सूर्य नमस्कार की परम्परा वैदिक ऋचाओं में भी है, और योगासनों में भी.
आखिर हो भी क्यों न.
हम जिस धरा धाम में जीवन का आनन्द उठाते हैं उसके अधिष्ठाता सूर्यदेव ( Sun God) ही हैं.
भागवतगीता में प्रभु श्रीकृष्ण ने अपने श्रीमुख से उल्लेख किया है कि अर्जुन से पहले उन्होंने गीता का ज्ञान सूर्यदेव को ही दिया था.
तभी तो बिना किसी पक्षपात के, सूर्यदेव सभी के जीवन को प्राण और उमंग देने का कार्य करते हैं.
वर्षा के कारक हैं, वायु का संचार करते हैं, वनस्पतियों कि उत्पत्ति करते हैं जिससे सब प्राणियों को जीवन मिलता है.
आदि देव नमस्तुभ्यं, प्रसीद मम भास्कर:।
दिवाकर नमस्तुभ्यं, प्रभाकर नमोऽस्तुते ।।
त्रैगुण्यं च महाशूरं ब्रह्मा विष्णु महेश्वरम्।
महापाप हरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्।।
योगासनों में भी सूर्य नमस्कार की परम्परा है.
क्या है सूर्य नमस्कार योगासन
सूर्य नमस्कार में कुल 12 आसनों का समावेश रहता है.
इन सभी को 12 बार करने में 12 से 15 मिनट का समय लगता है और ऐसा उल्लेख है कि इन्हें करने से 288 योगासनों का लाभ मिलता है.
सूर्य नमस्कार के आसन और विधियाँ
सूर्य नमस्कार में कुल 12 आसन होते हैं।
इसमें 6 विधि के बाद फिर उन्हीं 6 विधि को उल्टे क्रम में दोहराते हैं।
सूर्य नमस्कार को सुबह सूर्य की पहली किरणों के मिलते ही करना चाहिए।
आसनों का अभ्यास स्वच्छ और खुलें हवादार वातावरण में करें, आपको अधिक लाभ मिलेगा।
एक बात और, इन आसनों को क्रम बद्ध रूप से ही करना चाहिए।
1 प्रणाम आसन – Pranamasana
सीधे खड़े हो जाएँ।
फिर दोनों हाथों को कंधे के समानांतर उठायें।

प्रणाम आसन – Pranamasana
दोनों हथेलियों को ऊपर की ओर ले जाएँ।
हथेलियों के पृष्ठ भाग एक-दूसरे से चिपके रहें।
फिर उन्हें उसी स्थिति में सामने की ओर लाएँ।
तत्पश्चात नीचे की ओर गोल घुमाते हुए नमस्कार की मुद्रा में खड़े हो जाएँ।
2 हस्तउत्तानासन – Hastauttanasana
अब गहरी श्वास भरें और दोनों हाथों को ऊपर की ओर ले जाएं।

हस्तउत्तानासन – Hastauttanasana
अब हाथों को कमर से पीछे की ओर झुकाते हुए भुजाओं और गर्दन को भी पीछे की ओर झुकाएँ।
3 हस्तपादासन – Hasta Padasana
इस स्थिति में आगे की ओर झुकतें हुए श्वास को धीरे-धीरे बाहर निकालें।

हस्तपादासन – Hasta Padasana
हाथों को गर्दन के साथ, कानों से लगाते हुए नीचे लेकर जाएँ और हाथों से पृथ्वी का स्पर्श करें।
अब कुछ क्षण इसी स्थिति में रुकें और घुटनों को एक दम सीधा रखें।
4 अश्वसंचालासन – AshwaSanchalanasana
इस स्थिति में हथेलियों को भूमि पर रखें।
श्वास को लेते हुए दायें पैर को पीछे की ओर ले जाएँ।

अश्वसंचालासन – AshwaSanchalanasana
अब गर्दन को ऊपर की ओर उठाएँ।
अब इस स्थिति में कुछ समय तक रुकें।
5 अधोमुखश्वानासन – Adho Mukha Svanasana
इस स्थिति में श्वास को धीरे-धीरे छोड़ते हुए बायें पैर को पीछे की ओर ले जाएँ।

