल का उत्पाद पी बी एफ (PBF) एक अच्छा विकल्प है जिसे अपना कर कई लोगों नें अपनी तोंद और वज़न दोनों ही घटाए हैं.
2 नारियल तेल
आपने देखा होगा उत्तर भारतियों की अपेक्षा साउथ इंडियन्स कम मोटे होते हैं, जबकि वे भरपूर तले और मीठे पकवान खाते हैं.
इसके पीछे नारियल के तेल का कमाल है.
नारियल का तेल दुनिया के सबसे बढ़िया पौष्टिक तेलों में से एक है.
शोधों ने पाया है कि नारियल तेल के Medium-chain fats मेटाबोलिज्म को बढाने का काम करते हैं
जिस कारण आहारीय वसा (fat) शरीर में संचित नहीं होती व पेट में पहले से जमा चर्बी भी कम होती जाती है। (देखिये NCBI का शोध पत्र)
एक ऐसे ही अध्ययन ने पाया कि ऐसे मोटे व्यक्ति जिन्होंने 12 सप्ताह तक रोज़ नारियल के तेल का सेवन किया;
उनकी कमर की चर्बी 1.1 इंच (2.86 cm) तक कम हो गयी.
और वह भी बिना किसी अन्य आहारीय या दिनचर्या बदलाव के (8, 9).
कमर का माप कम करने के लिये आपको नित्य दो चम्मच (30 ml) नारियल तेल अपने आहार में लेना चाहिए.
क्योंकि यही मात्रा उन अध्ययनों में ली गयी थी, जिनसे नारियल तेल के मोटापा नियंत्रक होने के प्रमाण मिले थे.
आपको शुरू में नारियल तेल थोडा अटपटा लगेगा
लेकिन जल्दी आप ही इसके स्वाद और गुणों के मुरीद हो जायेंगे.
आपको केवल शुरुआत भर करनी है.
3 सेव का सिरका
सेव के सिरके (apple cider vinegar) को पीने के बेहतरीन स्वास्थ्य लाभ हैं,
जिनमें आपकी शुगर का कम होना भी शामिल है.
इसमें प्राकृतिक Acetic acid और एनी कई एंजाइम पाए जाते हैं
जिन्हें कई शोधों ने चर्बी के जमाव के लिए लाभकारी पाया है. (11, 12, 13)
मोटे पुरुषों पर हुए एक नियत्रित शोध ने पाया कि एप्पल साइडर विनेगर का एक बड़ा चम्मच लेने पर 12 सप्ताह में उनकी तोंद में 1.4cm की कमी आयी. (14).
यदि आप इसके दो या तीन बड़े चम्मच रोज़ लेंगे तो लाभ और भी अधिक मिल पायेगा.
एप्पल साइडर विनेगर (apple cider vinegar) के विस्तृत लाभ इस लेख में देखिये.
4 भरपूर नींद
नींद का अच्छे स्वास्थ्य से उतना ही गहरा नाता है जितना अच्छे खानपान व व्यायाम का, विशेषकर जब बात मोटापे की हो.
अध्ययनों से पता लगा है कि वे व्यक्ति जो अच्छी, गहरी नींद नहीं ले पाते, मोटापे से ग्रसित होते हैं (15, 16).
68000 महिलाओं पर 16 साल तक चले एक अध्ययन ने पाया कि
वे महिलाएं जो 5 घंटे से कम नीद लेती हैं, मोटापे से अधिक ग्रसित रहीं
बजाये उनके जो 7 से अधिक घंटे तक रात में सोती थी (17).
सोते हुए, बीच बीच में, सांस रुकने के रोग Sleep apnea को भी पेट की चर्बी की अधिकता से ही जोड़ कर देखा जाता है. (18).
इसलिए भरपूर नींद सोने का मतलब है पेट की चर्बी कम करना
5 ओमेगा 3
शाकाहारी भारतीयों में ओमेगा 3 की कमी कई रोगों की कारक मानी जाती है.
