क्योंकि IBS रोग के पनपने में भी समय लगता है इसलिए इसके उन्मूलन के लिए भी हमें कदम दर कदम सुधार के लक्ष्य रखने होते होते हैं.
IBS रोग के मुख्य विकार
मोटे तौर पर, IBS की तीनों किस्मों के विकार निम्न प्रकार से विभाजित किये जा सकते हैं:
अनियमित पेट की सफाई से होने वाले विकार
भूख न लगना, भूख होते हुए भी पूरा भोजन न कर पाना, या फिर भूख होते हुए भी अपचन का बने रहना
हाजत होने पर भी मल का सही एवं पूरा निकास न होना,
मल का चिपचिपा होना, ऐसा प्रतीत होना कि मल आँतों से चिपक गया है,
पेट में लगातार भारीपन का बने रहना,
सुस्ती, चिडचिडापन और काम में मन न लगना
अतिसार और सूजन से उत्पन्न विकार
दिन में चार पांच बार से अधिक शौच का आना,
खाना खाते ही शौच आ जाना,
शौच में आंव या खून का आना,
पेट के दायें, बाएं या फिर पूरे निचले हिस्से में दर्द का बने रहना
गुदाभाग में चुभन या भारीपन प्रतीत होना
कभी दस्त तो कभी कब्ज़ का होना
अन्य सम्बंधित विकार
अत्यधिक गैस का बनना,
जलन, एसिडिटी, पेट में पीड़ा का बने रहना,
नाभि का खिसकना
सिर और शरीर में भारीपन बने रहना
हर समय नींद जैसा अनुभव करना लेकिन सो जाने पर पूरी गहरी नींद न ले पाना.
लिवर में सूजन होना या चर्बी का जमा होना (fatty liver)
शरीर, जोड़ों में थकान का बने रहना.
विशेष:
दिए गए विकार केवल सांकेतिक हैं.
आयु, रोग की उग्रता के अनुसार यह बदल भी सकते हैं.
यह ज़रूरी नहीं कि सब में एक ही जैसे सभी विकार हों, अर्थात यह कम या अधिक भी हो सकते हैं.
जानिये क्या हैं IBS संग्रहणी कोर्स के चिकित्सा लक्ष्य.
पहला लक्ष्य : उग्र अथवा तेज़ विकारों का इलाज
इस चरण में उन विकारों का इलाज किया जाना चाहिये जो उग्र हों.
जैसे कि कब्ज़ निवारण, अतिसार निवारण, जलन-एसिडिटी जैसे विकार.
इसी कड़ी में आगे चल कर पेट की सूजन, इंटरल gastritis इत्यादि का दूरगामी उपचार किया जाना चाहिये.
लिवर विकार भी इसी चरण में सुधारे जाने चाहिये.
यह चरण औषधियों के उपयोग से पूरा किया जाता है.
दूसरा लक्ष्य : पाचन क्रिया का सुधार
पहले चरण में सुधार आने पर अगला लक्ष्य होता है
भूख का सुधार, पेट की नियमितता बनाना और पाचनक्रिया तंत्र में सुधार लाना
इसे औषधियों और खानपान के नियमों और तरीकों में बदलाव कर सुधारा जाता है.
तीसरा लक्ष्य – पेट के पाचन पर्यावरण में सुधार
यह चरण काफी लम्बा चलता है.
खानपान में ऐसे बदलाव लाने होते हैं जिससे लाभकारी बैक्टीरिया निरंतर उपलब्ध होते रहें.
और आप ताउम्र IBS संग्रहणी को दोबारा पनपने का मौका ही न दें.
IBS संग्रहणी कोर्स के चिकित्सा लक्ष्य, रणनीति और सेवन विधि
बताये गए लक्ष्य सामने रखते हुए
औषधि लेने की विधि भी अच्छी तरह जान लेनी चाहिए.
आपको अपने आहार में तरतीब बार कुछ बदलाव करने चाहिए जो आपको बताये जाते हैं.
किसी भी संदेह समाधान या अतिरिक्त जानकारी के लिए ईमेल से निसंकोच परामर्श लेते रहें.
लिखित में मिले सुझाव कभी भी देखे जा सकते हैं.
आप कभी कभार फ़ोन पर भी सलाह मशवरा कर सकते हैं.
लेकिन याद रखिये, सुने हुए सुझाव आप भूल भी सकते हैं.
औषधियों की सेवन विधि इस लिंक पर देखिये
IBS संग्रहणी का स्थायी उपचार
कोई भी रोग दोबारा हो सकता है.
सामान्य खांसी जुकाम से लेकर पथरी, यूरिक एसिड, blood pressure इत्यादि सभी रोगों के सामान ही IBS भी दोबारा हो सकती है.
लेकिन यदि नियम से इन सबसे बचाव किया जाए तो यह कभी भी दोबारा नहीं पनपेंगे.
IBS के स्थायी उपचार में आवश्यक है कि आप अपने पेट के पाचन तंत्र को जल्दी से जल्दी ठीक करें
लाभकारी बैक्टीरिया को बढ़ाने के गुर जान लें.
और फिर निरंतर उनकी संख्या और किस्मों को विभिन्न आहारों से प्राप्त करते रहें.
यही IBS रोग का स्थायी समाधान है, दवाइयां कभी भी नहीं.
इलाज की अवधि में बैक्टीरिया बढ़ाने के आसान कारगर उपाय आपको बताये जायेंगे.
उन्हें पूरी संजीदगी के साथ अपनाईये, आपको कभी भी IBS की शिकायत नहीं होगी.