वैसे तो सभी अंकुरित आहार बेहतरीन पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं. लेकिन गेहूं के ज्वारे के गुण कुछ अधिक ही होते हैं;
विशेषकर इसकी एंटीऑक्सीडेंट क्षमता और पोषक तत्वों की विपुलता के कारण.
यह इसलिए, क्योंकि गेहूं के ज्वारे विटामिन E, K, जिंक और क्लोरोफिल (chlorophyl) से भरपूर होते हैं जिन्हें बेहतरीन पोषक तत्व माना जाता है.
गेहूं के ज्वारे को हरा रक्त (Green blood) भी कहा जाता है.
क्या होते हैं गेहूं के ज्वारे
जब गेहूं (English name: Wheat; Botanical name: Tritcum aestivum) के बीजों को मिट्टी में अंकुरित कर
दस बारह दिन तक बढ़ने दिया जाता है
तो इसके दो से तीन इंच तक बड़े अंकुरण कोमल पत्तों में बदल जाते हैं.
यही कोमल अंकुरित पौधे गेहूं के ज्वारे कहलाते हैं.
गेहूं के ज्वारे का नियमित उपयोग करने के लिए, सेहत के प्रति जागरूक बहुत सारे परिवार,
इन्हें प्लास्टिक की चौकोर या मिट्टी की गोल ट्रेज में उगाते हैं.
पोषण तथ्य
गेहूं के ज्वारे की केवल 4 ग्राम मात्रा में
विटामिन E (Alpha Tocopherol) 320mg,
Thiamin अथवा विटामिन B1 11.0mg,
Riboflavin अथवा विटामिन B2 () 260mg,
Niacin अथवा विटामिन B3 252mg,
Pantothenic Acid अथवा विटामिन B5 36.0mg,
विटामिन B6 39.0mg और विटामिन B12 0.1mcg तक पाए जाते हैं.
यह क्रमश: हमारी रोजाना ज़रूरत की मात्रा के 1600%, 733%, 15294%, 1260%, 360%, 1950% और 1% होते हैं.
जब इतनी अधिक मात्रा में पोषक तत्व मिलेंगे तो गेहूं के ज्वारे को एक सुपर फ़ूड कहना बिलकुल वाजिव ही है.
यही नहीं, इनमें आयरन, जिंक, कॉपर, मैंगनीज और सेलेनियम जैसे खनिज भी भरपूर मात्रा में मिलते हैं.
विटामिन A, C और K भी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं.
उपलब्ध chlorophyll और विशेष किस्म के flavonoids इन्हें स्वास्थ्य के लिए और अधिक गुणकारी बना देते हैं.
1 कैंसर में रामबाण
जब कैंसर का उपचार रेडियोथेरेपी या केमोथेरेपी से किया जाता है तो शरीर में विषतत्व उत्पन्न हो जाते हैं.
इन विषतत्वों को Myelotoxicity कहा जाता है.
फलस्वरूप, शरीर में रक्त की नयी कोशिकाओं का निर्माण रुकने लगता है, लाल और सफ़ेद दोनों का.
सफ़ेद कोशिकाएँ हमें रोग प्रतिरोधी क्षमता देती हैं और लाल कोशिकाएँ उर्जा और ऑक्सीजन का प्रवाह बढाती हैं.
सफ़ेद कोशिकाओं की कमी को Neutropenia कहते हैं जबकि लाल कोशिकाओं की कमी को Anemia कहा जाता है.
रेडियोथेरेपी या केमोथेरेपी के कारण जब रक्त की नयी कोशिकाओं का निर्माण रुकता है, तो कमज़ोरी के कारण इलाज के बीच में ही मृत्यु हो जाती है.
शोधों ने गेहूं के ज्वारे का उपयोग Myelotoxicity को के प्रभाव को रोकने और कम करने में उपयोगी पाया है. (1, 2, 3)
2 अल्सरेटिव कोलाइटिस में लाभकारी
पेट के रोगों में आँतों की सूजन एक विकट समस्या मानी जाती है.
जब सूजन के कारण बार बार आंव और रक्त युक्त दस्त आने लगें, तो इसे ulcerative colitis रोग कहा जाता है.
कई सारे शोधों ने पाया है कि गेहूं के ज्वारे के रस के नियमित उपयोग से आँतों के घाव (अल्सर ) बढ़ने से रुक जाते हैं. (4, 5, 6)
3 डायबिटीज में उपयोगी
बाज़ार में डायबिटीज के लिए कई दवाएं उपलब्ध हैं जिनके उपयोग से blood sugar लेवेल्स को कम किया जा सकता है.