यह इसलिए क्योकि उनके आहार में मछली का कोई स्थान नहीं जो ओमेगा 3 का सर्वोत्तम स्रोत है.
यही नहीं वे ओमेगा 3 के अन्य कम पोषक आहार जैसे अलसी, अखरोट इत्यादि का भी कम ही उपभोग करते हैं.
यदि आप मांसाहारी हैं तो सप्ताह में दो बार ज़रूर मछली खाईये,
क्योकि यह उच्च किस्म की प्रोटीन और ओमेगा 3 का सर्वोत्तम स्रोत है और इसके उपयोग से पेट की चर्बी कम हो जाती है.
आपने यह भी देखा होगा कि मछली खाने वाले पेट के मोटापे से ग्रसित नहीं होते हैं, बशर्ते उन्हें कोई अन्य मोटापे वाला रोग न हो. (19, 20).
यदि आप शाकाहारी हैं तो अलसी, अखरोट, इत्यादि ओमेगा ३ के अछे स्रोत हैं,
लेकिन उनमें उपलब्ध ओमेगा 6 ओमेगा 3 के अवशोषण में रूकावट डालता है.
इसलिए आपको अलसी के 2 से 3 बड़े चम्मच या 8-10 अखरोट रोज़ खाने चाहिए.
ओमेगा 3 पर विस्तृत लेक इस लिंक पर देखिये.
6 मीठा कम
चीनी में फ्रक्टोस होता है और अधिक फ्रक्टोस को कई बीमारियों का कारक माना जाता है.
इन बीमारियों में, डायबिटीज, मोटापा, फैटी लिवर बीमारी इत्यादि मुख्य हैं (21, 23, 24).
शोधों ने अधिक चीनी शक्कर खाने पर पेट की चर्बी के बढ़ने का, सीधा सम्बन्ध पाया है (25, 26).
7 प्रोबायोटिक्स
प्रोबायोटिक (Probiotics) एक प्रकार के बैक्टीरिया होते हैं जो कुछ आहारों और फ़ूड सप्लीमेंट्स में पाए जाते हैं.
इनके बेहतरीन स्वास्थ्य लाभ होते हैं जिनमें पेट क्रिया का सुचारुपन और रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार मुख्य हैं. (27)
शोधों ने पाया है कि अलग अलग किस्म के बैक्टीरिया हमारे वज़न नियंत्रण, विशेषकर पेट के मोटापे में भी लाभकारी होते हैं.
इनमें Lactobacillus परिवार के Lactobacillus rhamnosus और Lactobacillus gasseri के प्रभाव पर अधिक शोध किये गए हैं
और इन्हें पेट की चर्बी के निवारण में लाभकारी पाया गया है. (28, 29, 30, 31)
प्रॉबिस (Probis) सप्लीमेंट में यह सभी प्रजातियाँ मिल जाती हैं, जिन्हें लेकर आप लाभ ले सकते हैं।
8 व्रत उपवास
खाने और उपवास के समय को बदल-बदल कर फॉलो करना (Intermittent fasting) वज़न कम करने का एक ऐसा तरीका है जिसे अपना कर कई लोगों ने लाभ लिया है.
यह एक खानपान के समय में अचानक बदलाव करने का तरीका है जिससे हमारे रोज़ के सामान्य मेटाबोलिज्म में बदलाव आ जाता है। (देखिये NCBI का शोध पत्र).
इसका एक तरीका हफ्ते में 24 घंटे के एक या दो उपवास रखने का है.
दूसरे तरीके में आपको अपना पूरा आहार 8 घंटे की अवधि में लेना होता है और 16 घंटे तक कुछ भी नहीं खाना होता है
पानी या नीम्बू पानी को छोड़कर.
Intermittent fasting करने पर हुए शोधों की एक समीक्षा ने सार निकाला कि
इसे करने से 6 सप्ताह में परिणाम दिखने लगते हैं और 24 सप्ताह बाद तोंद का सफाया भी हो जाता है. (देखिये साइंस डायरेक्ट का शोध पत्र ).
