अकसर देखने में आता है कि सब कुछ होते हुए भी जीवन में ख़ुशी की कमी खलती रहती है. आखिर क्यों ख़ुश नहीं रह पाते हैं हम?
खुश न हो पाने की विसंगति को मनोवैज्ञानिक अंग्रेजी में मिसिंग टाइल सिंड्रोम (Missing Tile Syndrome) के नाम से पुकारते हैं.
क्या है मिस्सिंग टाइल सिंड्रोम
मिसिंग टाइल सिंड्रोम एक मनोवैज्ञानिक समस्या है
जिसमें हमारा सारा ध्यान जीवन की उस कमी की तरफ रहता है जिसे हम नहीं पा सके हैं या फिर जिससे हम नहीं उबर सके हैं|
जब हम स्कूल में होते हैं तो लगता है कि काश मेरे माता पिता भी किसी अन्य के माता पिता जैसे होते,
जिन्हें हम सराहते थे, उनकी अमीरी के कारण, या वे हमारे माता पिता से अधिक सुन्दर या प्रभावशील प्रतीत होते थे.
बड़े होने पर लगता है, काश मैं किसी अन्य की तरह सुन्दर होऊं,
मेरे बाल किसी अन्य की तरह दिखें;
हम भूल जाते हैं कि जो गंजे हैं, हमसे अधिक खुश मिजाज हैं.
मेरी नाक बड़ी है, काश ये किसी अन्य की नाक जैसी हो.
हम भूल जाते हैं कि नाक एक अनुवांशिक उपहार है, बड़ी या छोटी नाक अपना काम करना नहीं छोडती.
हमारे पास भी किसी अन्य की तरह बड़ा घर हो,
पैदल हैं तो साइकिल की चाह, साइकिल है तो स्कूटर की चाह, स्कूटर है तो गाड़ी की चाह, गाड़ी है तो बड़ी गाडी की चाह…वगैरह, वगैरह.
वहम भी होता है बड़ा कारण
घर पर श्रीमती बेहतरीन खाना बनती है, बच्चों का पूरा ख्याल रखती है, उन्हें पढ़ाती भी है, सिखाती भी है
माता पिता, भाई बहनों सब का सम्मान करती है…
लेकिन आपकी समस्या यह है कि क्यों मेरी पत्नी अपनी सहेलियों से बतियाती रहती है; कहीं वो मेरी बुराई तो नहीं करती?
यही हाल देवियों की मानसिक स्थिति का भी हो सकता है, कि वे अपने पति को भी शक के नज़रिए से देखें.
मेरी तो इस घर में कोई औकात ही नहीं, पति मेरी सुनते ही नहीं, केवल अपने मित्रों और घरवालों की ही सुनते हैं..वगैरह, वगैरह.
लो जी, और लग गया ग्रहण
आपकी ढेर सारी उपलब्धियों और उमंगों की ख़ुशी किसी छोटी सी, तुच्छ कमी या वहम से ऐसे ढक जाती हैं जैसे सूरज को ग्रहण लग गया हो.
और आपको लगे कि अब तो अँधेरा ही छाया रहेगा.
यही एक बात हमारी सारी ख़ुशीयां ग़ायब होने का सबसे बड़ा कारण बनती है।
जिन्दगी में कितना कुछ भी अच्छा हो, हम केवल उसी एक चीज़ को देखते हैं जो मिसिंग है, अर्थात नसीब नहीं है.
और यही हमारे दुःख का सबसे बड़ा कारण है।
मिसिंग टाइल सिंड्रोम की कहानी
एक बार की बात है एक शहर में एक मशहूर होटल ने अपने होटल में एक स्विमिंग पूल बनवाया।
स्विमिंग पूल के चारों ओर बेहतरीन इटैलियन टाइल्स लगवाये,
परन्तु मिस्त्री की गलती से एक स्थान पर टाइल लगना छूट गया।
अब जो भी आता पहले उसका ध्यान टाइल्स की खूबसूरती पर जाता।
इतने बेहतरीन टाइल्स देख कर हर आने वाला मुग्ध हो जाता।
वो बड़ी ही बारीकी से उन टाइल्स को देखता व प्रशंसा करता।
फिर उसकी नज़र उस जगह पर जाती और जहाँ टाइल लगनी छूट गयी थी
फिर क्या?
