यदि आप ने एक भी बार सेव का पोषक सिरका घर पर बना लिया तो आप हमेशा इसे घर पर ही तैयार करेंगे.
कारण, बाजारू सिरके व्यावसायिक विधि से बनाये जाते हैं जिनमें एंजाइम्स भी कम होते हैं
फलों की गुणवत्ता भी संदिग्ध रहती है और कृत्रिम सिरका यानि एसिटिक एसिड (Acetic acid) की मिलावट की सम्भावना भी अधिक होती है.
घर पर बनाया गया सिरका गुणकारी तो होता ही है, साथ ही बेहद सस्ता भी पड़ता है.
बनाने की विधि बड़ी ही आसान है, जिसमें न तो कोई परिश्रम करना है न ही कोई विशेष खर्चा.
आईये, बनाते हैं घर पर ही सेव का बेहतरीन सिरका…
सेव का पोषक सिरका बनाने की विधि
आपको चाहिए एक खुले चौड़े मुहं वाला मर्तबान या जार जो कांच या चीनी का हो.
आपको महंगे व बड़े सेव लेने की आवशयकता नहीं.
छोटे सस्ते फल लीजिये क्योंकि हमें सिरका बनाना है, उन्हें सजा कर नहीं खाना है.
वैसे भी जो फल आकार में सामान्य से छोटे रह जाते हैं इनमें मिठास अधिक रहती है जिससे आपका सिरका अधिक सुगन्धित और तेज़ बनेगा.
आपको जान कर आश्चर्य होगा कि फलों वाले बाजारू सिरके सड़े गले फलों से बनाए जाते हैं, फिर भी महंगे बिकते हैं.
जब आप सिरका घर पर बनायेंगे तो आपको यकीन रहेगा कि वह अच्छे ताज़े फलों का है.
चलिए करते हैं शुरूआत
1 सबसे पहले खरीदे हुए सेवों को अच्छी तरह धो लें. और पानी सूख जाने दें.
2 फिर इन्हें छिलके समेत काट कर छोटे छोटे टुकड़े या हिस्से बना दें.
3 बीज अलग कर दें. वैसे अगर कुछ बीज रह भी जाएँ तो कोई बात नहीं, क्योंकि सिरके को आखिर में छानना भी होता है.
जिससे छानने के समय बीज अलग किये जा सकते हैं.
4 आपका मुख्य काम पूरा हो गया है.
5 काटे हुए फलों को कम से कम 6 से 8 घंटे किसी खुली प्लेट में कपडे से ढक कर पड़ा रहने दें.
इस से ऑक्सीडेशन क्रिया आरंभ हो जाती है.
आपने देखा होगा, जब सेव को काट कर खुले में रखते हैं तो कटे हुए हिस्से का रंग भूरा हो जाता है.
यही ऑक्सीडेशन क्रिया है.
इस क्रिया के दौरान वातावरण के बैक्टीरिया काटे हुए फलों पर पनपना आरम्भ कर देते हैं, और एक विशेष प्रकार की सुगंध आने लगती है.
यही समय है अगले चरण का.
सिरका बनाने की तैयारी
6 काटे हुए फलों को मर्तबान या जार में डाल दीजिये.
ऊपर से इतना पानी डालें कि फल डूबने के बाद एक डेढ़ इंच अधिक पानी रहे.
वैसे आरंभ में फल डूबते नहीं तो तले को देख कर एक डेढ़ इंच अधिक पानी डालें.
7 अब एक या दो चम्मच शक्कर या चीनी डाल दें.
ये इसलिए डालते हैं जिससे कि बैक्टीरिया को शुरुआती समय में उर्जा मिले और वे अपनी जनसँख्या आसानी से और जल्दी से बढा पायें.
एक या दो चम्मच पुराना सेव का सिरका भी डालें जिससे वातावरण के एसिटिक एसिड बैक्टीरिया भी आकर्षित हों.
8 चम्मच या कड़छी से थोडा हिला दें जिससे कि चीनी या शक्कर पूरी घुल जाये.
9 जार के मुंह को किसी साफ़ कपडे से ढक दें ताकि सिरके के घोल को हवा तो मिले लेकिन कोई कीट पतंगे अन्दर न जा पाएँ.
10 जार को किसी कम रौशनी वाली जगह रख दें जहाँ इसे अगले एक सप्ताह तक हिलाना नहीं है.
अगली प्रक्रिया
11 एक सप्ताह बाद आप पाएंगे कि जार के ऊपर एक झागनुमा, मलाई सी बन गयी है, और तरल से अलग विशेष महक आ रही है.
ये संकेत है कि शुरुआती यीस्ट बैक्टीरिया अपना काम कर रहा है.
इस घोल को एक बार आप कड़छी से हिला दें जिससे झाग पुन: घोल में समा जाए.
और ऊपर के फल नीचे चले जाएँ; और नीचे वाले ऊपर आ जाएँ.
झागनुमा ये मलाई ही असली कारगर यीस्ट है जिसे जामन या Mother के नाम से जाना जाता है.
कड़छी से हिलाने की यह प्रक्रिया आपको हर सप्ताह करनी है.
गर्मियों के मौसम में यह क्रिया सप्ताह में दो या तीन बार भी की जा सकती है.
12 तीन से चार सप्ताह (मौसम के अनुसार) बाद आप देखेंगे कि झाग बननी बंद हो गयी है तथा महक भी अच्छी आने लगी है.
यह संकेत है, कि अब सिरके के एंजाइम व एसिटिक एसिड यीस्ट बनने लग गए हैं.
लेकिन अभी सिरका तैयार नहीं हुआ है.
13 डेढ़ दो माह या थोडा अधिक समय बाद,
जब आपको लगे कि तरल की महक तेज़ सिरके जैसी हो गयी है,
और फलों के टुकड़े नीचे बैठ गये हैं…
इसे छान कर फलों के अवशेष अलग कर दें…
और सिरके को बोतलों में भर लें.
यह तरल मटमैला होगा जो धीरे धीरे साफ़ होता जायेगा तथा अवशेष तले पर बैठ जायेंगे.
14 आप चाहें तो इसे निथार लें अन्यथा अवशेष बीच में ही रहने दें.
ये अवशेष आपको अगली बार के सिरके में काम आयेगा जिससे अगला सिरका और अधिक लाभकारी और स्वादिष्ट बनेगा.
Bahut badhiya jaankari. Thank you.
Simple yet excellent recipe. Thank you for sharing.
बहुत ही अच्छा लेख।
dhanyavad ji
Bahut badhiya. Hame bazaru products se bachna cahahiye
सिरका को छानने के बाद उसमे बचे सेब का अवशेश को क्या करना चाहिए फेक देना चाहिए या फिर नया सिरका बनाने में उसे डालना देना चाहिए
उसे फेंकना नहीं चाहिए बल्कि नया सिरका बनाने में उसे डालना चाहिए।