9 ग्रीन टी (Green Tea)
ग्रीन टी अथवा हरी चाय एक उम्दा स्वास्थ्यवर्धक पेय है.
इसमें के Caffeine अतिरिक्त Epigallocatechin gallate (EGCG) नामक एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है, जो दोनों ही मेटाबोलिज्म को बढ़ा देते हैं.(देखिये ACJN का शोध ).
जब मेटाबोलिज्म बढ़ जायेगा तो शरीर में चर्बी भी जमा नहीं हो पायेगी.
EGCG एक प्रकार की Catechin है जिसे कई शोध पेट की चर्बी घटाने के लिए लाभकारी मानते हैं.
यह और भी प्रभावकारी हो जाती है जब इसके उपयोग के साथ साथ व्यायाम भी किया जाए
10 व्यायाम, योग
पेट की चर्बी घटाने के लिए आपको वे व्यायाम और पेट कम करने के लिए योगासन ज़रूर करने चाहिए
जिनसे पेट की गतिशीलता बढती हो.
पेट को तेज़ी से अंदर बाहर करने के व्यायाम और योग जैसे कि
ताड़ासन, सूर्यनमस्कार, कपालभाति इत्यादि इसमें लाभकारी पाए गए हैं.
शुरुआत में आपको यह सभी एकसाथ करने में तकलीफ हो सकती है,
इसलिए आरम्भ में, पेट को 15-20 या अधिक बार तेज़ी से अंदर बाहर करें.
आपको लगे कि पेट के मस्सल्स पर कुछ प्रभाव पड़ा है.
इसे दिन में तीन बार करिए; सुबह खाली पेट शौच निवृति के बाद, दोपहर और रात को खाना खाने से 10-15 मिनट पहले.
परिणाम आपको आश्चर्यचकित कर देंगे.
सारशब्द
यदि कोई आपको चमत्कारी औषधि से मोटापा ख़त्म करने का प्रलोभन दे रहा है, तो समझ लीजिये आप को बेवकूफ बनाया जा रहा है.
इस प्रकार की चमत्कारी औषधियां पहले दो तीन सप्ताह में तो असर दिखाती है क्योकि सबसे पहले शरीर से पानी का निकास होता है.
लेकिन जब बात चर्बी की आती है तो इन सबकी पोल खुलने लगती है.
यही नहीं, इन दवाओं के घातक परिणाम भी होते हैं.
जिनमें उर्जा की कमी, चक्कर आना और मेटाबोलिज्म का बिगड़ना एक सामान्य साइड इफ़ेक्ट रहता है.
मोटापे के लिए एक विस्तृत रणनीति होनी चाहिए, जो पूरी उम्र मोटापे को फिर से न पनपने दे.
बताये गए सभी विकल्प विज्ञान और शोध आधारित हैं और आयुर्वेद सम्मत भी.
यदि आप इनमें से किसी एक को अपना कर मोटापा कम करने की सोचें तो इतने अच्छे परिणाम नहीं मिलेंगे
जितने कि सबको अपनाने से.
सभी उपाय अपनाईये, निश्चित ही बिना कोई तकलीफ झेले.
आप पेट और शरीर के मोटापे से निजात पा लेंगे.
यदि तीन से पांच महीने में अन्य लोग अपना वज़न 120 किलो से घटा कर 65-70 तक ला सकते हैं तो आप क्यों नहीं.
सार यह है, कि जब आपकी स्वास्थ्य आदतें और आहार दोनों ही बेहतरीन हों,
तो चर्बी का गायब हो जाना एक सामान्य प्रक्रिया बन जाती है
और आप सुंदर सुडौल व्यतित्व फिर से पा लेते हैं.
Nice information. Thanks
I tried coconut oil, intermittent fasting and PBF for around one month and lost my belly fat considerably.
Easy to follow tips. Thanks for sharing