लेकिन इनके दुष्परिणाम भी होते हैं जो इनसे मिलने वाले लाभ को नकार देते हैं.
दुष्परिणामों में लिवर और किडनी की कमज़ोरी सबसे मुख्य माने जाते हैं.
इसलिए डायबिटीज के पारंपरिक उपचारों और आहारों की अहमियत और भी बढ़ जाती है.
2014 में चूहों पर हुए हुए एक शोध ने पाया कि गेहूं के ज्वारे का रस पिलाने से टाइप 2 डायबिटीज की रक्त शर्करा के स्तरों में सुधार आ जाता है.
ऐसे ही परिणाम एक अन्य शोध भी मिले जो 2013 में किया गया था. (7, 8)
4 लिवर रोगों में उत्तम
एक शोध ने पाया कि गेहूं के ज्वारे से अल्कोहल के कारण पनपे फैटी लिवर रोग को ठीक किया जा सकता है.
जबकि एक अन्य शोध ने ये भी प्रमाणित किया कि कीमोथेरेपी के कारण विकृत हुए हुए लिवर का इलाज ज्वारे के जूस से किया जा सकता है.
सभी शोध एकमत हैं कि इनके उपयोग से शरीर के विषद्रव्यों का निस्सारण बेहतर तरीके से किया जा सकता है जो लिवर और कई अन्य अंगों को कमज़ोर करते हैं. (9, 10)
5 कोलेस्ट्रॉल नियंत्रक
यद्यपि कोलेस्ट्रॉल हमारे जीवन के लिए बेहत ज़रूरी होती है, लेकिन इसके विभिन्न रूपों में तालमेल भी ज़रूरी है.
LDL कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना या /तथा HDL कोलेस्ट्रॉल का मानक स्तर से कम होना ह्रदय रोगों को जनम दे सकता है.
गेहूं के ज्वारे के रस का उपयोग कोलेस्ट्रॉल के संतुलन को बेहतर बनाने में सहायक पाया गया है. ( 11 )
6 आर्थराइटिस में राहत
हालाँकि कोई विशेष शोध नहीं हुए हैं, लेकिन कई सारे शोध यह प्रमाणित करते हैं कि शाक सब्जियां जिनमे chlorophyl की अधिकता हो, गठियावात में राहत देती हैं.
इस लिहाज से गेहूं के ज्वारे भी arthritis में लाभकारी माने जा सकते हैं, क्योंकि इनमें विपुल chlorophyl होती है. ( 12)
7 तनाव और थकान में लाभकारी
स्ट्रेस, चिंता और इनसे उपजी थकान आजकल के जीवन का एक अभिन्न अंग है.
तीनों के निवारण के लिए anti-oxidants का उपयोग बड़ा ही महत्त्व रखता है.
क्योंकि गेहूं के ज्वारे में लगभग सभी प्रकार के एंटी-ऑक्सीडेंटस भरपूर मिलते हैं,
जैसे कि विटामिन E, K और जिंक इत्यादि.
इसलिए, इनके नित्य उपयोग से आप रोज़मर्रा के तनाव और थकान से मुक्ति पा सकते हैं.
कई सारे शोध भी यही बताते हैं. (13, 14, 15, 16 )
उपयोग विधियाँ
गेहूं के ज्वारे का सबसे आसान और कारगर तरीका इसका जूस निकाल कर उपयोग करना ही है.
ताज़े ज्वारे को मिक्सर में घुमा दीजिये, जूस तैयार हो जायेगा.
जूस निकलने के लिए विशेष किस्म के juicer भी उपयोग किये जाते हैं.
यदि आप घर पर ज्वारे नहीं उगा पाते हैं तो इसके कई सप्लीमेंट्स भी बाज़ार में उपलब्ध हैं
जिन्हें आप घर बैठे ऑनलाइन स्टोर्स से मंगा सकते हैं.
यह सप्लीमेंट्स, जूस, capsules, टेबलेट्स और चूर्ण powder के रूप में उपलब्ध कराये जाते हैं.
गेहूं के ज्वारे के Capsules सप्लीमेंट्स इस लिंक पर देखे खरीदे जा सकते हैं.
सारशब्द
गेहूं के ज्वारे हमें कई गंभीर रोगों से बचा सकते हैं और उत्तम स्वास्थ्य दे सकते हैं.
इनका नियमित उपयोग कीजिये, आप हमेशा तंदुरुस्त रहेंगे.