इसे खाने वाला सोडा और बेकिंग सोडा (Baking Soda) भी कहते हैं,
जिसका रासायनिक नाम Sodium bicarbonate (NaHCO3) होता है।
मीठा सोडा (Baking soda) के उपयोग
मीठा सोडा, खाने की कई चीज़ों में इस्तेमाल किया जाता है।
खमण ढोकला, डोसा और इडली के घोल में मीठा सोडा डालने से ये स्पंजी बनते हैं।
ब्रेड, केक, मफ़िन, और कुकीज़ में भी मीठा सोडा मिलाकर उन्हें मुलायम फुलाया जाता है।
इसे कठोर छिलके वाले राजमाह, चने इत्यादि के उबालने में भी उपयोग किया जाता है, जिससे वे मुलायम हो कर स्वादिष्ट, हल्के और सुपाच्य हो जाते हैं।
मिठाइयों में इसे जलेबी और इमरती बनाने में उपयोग किया जाता है।
फाफड़ा, फर्सन, खस्ता कचोरी, मठरी, पापड़ जैसे नमकीन में भी उपयोग होता है।
मीठा सोडा पेट आमाशय की एसिडिटी और गैस को कम करता है,
एसिड रिफ़्लक्स से तुरन्त राहत मिलती है और पाचन क्रिया तेज़ होती है।
बाजार में उपलब्ध कई प्रोडक्टस (जैसे Eno, GasOFast, PepFiz इत्यादि) में इसे टार्टरिक ऐसिड के साथ मिलाकर बेचा जाता है,
जिनको पीने से तुरन्त राहत महसूस होती है।
फलों और सब्जियों को छीले बिना उनसे कीटनाशकों को हटाने के लिए बेकिंग सोडा वॉश सबसे प्रभावी तरीका है।
एक अध्ययन में पाया गया कि सेब को बेकिंग सोडा और पानी के घोल में 12-15 मिनट तक भिगोने से लगभग सभी कीटनाशक अवशेष निकल जाते हैं।
नीम्बू मसाला सोडा-एसिडिटी पाचन के लिये नायाब
इस योग में मीठा सोडा तो होता ही है, साथ ही जब इसमें नीम्बू और जलजीरा मिला दिया जाता है तो स्वास्थ्य लाभ कई गुणा बढ़ जाते हैं।
यह नींबू के गुणों भरपूर हो जाता है और साथ ही इसमें पाचक मसालों जैसे धनिया, जीरा, अजवायन, सौंफ, अदरक, काली मिर्च, काला नमक के गुण भी समाहित हो जाते हैं।
1 पाचन क्रिया सुधारक
आजकल के खानपान में पेस्टिसाइडस और उन्नत किस्मों के अनाज, फल और सब्जियों का समावेश रहता है।
पेस्टिसाइडस हमारे पाचन तंत्र के लाभकारी बैक्टीरिया को नष्ट कर नुकसान पहुंचाते हैं।
जबकि पैदावार बढ़ाने के लिए बनायीं गयी कई उन्नत किस्मों को हमारा पाचन तंत्र पचा ही नहीं पाता।
उदाहरण के लिए टमाटर को ही लेते हैं।
देसी टमाटर दों दिनों में ही पकने गलने लगता था जबकि उन्नत किस्म के टमाटर कई दिन या सप्ताह तक खराब नहीं होते।
जब आप इन्हें खायेंगे तो सपष्ट है, आपका पाचन तंत्र इन्हें 5-6 घंटे में अच्छे से पचा नहीं पायेगा।
परिणाम स्वरूप, यह पेट में जाकर पचने की बजाये सड़ने लगेंगे जिससे हानिकारक बैक्टीरिया पैदा होंगे, अपच की दिक्कत होगी।
नीम्बू सोडा के नियमित उपयोग से पेट में आहार के सड़ने, गलने से पैदा होने वाले विकारों में लाभ मिलता है.
