गुणहीन और हानिकारक शाक सब्ज़ियां - सावधान रहें hanikarak food sabji salad ahar

गुणहीन और हानिकारक शाक सब्ज़ियां – सचेत रहिये

आयुर्वेद में कई गुणहीन और हानिकारक शाक सब्ज़ियां बताई गयी हैं.

लेकिन पिछले पांच सात दशकों में विज्ञानियों के एक बड़े तबके को आयुर्वेद की हर बात को नकारने से ही संतुष्टि मिलती थी.

अब परिदृश्य बदलने लगा है.

शोधकर्ताओं का एक बड़ा वर्ग अब आयुर्वेद के मत से सहमत होने लगा है.

इन विज्ञानियों ने आयुर्वेद में वर्णित गुणहीन आहारों पर शोध कर ये पाया है कि ऐसे आहारों के स्वास्थ्य पर होने वाले दुष्प्रभाव इनसे मिलने वाले लाभों से कहीं अधिक हो सकते हैं.

यह शोध दो अन्य तथ्यों पर भी आधारित रहे हैं.

वे हैं:

1. पेस्टिसाइडस के उपयोग से मिलने वाले दुष्प्रभाव, तथा

2. उन्नत किस्में बनाने के लिये आहारों में किये गए अनुवांशिक बदलाव (Genetic modification)

जिन्हें genitically modified किस्में कहा जाता है.

गुणहीन और हानिकारक शाक सब्ज़ियां

आईये जानते हैं, कुछ गुणहीन और हानिकारक शाक सब्ज़ियां, जो शोधों द्वारा हानिकारक साबित की जा चुकी हैं.

1 खीरा, ककड़ी (Cucumbers)

खीरा आपका पसंदीदा सलाद हो सकता है.

लेकिन इसके एक कप से केवल 16 कैलोरी मिलती हैं.

ये उनके लिये तो ठीक हो सकता है जो अपना वज़न घटाना चाहते हैं.

लेकिन खीरे में हमारी नित्य ज़रूरत के 5% से भी कम पोटैशियम, मैंगनीज, मैग्नीशियम व विटामिन C मिलते हैं.

उर्जा देने वाले प्रोटीन, कार्बोहायड्रेट और वसा तो लगभग मिलते ही नहीं हैं.

kheera-cucumber ke nuksan in hindi

खीरा, खाने में तरोताज़ा करने वाला अवश्य लगता है, लेकिन ये केवल इससे उपलब्ध होने वाले रसीले पानी के कारण उत्पन्न होने वाली ताजगी होती है, जिसमें पोषण नाम की कोई चीज़ नहीं होती.

दूसरी मुख्य बात…

खीरे में लगभग 35 किस्म के पेस्टिसाइडस रहते हैं जिनका उपयोग इसके पत्तों, बेलों, फूलों व फलों की रक्षा के लिये किया जाता है.

इनमें से कुछ पेस्टिसाइडस हमारे होर्मोंस की क्रिया को बिगाड़ने का काम करते हैं,

जबकि अन्य कई पेस्टिसाइड नयूरोटोक्सिन होते हैं जो हमारी नर्वस तंत्र की सामान्य क्रियाओं को बिगाड़ कर रोगकारक बन जाते हैं.

2. शिमला मिर्च (Capsicum)

दुर्भाग्यवश, शिमला मिर्च को जोड़ों के दर्द सम्बन्धी रोगों का एक बड़ा कारक माना जाता है.

इसीलिए इसका सेवन दोनों प्रकार की आर्थराइटिस (rheumatoid arthritis व osteoarthritis), गाउट इत्यादि में मना किया जाता है.
capsicum shimla mirch ke nuksan in hindi
शिमला मिर्च nightshades वर्ग का हिस्सा है जिनमें सोलानिन (solanine)  नामक क्रियाशील तत्व पाया जाता है.

सोलानिन को नाड़ीतंत्र विकृतियों जैसे हाथों की कंपकपी, अंगों की ऐंठन व अकारण हलचल के लिये जिम्मेदार माना जाता है.

बहुत से अमरीकी नागरिक सूजन से पीड़ित रहते हैं, जिसे डायबिटीज, ह्रदयरोग व कैंसर का प्रणेता (precusor) माना जाता है.

यद्यपि इस के कई अन्य कारक भी होते हैं; जैसे कि तनाव, रिफाइंड आहार व वंशानुगत विसंगतियां;

लेकिन शोधों के अनुसार, nightshade वर्ग के आहार भी इन को बड़ा बल देते हैं.