नज़र वहीं अटक जाती…. उसके बाद वो किसी भी अन्य टाइल की ख़ूबसूरती नहीं देख पाता।
स्विमिंग पूल से लौटने वाले हर व्यक्ति की यही शिकायत रहती कि होटल एक टाइल लगाना भूल गया है।
हजारों टाइल्स के बीच में वो मिस्सिंग टाइल ही उसके दिमाग पर हावी रहती थी।
कई लोगों को उस टाइल को देख कर बहुत दुःख होता कि इतना परफेक्ट बनाने में भी एक टाइल रह ही गया।
मतलब यह कि वहां से कोई भी खुश नहीं निकलता,
और एक खूबसूरत स्विमिंग पूल लोगों को कोई ख़ुशी या आनंद नहीं दे पाया|
वास्तव में, उस स्विमिंग पूल में वो मिसिंग टाइल एक प्रयोग था।
मनोवैज्ञानिक प्रयोग जो इस बात को सिद्ध करता है कि हमारा ध्यान कमियों की तरफ ही जाता है।
कितना भी खूबसूरत सब कुछ हो रहा हो पर जहाँ एक कमी रह जायेगी वहीँ पर हमारा ध्यान रहेगा।
क्यों ख़ुश नहीं रह पाते हैं हम – मिस्सिंग टाइल है बड़ी वजह
होटल की टाइल तक तो ठीक है.
पर यही बात हमारी जिंदगी में भी हो तो ?
क्या इस एक आदत को बदल कर हम अपने जीवन में खुशहाली ला सकते हैं ?
यह एक मनोवैज्ञानिक समस्या है जिससे हर व्यक्ति गुज़र रहा है।
इस मनोविज्ञानिक समस्या को मिसिंग टाइल सिंड्रोम का नाम दिया गया।
Dennis Prager अमेरिका की प्रसिद्द हस्ती हैं.
उनके अनुसार उन चीजों पर ध्यान देना जो हमारे जीवन में उपलब्ध नहीं है,
हमारी ख़ुशी को चुराने का सबसे बड़ा कारण बन जाती हैं।
ऐसे बहुत से उदाहरण हो सकते हैं जिसमें हम अपनी किसी एक कमी के पीछे सारा जीवन दुखी रहते हैं।
ज्यादातर लोग उन्हें क्या-क्या मिला है पर खुश होने के स्थान पर उन्हें क्या नहीं मिला है पर दुखी रहते हैं।
मिसिंग टाइल हमारा फोकस चुरा कर हमारी जिन्दगी की सारी खुशियाँ चुरा लेती है।
यह शारीरिक और मानसिक कई बीमारियों की वजह भी बनती है,
इतना ज़रूर जान लीजिये, कि इस एक समस्या से, डायबिटीज, ब्लडप्रेशर, कोलेस्ट्रॉल, आर्थराइटिस, यूरिक एसिड और पेट के गंभीर रोग भी पैदा हो जाया करते हैं.
यह हमारे हाथ में है कि हम अपना ध्यान मिसिंग टाइल पर रखे और दुखी रहें
या फिर
ईश्वर का शुक्र मनाएं उन नैसर्गिक उपहारों पर, जो हमें जीवन में मिले हैं.
ईश्वर का धन्यवाद करें – सदा खुश रहें
हम पिछली रात सोने के बाद जिंदा उठ खड़े हुए, शुक्र मनाईये.
दो जून की रोटी मिली, शुक्र मनाईये.
सिर पर छत है, शुक्र मनाईये.
भूख लगती है, नींद आती है, माता पिता, भाई बहन, बच्चे, मित्र; आपको प्यार करते हैं, शुक्र मनाईये.
आपके पास कुछ मित्र हैं, शुक्र मनाईये.
खुश रहने के हज़ार कारण होते हैं,
लेकिन दुखी करने वाले एक कारण को अपनी खुशियों पर हावी मत होने दीजिये.