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त्रिफला – बेहतरीन आयुर्वेदीय टॉनिक – 10 शोध आधारित गुण

त्रिफला को केवल एक पेट रोग औषधि मानना इसके अन्य गुणों से अनभिज्ञ रहना है.

यह एक ऐसा रसायन अथवा टॉनिक है जिसके उपयोग से बेहतरीन रोग मुक्त स्वास्थ्य पाया जा सकता है.

आंवला (Emblica officinalis),

हरड (Terminalia chebula ) और

बहेड़ा (Terminalia belerica ) के सुखाये गए फलों के मिश्रण को त्रिफला कहा जाता है.

त्रिफला चूर्ण बनाने की विधि

जब इनकी सम भाग मात्रा (त्रिफला चूर्ण अनुपात) को कूट पीस कर चूर्ण बना दिया जाता है तो इसे त्रिफला चूर्ण त्रिफला पाउडर कहते है.

आईये जानते हैं त्रिफला के शोध आधारित गुण लाभ जो आपको इसके नियमित सेवन के लिए अवश्य ही प्रेरित कर सकते हैं…

Triphala त्रिफळा – क्या है खासियत

त्रिफला के घटक विटामिन C, ellagic acid,  gallic acid, chebulinic acid, bellericanin, β-sitosterol,  QuinonesTanninsFlavones, flavonoids और flavonols से तृप्त पाए गए हैं. [1]

यह सक्रिय तत्व कई प्रकार के स्वास्थ्य लाभ देते हैं.

इन्हीं के कारण त्रिफला को सोजाक अथवा सूजन निवारक, कैंसर रोधी, एंटीऑक्सीडेंट, लिवर व किडनी रक्षक, पाचन क्रिया सुधारक, इन्फेक्शन निवारक इत्यादि गुणों वाला माना गया है. [2]

Triphala त्रिफला को विष निवारक भी पाया गया है.

आयुर्वेद में त्रिफला को त्रिदोष निवारक रसायन अथवा टॉनिक बताया गया है.

त्रिफला से कायाकल्प भी होता है.

Triphala के शोध आधारित गुण इस प्रकार हैं:

1. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाये

जब हमारी रोग प्रतिरोधी क्षमता जिसे immunity modulation कहा जाता है, प्रभावी होती है तो कोई भी रोग पनप नहीं पाता है.

त्रिफला चूर्ण अनुपात

त्रिफळा का सबसे बड़ा गुण इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता है.

यदि कोई एक वनस्पति का योग आपको रोगों से बचा सकता है तो वह त्रिफला ही है.

बहुत सारे शोध ये मानते हैं कि त्रिफळा के सब गुणों का आधार इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता ही है जो आपको बेहतर तन और मन देकर रोगों से बचाव करती है. (3)

2. कैंसर रोधी गुण

त्रिफला के उपयोग से उन कोशिकाओं में जो कैंसर से प्रभावित होने लगती हैं, की ROS गतिविधि बढ़ जाती है.

यह गतिविधि आसपास की स्वस्थ कोशिकाओं को कैंसर प्रभावित होने से बचाती है.

यह शोध काफी उत्साहवर्धक हैं लेकिन अभी केवल जानवरों पर ही हो पाए हैं. (4)

3. विषद्रव्यों से राहत

आजकल की दवाओं के दुष्प्रभाव कई रोगों के कारण माने जाने लगे हैं.

दर्द निवारक दवाओं और एंटीबायोटिक्स के दुष्परिणाम किडनी, लिवर की अक्षमता और पेट के रोग, आर्थराइटिस, डायबिटीज.

एलर्जी  जैसे गंभीर विकारों में परिणित हो रहे हैं.

त्रिफला का नियमित सेवन किडनी और लिवर को पेरासिटामोल से होने वाले नुकसान की भरपाई में लाभकारी पाया गया है. (5)

4. मसूड़ों, दन्त एवं मुख रोगों के लिए सर्वोत्तम

दांतों के विशेषज्ञ इस बात पर एक मत हैं की दांतों के प्रमुख रोगों के मूल में मसूड़ों का फूलना एक मुख्य कारण रहता है.

मसूड़ों की सूजन जो शुरुआती दौर में महसूस भी नहीं होती, पायरिया, gingivitis का कारण बनती है.

इन सूजन वाले मसूड़ों से भोजन के कण दांतों की जड़ों की तरफ जाने लगते हैं,

जहाँ बैक्टीरिया पनप कर रोग और सडन पैदा करते हैं.

परिणामस्वरूप मुहं से दुर्गन्ध आना, दांतों का कमज़ोर होना जैसी समस्या धीरे धीरे उग्र होती चली जाती है.