3. बैंगन (Brinjal)

बैंगन वैसे तो एक संतुलित पौष्टिक आहार है लेकिन इस पर पेस्टिसाइडस इतने छिडके जाते हैं कि इसके सारे गुण नगण्य हो जाते हैं.

यदि बैंगन का सेवन करना हो तो घर पर उगाये बैंगन का ही भरोसा करें

टमाटर, शिमला मिर्च की भांति ही बैंगन भी nightshade परिवार का सदस्य है, जिसमें सोलानिन की मात्रा उच्चतम स्तर पर रहती है.

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सबको तो नहीं लेकिन जिन्हें किडनी या मूत्राशय की पथरी समस्या हो, उन्हें बैंगन से दूर ही रहना चाहिए.

बैंगन में काफी अधिक ऑक्सालेटस (oxalates) पाए जाते हैं जो किडनी और मूत्राशय की पथरी का मुख्य कारक होते हैं.

3. मक्का भुट्टा (Maize Corn)

मक्का एक बढ़िया आहार है जिसमें कार्बोहायड्रेटस, प्रोटीन, विटामिन B-6, मैग्नीशियम व आयरन लगभग प्रचुर मात्रा में मिल जाते हैं.

गांवों में पैदा होने वाला देसी मक्का खाने के लाभ ही हैं, हानि कोई भी नहीं.
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समस्या केवल शहरों में मिलने वाले भुट्टा व पॉपकॉर्न में है.

वास्तव में मक्का में किये गए अनुवांशिक बदलाव इसके हानिकारक होने का मुख्य कारण हैं.

मक्का में बदलाव लाने के लिये डाले गए नए प्रकार के जीन्स (Genes) के कारण कुछ ऐसे प्रोटीन्स का निर्माण होने लगा है जिन्हें हमारा शारीरिक तंत्र पहचान नहीं पाता.

फलस्वरूप, हमारे अंदर की संवेदनशीलता ने नए प्रकार के आयाम ले लिये हैं.

जिनमें होर्मोंस में अप्रत्याशित बदलाव, व पाचन तंत्र की विकृतियाँ मुख्य हैं.

GMO मक्का अमेरिका में एलर्जी का एक बहुत बड़ा कारक बन गया है जिसने वहां अब एक महामारी का रूप ले लिया है.

समय रहते, हम भारतियों को भी चेत जाना चाहिए.

4. पत्ता गोभी (Cabbage)

पत्ता गोभी ही एक ऐसा आहार है जिसमें विटामिन C (60%) को छोड़ कोई भी पोषक पदार्थ नहीं मिलता.

जो मिलता है वह भी न के बराबर.

जैसे रोजाना ज़रूरत का आयरन 2%, मैग्नीशियम 3%, कैल्शियम 4%, विटामिन A 0%, विटामिन D 0%,  B12- 0%, B6- 5%, प्रोटीन 2% इत्यादि इत्यादि.

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दूसरी तरफ इसके उपयोग से थाइरॉइड विकार (hypothyroidism), अफारा इत्यादि होना आम बात है.

माँ का दूध पीते उन बच्चों के; जिनकी माएं अधिक पत्ता गोभी खाती हैं; पेट जल्दी अकारण रोगग्रस्त होते पाए गए हैं.

पत्तागोभी में भी पेस्टिसाइडस का धड़ल्ले से उपयोग होता है.

5. टमाटर (tomato)

टमाटर एक अन्य आहार है जो देसी है तो ठीक; अन्यथा वे नयी किस्में जो सप्ताहों रखने पर भी खराब नहीं होती,

उनसे ज़रूर बचना चाहिए.

सोचने की बात है जो टमाटर बाहर रखे 10-15 दिन तक खराब नहीं होता उसको हमारे पेट के बैक्टीरिया कैसे विघटित कर पायेंगे.

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टमाटर में लाइकोपिन (lycopene) नामक रासायनिक योग होता है जिसे कैंसर रोधी माना जाता है.

लेकिन इसकी अधिक मात्रा हमारे इम्यून तंत्र को बिगाड़ भी देती है.

टमाटर में अच्छे गुण होते हुए भी इसकी उन्नत किस्मों को IBS संग्रहणी,  किडनी स्टोन, प्रोस्टेट कैंसर व खुजली व चित्ते उभरना (urticaria)  का कारक माना गया है.