2 गैस एसिडिटी में अत्यंत लाभकारी
हमारे अमाशय को भोजन पचाने के लिए एसिड की ज़रूरत होती है।
लेकिन जब अमाशय में आवश्यकता से अधिक एसिड होता है तो हमें एसिडिटी, गैस, खट्टी डकारें (Acid reflux), GERD जैसे विकार भी होते हैं।
पितज IBS संग्रहणी में भी गैस, अफारा और एसिडिटी का प्रकोप झेलना पड़ता है।
एसिडिटी के लिए एलोपैथी में एंटेसिड और PPIs (Proton Pump Inhibitors) दिए जाते हैं,
जैसे कि ऑसिड, ज़िंटेक, ओमिप्रज़ोल, रेबिप्रज़ोल, एसोमीप्रजोल इत्यादि।
इन दवाओं के कई दुष्प्रभाव होते हैं।
वे एसिड को बनने से नहीं रोकते, सिर्फ उसे अमाशय में भेजने से रोकते हैं।
नतीजतन, आपके रक्त की pH अम्लीय होने लगती है,
और कई अन्य रोग जैसे यूरिक ऐसिड, पथरी, गठियावात, माइग्रेन इत्यादि पनपने लगते हैं।
जैसे ही आप इन्हें छोड़ते हैं, आपको दुगना तिगुना कष्ट झेलना पड जाता है।
बेकिंग सोडा और नींबू के रस के नियमित उपयोग से अफारा, पेट की पुरानी एसिडिटी, पेट दर्द और पित्त विकारों से राहत मिलती है।
यह मसाला सोडा पीने के फायदे का एक सबसे बड़ा उदाहरण है।
3 क्षारीय संतुलन में सहायक
जब लम्बे समय तक गैस और एसिडिटी की समस्या बनी रहती है तो Acidosis नामक विकृति उत्पन्न हो जाती है, जिसे आयुर्वेद में पित्त प्रकृति का प्रकोप कहा जाता है.
आपके शरीर का हल्का सा क्षारीय होना स्वस्थ होने की पहली पहचान मानी जाती है.
स्वस्थता के लिए ज़रूरी है कि हमारे शरीर का pH हल्का सा क्षारीय हो यानि pH स्तर 7.15 से 7.45 के बीच रहे.
एसिडिटी के लगातार बने रहने से pH का स्तर अम्लीय हो जाता है, ये 7.0 से नीचे चला जाता है।
नतीजतन आप जलन, घबराहट, बेचैनी और असहजता अनुभव करते हैं।
जब आप नीम्बू सोडा का उपयोग करते हैं तो शरीर से अम्लता का निवारण हो जाता है
और आपका शरीर क्षारीय हो जाता है.
आप गैस एसिडिटी से राहत तो पाते ही हैं साथ ही आप स्वस्थ और हल्का भी अनुभव करते हैं।
4 कैंसर से बचाव
शरीर में अम्लता बने रहने को कैंसर के सबसे बड़े कारकों में से एक जाना गया है।
शोध बताते हैं कि अधिकतर कैंसर तब उत्पन्न होते हैं जब शरीर का pH तेजाबी अथवा एसिडिक (acidic) होता है (1).
यदि आप शरीर के pH को क्षारीय रखते हैं तो कई प्रकार के कैंसर रोगों से बचाव किया जा सकता है।
शोधों ने पाया है कि, यदि शरीर का pH संतुलन क्षारीय रहे तो कैंसर नहीं पनप सकते।
इसी कारण बहुर सारे विशेषज्ञ नीमू सोडा सेवन करने की सिफारिश करते हैं।
यद्यपि नीम्बू सोडा के कैंसर निवारक गुणों पर अभी भी कई शोध जारी हैं जिनके परिणाम आने अभी बाकी हैं,
फिर भी आरंभिक शोध पूरे आशावान दिखते हैं।
5 विषतत्वों के निकास में उपयोगी
अम्लता के कारण ही शरीर में विषतत्वों का जमावड़ा होता है।
यदि आप शरीर की अम्लता का नियमित निवारण करते हैं तो विषतत्व (Toxins) ठहर नहीं पाएंगे
और आप हमेशा हल्का और स्फूर्तिवान महसूस करेंगे।
नीम्बू सोडा के उपयोग से त्वचा कांतिवान बनती है, सिर की रूसी कम होती है, कील मुहाँसों में फायदा मिलता है।
यह योग लिवर को भी शुद्ध करता है और आपको विटामिन C की बेहतर खुराक भी देता है, जोकि एक बेहतरीन एंटीऑक्सीडेंट होता है।
6 कोलेस्ट्रॉल नियंत्रक
शोध प्रमाणित करते हैं कि नीम्बू सोडा के नियमित उपयोग से हानिकारक कोलेस्ट्रॉल कम होती है
और लाभकारी कोलेस्ट्रॉल में बढ़ोतरी होती है.