अधोमुखश्वानासन – Adho Mukha Svanasana
ध्यान रहें इस स्थिति में दोनों पैरों की एड़ियाँ परस्पर मिली हुई हों।
अब गर्दन को नीचे झुकाकर ठोड़ी को कंठ में लगाने का प्रयास करें।
6 अष्टांगनमस्कारासन – AshtangaNamaskara
इस स्थिति में धीरे धीरे श्वास लें और शरीर को पृथ्वी के समानांतर रखें जैसे आप दंडवत प्रणाम के समय होते हैं,

अष्टांगनमस्कारासन – AshtangaNamaskara
ठीक उसी के प्रकार शरीर को पृथ्वी के समानांतर रखें।
अब घुटने, छाती और ठोड़ी पृथ्वी पर लगा दें। छाती को थोड़ा ऊपर उठायें। अब धीरे धीरे श्वास छोड़े।
7 भुजंगासन – Bhujangasana
इस स्थिति में धीरे-धीरे श्वास को लेते हुए छाती को आगे की ओर खींचे।
हाथों को सीधे रखें, हथेलियां पृथ्वी पर लगी हों।

भुजंगासन – Bhujangasana
अब गर्दन को धीरे धीरे पीछे की ओर ले जाएँ।
घुटने पृथ्वी का स्पर्श करें तथा पैरों के पंजे खड़े रहें।
8 अधोमुखश्वानासन – AdhoMukhaShvanasana
यह स्थिति पांचवीं स्थिति के समान है।
इस स्थिति में श्वास को धीरे-धीरे छोड़ते हुए बायें पैर को पीछे की ओर ले जाएँ।

अधोमुखश्वानासन – AdhoMukhaShvanasana
ध्यान रहें इस स्थिति में दोनों पैरों की एड़ियां परस्पर मिली हुई हों।
अब गर्दन को नीचे झुकाकर ठोड़ी को कंठ में लगाने का प्रयास करें।
9 अश्वसंचालासन – Ashwasanchalanasana
यह स्थिति चौथी स्थिति के समान है।
इस स्थिति में हथेलियों को भूमि पर टिकाएं।
श्वास को लेते हुए दायें पैर को पीछे की ओर ले जायें।
अब गर्दन को ऊपर उठाएँ।
अब इस स्थिति में कुछ समय तक रुकें।
10 हस्तपादासन – Hast Padasana
यह स्थिति तीसरी स्थिति के समान हैं। इस स्थिति में आगे की ओर झुकतें हुए श्वास को धीरे-धीरे बाहर निकालें। हाथों को गर्दन के साथ, कानों से लगाते हुए नीचे लेकर जाएँ और हाथों से पृथ्वी का स्पर्श करें। अब कुछ क्षण इसी स्थिति में रुकें और घुटनों को एक दम सीधा रखें।
11 हस्तउत्तानासन – Hastauttanasana
यह स्थिति दूसरी स्थिति के समान हैं।
इसमें धीरे धीरे श्वास भरते हुए दोनों हाथों को कानों से सटाते हुए ऊपर की ओर तानें
तथा भुजाओं और गर्दन को पीछे की ओर झुकायें।
12 प्रणामासन – Pranamasana
यह स्थिति पहली स्थिति के समान रहेंगी।
सूर्य नमस्कार को करने के बाद कुछ देर शवासन करें।
सूर्य नमस्कार की बारह स्थितियाँ हमारे शरीर के समस्त रोगों को दूर कर हमें निरोगी बनाती हैं।
इसके नियमित अभ्यास से शरीर की फ़ालतू चर्बी कम हो जाती है।
तो इस आसन के नियमित अभ्यास से निरोगी काया को पायें और एक स्वस्थ जीवन बितायें।
Bahut badhiya. Thanks
सूर्य नमस्कार में यदि बकासन अर्थात पक्षी के समान दौनों बाहें फैला कर दाऐ बाऐ ट्विस्ट दिया जाए तो कमर बाहं सीना पेट जननांग सभी पर लाभ होता है। अश्व संचालन मुद्रा के स्थान पर।
मेरे द्वारा रचित एवं अनुभूत है।
माथुर जी, आपके सहयोग के लिये अतिशय धन्यवाद,
कृपया अपना विडियो भेजने का कष्ट कीजिये, जनहित में शेयर कर देंगे,
आपसे किस नम्बर पर कब सम्पर्क किया जा सकता है?
9501307990, 7696036990