टमाटर भी nightshade परिवार का एक सदस्य है.

इस परिवार के सभी सदस्य जैसे बैगन, शिमला मिर्च, आलू, टमाटर इत्यादि सभी में solanine होने के कारण हानिकारक सूजन व जोड़ों के दर्द के कारण माने जाते हैं.

अन्य कारण.

इस परिवार के पौधों पर कीट रोग जल्दी लगते हैं,

जिस कारण इन पर pesticides का बेहद उपयोग किया जाता है.

पेस्टिसाइड विषाक्तता के कारण इनसे बचने में ही समझदारी है.

लाभ लेने के लिए टमाटर भी देसी ही चुनें.

6. मूली (Radishes)

यद्यपि मूली में विटामिन C 24% होता है, लेकिन रोजाना ज़रूरत का विटामिन C पाने के लिये आपको इसकी 400 ग्राम मात्रा खानी पड़ेगी.

मूली में अन्य विटामिन जैसे A, D, B-12, सब 0% होते हैं जबकि आयरन 1%, कैल्शियम और मैग्नीशियम केवल 2%.

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मूली को खांसी, जुकाम, bronchitis, एलर्जी का कारक माना जाता है.

अधिक सेवन करने से ये पाचन तंत्र पर भी विपरीत प्रभाव डालती है.

इसे सूजन बढाने वाला भी पाया गया है.

मूली एक goitrogenic food है इसलिए इसका सेवन thyroid विकृति में बिलकुल नहीं करना चाहिए.

मूली में pesticides का कम उपयोग होने के कारण इसे slad के रूप में लिया जा सकता है, लेकिन कम मात्रा में.

7. अन्य आहार

इस प्रकार के आहारों की लिस्ट लम्बी है, जो या तो गुणहीन हैं या जेनेटिक किस्मों के कारण घातक भी बन गए हैं.

अन्य गुणहीन आहारों में सरसों के पत्तों का नाम सब से ऊपर है.

कुछ आहार पोषक होते हुए भी हानिकारक हो गए हैं.

क्योंकि उन पर pesticides का उपयोग धड़ल्ले से किया जाता है.

इन में गोभी, पालक, ब्रोक्कोली (broccoli) इत्यादि मुख्य हैं.

भुट्टा, टमाटर, खीरा इत्यादि की कई किस्में भी अब जोड़ों के दर्द, किडनी रोग और एलर्जी का कारण बन रही हैं.

जिनमें पैदावार बढाने के लिये, कीटरोधी (anti pest) करने के लिये

या उनका जीवनकाल (shelf life) बढ़ाने के लिये अनुवांशिक बदलाव किये गए हैं.

यह अनुवांशिक बदलाव हमारे पाचन और इम्यून तंत्र को भी प्रभावित करते पाए गए हैं, जिस कारण पेट के IBS संग्रहणी और आँतों की सूजन जैसे रोग पनप रहे हैं.

Celliac रोग के पीछे भी गेहूं की उन्नत किस्मों को ही जिम्मेदार पाया गया है.

पेस्टिसाइड कम करने का घरेलू उपाय

सभी घरों में सब्जीयां नहीं लगायी जा सकती.

विशेषकर जो शहरों में रहते हैं उनके पास जगह और समय दोनों की कमी रहती है.

उन्हें बाज़ार से ही शाक सब्जीयां लेनी पड़ती हैं.

यदि आप भी बाज़ार से सब्जियां लेकर आते हैं तो सब्जियों को आधे घंटे तक सेव का सिरका अथवा एप्पल साइडर विनेगर (ACV) मिले पानी में डुबो कर रखें.

तीन चार लीटर पानी में एक बड़ा चम्मच एप्पल साइडर विनेगर (ACV) काफी होता है.

फिर साफ़ पानी से धो कर खंगालकर उपयोग करें या फ्रिज में रखें.

सारशब्द

आये दिन हो रहे शोध ये प्रमाणित कर रहे हैं कि गुणहीन आहारों के अतिरिक्त pesticides उपयोग किये व अनुवांशिक बदलाव किये आहार भी लाभ देने की अपेक्षा हानिकारक बन रहे हैं.

ज़रूरत है कि हम आहारों की देसी किस्मों का ही उपयोग करें,

और बिना पेस्टिसाइड उपयोग के पैदा किये आहार ही लें.





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