इसका सीधा मतलब है कि इस योग के उपयोग से कोलेस्ट्रॉल में बेहतर संतुलन पाया जा सकता है
और ह्रदय रोगों से बचा जा सकता है।
7 मृदु विरेचक (Mild Laxative)
विरेचक का मतलब है, ऐसी औषधि या खाद्य पदार्थ जिसे खाने या पीने से दस्त होने लगें।
इसके लिये दस्तावर (Purgative) शब्द का भी उपयोग होता है।
विरेचक गुण के कारण ही मीठा सोडा आयुर्वेद के कई चूर्णों में उपयोग किया जाता है, जैसे कि शिवाक्षार चूर्ण।
मीठा सोडा एक ऐसा हल्का विरेचक है जिसे आप अपने हिसाब से हल्का या तेज़ दस्तावर बना सकते हैं।
यदि कम मात्रा लेंगे तो कुछ नहीं होगा लेकिन यदि एक ही बार में एक चम्मच या अधिक मात्रा लेंगे तो पेट की सफाई भी की जा सकती है।
खुराक की मात्रा का निरधारण निजी अनुभव अनुसार किया जाता है।
नींबू मसाला सोडा- बनाने की विधि
लेमन मसाला सोडा बनाना बड़ा ही आसान है।
सामग्री
- खाने वाला मीठा सोडा : एक तिहाई चम्मच से आधा चम्मच तक।
- आधा या एक नींबू का रस।
- जलजीरा पाउडर : आधा से एक चम्मच या स्वादानुसार।
तैयार करने की विधि
एक गिलास ठन्डे पानी में एक तिहाई या आधा चाय का चम्मच मीठा सोडा घोल लें।
जब सोडा पूरा घुल जाए तब स्वादानुसार आधा से एक चम्मच तक जलजीरा पाउडर मिला लें।
फिर आधा या एक नीम्बू का रस मिला दें।
थोडा सा हिलाएं और तुरंत पी जाएँ।
विशेष
इस पेय को खाली पेट ही लें, खाने के बाद न पियें।
जैसे कि सुबह नाश्ते और दोपहर के भोजन से आधा घंटा पहले, और सायंकाल लगभग 5-6 बजे के बीच जब पेट खाली हो।
हालाँकि, सोडा की 5-6 खुराकें प्रतिदिन भी ली जा सकती हैं, लेकिन पुरानी एसिडिटी के निवारण के लिए जल्दबाज़ी न करें,
केवल तीन खुराक प्रतिदिन ही लें।
पुरानी और हठी एसिडिटी के पूरे निदान के लिये एसिरेम (Acirem) का उपयोग अधिक कारगर और हितकारी रहता है।
बहुत बढ़िया जानकारी. धन्यवाद
Bahut asan upay bataya hai aapne. Thank you.
Apke bataye anusar maine ise kiya hai aur acidity se laabh paya hai. Badhiya hai
Bhai saheb, aapka shukriya jo aap itne aasan upay bataate hain. Meri halat aapko pata hai, lekin ab main bilkul thik hun.
Bahoot useful upchar!!!
Nice sir kindly!!!
Hame ise ghar par hi banana chahiye. Behtreen upay bataya hai aapne. Mene use Kiya hai aur fayda dekha hai
बहूत ही बढीया योग है ऐ, मेरी डकारो कि समस्या काफी हद तक समाप्त हूई और अच्छा महसूस करता हूँ.
शर्माजी आपका आभारी हूँ.
अतिशय धन्यवाद, काले जी
Bahut badhiya hai. Aapke is upay se mujhe pura Aram Mila hai.
Bahut sundar