त्रिफला का सेवन और त्रिफला के पानी से mouth wash की तरह कुल्ले करने से कई मुख रोगों से बचाव हो जाता है. (6, 7, 7a)

5. आँखों के लिए लाभकारी

त्रिफला के सेवन को आँखों की ज्योति कम करने वाले आयुजनित रोगों विशेषकर मोतियाबिंद में लाभकारी पाया गया है.

आयुर्वेद में भी त्रिफला के पानी का eye ड्रॉप्स की भांति उपयोग करने और आँखों को धोने का विधान लाभकारी बताया गया है.

शोध बताते हैं कि त्रिफला के उपयोग से दृष्टि रोगों से बचा जा सकता है. (8)

6. एसिडिटी, अलसर निवारक

पेट के अलसर और एसिडिटी के मुख्य कारण दवाओं का अनुचित उपयोग, मिर्च मसालों की अधिकता, चिंता तनाव, पित्तकारक आहार जैसे चाय, कॉफ़ी, धुम्रपान हैं.

एसिडिटी कभी कभी संग्रहणी या IBS की कारक भी बन जाती है जो H. pylori नामक बैक्टीरिया को पनपने का मौका दे देती है.

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त्रिफला के सेवन से पेट की एसिडिटी का निवारण हो जाता है,

जिससे यह गंभीर रोग पनपने नहीं पाते और अलसर का भी इलाज हो जाता है. (9)

7. मोटापा निवारक

आजकल के खानपान जिसमें कार्बोहाइड्रेट्स की अधिकता रहती है

और शारीरिक परिश्रम न्यूनतम; को मोटापे का एक मुख्य कारण माना जाता है.

शोध प्रमाणित करते हैं की त्रिफळा का उपयोग इस प्रकार के मोटापे जो खानपान और आरामतलवी के चलते बना हो, को नियंत्रित करने में लाभकारी है. (10, 11)

8. कोलेस्ट्रॉल कम करने में सहायक

Triphala त्रिफळा के सभी घटक tanins से भरपूर हैं जिनके कई स्वास्थ्य लाभ हैं.

2007 में हुए एक शोध ने त्रिफला को कोलेस्ट्रॉल कम करने में सहायक बताया. (12)

9. पाचन क्रिया सुधारक

पाचन क्रिया की विसंगति लगभग 80% रोगों को जन्म देती है.

कब्ज़ पेट के रोगों में सबसे पहले स्थान पर आती जिसके बाद संग्रहणी अथवा IBS और फिर अलसर, एसिडिटी इत्यादि.

त्रिफला का उपयोग  तीनों बड़े पेट रोगों IBS संग्रहणी, कब्ज़, और एसिडिटी में लाभकारी पाया गया है.

एक शोध ने पाया कि समभाग त्रिफला और इसबगोल पेट के रोगों से राहत देने में लाभकारी रहते हैं. (13)

10. अन्य लाभ

त्रिफला पर हुए अन्य शोध इसे एलर्जी रोग, डायबिटीज, यूरिक एसिड, त्वचा रोग जैसे कील मुहांसे, urticaria, महिला विशेष रोग, के लिए लाभकारी मानते हैं.

रोग विशेष के लिए त्रिफला के अन्य वनस्पतियों के योग भी इन शोधों में जांचे गए हैं. (14, 15, 16, 17)

त्रिफला लेने के नियम

त्रिफळा चूर्ण का प्रयोग पानी या दूध के साथ किया जा सकता है.

लेकिन इससे थोड़ी शुशकता अथवा खुश्की आ जाती है, जिसे त्रिफला के नुकसान के रूप में बताया जाता है.

यदि आप त्रिफळा में घी या तेल मिला कर लेते हैं तो खुश्की का दोष समाप्त हो जाता है.

त्रिफला रसायन पर विस्तृत लेख इस लिंक पर देखिये.

त्रिफला रसायन – उपयोग कीजिये, रोगमुक्त रहिये

त्रिफला के एंटीबायोटिक और रसायन गुणों को इस लेख में देखिये

त्रिफला – बेहतरीन टॉनिक, बेहतरीन एंटीबायोटिक

सारशब्द

त्रिफला एक बेहतरीन टॉनिक है जो हमें रोगप्रतिरोधक क्षमता देकर सब प्रकार के रोगों से बचाने में सहयता करता है.

यदि हम त्रिफला का रोज़ उपयोग करें तो आये दिन के रोगों और इस पीढ़ी के गंभीर रोगों से अवश्य बचा जा सकता है.


 

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