आयुर्वेद में गुणकारी गिलोय को त्रिदोष शामक कहा जाता है.
पित्त का संतुलन गडबडाने पर पीलिया, पेट के रोग जैसी कई परेशानियां सामने आती हैं ।
कफ का संतुलन बिगडे तो सीने में जकड़न, बुखार आदि दिक्कते पेश आती हैं ।
वात [वायु] अगर असंतुलित हो गई तो गैस, जोडों में दर्द, शरीर का टूटना, असमय बुढापा जैसी विसंगतियां झेलनी पड़ती हैं ।
गुणकारी गिलोय का उपयोग इन तीनों दोषों के रोगों में लाभ देता है.
अमृत वनस्पति
गिलोय को अमृता भी कहा जाता है।
यह स्वयं भी नहीं मरती, और उसे भी मरने से बचाती है, जो इसका प्रयोग करे।
कहा जाता है की देव दानवों के युद्ध में अमृत कलश की बूँदें जहाँ जहाँ पडी, वहां वहां गिलोय उग गई।
गुणकारी गिलोय जिस पेड़ पर चढी हुई हो उसका सार अवशोषित कर लेती है,
इस कारण आयुर्वेद में वही गिलोय श्रेष्ठ मानी गई है जिसकी बेल नीम पर चढी हुई हो।
गिलोय का परिचय
वानस्पतिक नाम – टीनोस्पोरा कार्डिफोलिया (Tinospora cordifolia)
कुल- मेनिस्पर्मेसी
अन्य प्रसिद्ध नाम
गुडुची, अमृता, छिन्नरुहा, चक्रांगी, कन्नड़ में अमरदवल्ली, गुजराती में गालो, मराठी में गुलबेल, तेलगू में गोधुची, तिप्प्तिगा , फारसी में गिलाई,तमिल में शिन्दिल्कोदी आदि नामों से जाना जाता है।
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मुख्य सक्रिय घटक
गिलोय में ग्लुकोसाइन, गिलोइन, गिलोइनिन, गिलोस्तेराल तथा बर्बेरिन नामक एल्केलाइड पाये जाते हैं।
गुणकारी गिलोय के 14 उपयोग
1 त्रिदोष शामक
गिलोय शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और शरीर में खून की कमी को दूर करता है।
इसका काढा बनाकर पीजिये।
यह शरीर के त्रिदोषों को नष्ट कर देगा(1)।
प्रतिदिन सुबह-शाम गुणकारी गिलोय का रस घी या शहद मिलाकर सेवन करने से शरीर में खून की कमी दूर होती है।
2 बल्य
गिलोय, अश्वगंधा और शतावरी के समभाग चूर्ण को साथ मिलाकर रख लें।
इस योग का एक चम्मच दूध या पानी के साथ रोज़ सेवन करें,
यह शरीर और दिमाग पर उम्र बढ़ने के प्रभाव को कम करता है।
3 लिवर के रोग
गिलोय का सेवन पीलिया रोग (hepatitis, jaundice) में भी बहुत फायदेमंद होता है।
गुणकारी गिलोय चूर्ण का एक चम्मच , त्रिफला चूर्ण का एक चम्मच और चुटकी भर काली मिर्च चूर्ण शहद में मिलाकर चाटने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
या फिर गिलोय के पत्तों को पीसकर रस निकाल लें।
एक चम्मच रस को एक गिलास मट्ठे में मिलाकर सुबह पीने से पीलिया ठीक हो जाता है।
4 पैरों की जलन
यदि आपके पैरों में जलन होती है और बहुत उपाय करने के बाद भी आपको कोई फायदा नहीं हो रहा है तो आप गिलोय का इस्तेमाल कर सकते हैं।
इसके लिए गुणकारी गिलोय के रस को नीम के पत्ते एवं आंवला के साथ मिलाकर काढ़ा बना लें।
प्रतिदिन 2 से 3 बार इस काढ़े का सेवन करें इससे हाथ पैरों और शरीर की जलन दूर हो जाती है।
5 कान का दर्द
गिलोय के पत्तों के रस को गुनगुना करके कान में डालने से कान का दर्द ठीक होता है।
साथ ही गिलोय को पानी में घिसकर और गुनगुना करके दोनों कानों में दिन में 2 बार डालने से कान का मैल निकल जाता है।
6 मोटापा
गिलोय मोटापा कम करने में भी मदद करता है।
मोटापा कम करने के लिए गिलोय और त्रिफला चूर्ण को सुबह और शाम शहद के साथ लें।
या गिलोय, हरड़, बहेड़ा, और आंवला मिला कर काढ़ा बनाकर इसमें शिलाजीत मिलाकर पकाएं और सेवन करें।
इसके नियमित सेवन से मोटापा रुक जाता है।
7 नेत्र हितकारी है गुणकारी गिलोय
गिलोय का रस आंवले के रस के साथ मिलाकर लेना आंखों के रोगों के लिए लाभकारी होता है।
8 पेट के रोग
गिलोय के रस या गिलोय के काढ़े में शहद मिलाकर सेवन करने से पेट से संबंधित सभी रोग ठीक हो जाते है।
9 त्वचा रोग
इसे नीम और आंवला के साथ मिलाकर इस्तेमाल करने से त्वचा संबंधी रोग जैसे एग्जिमा, urticaria, फोड़े फुंसियाँ और सोराइसिस दूर किए जा सकते हैं।
10 सूजन निवारक
गिलोय में सूजन कम करने के गुण होते हैं.
जिस कारण, यह गठिया और आर्थेराइटिस से बचाव में अत्यधिक लाभकारी है।
गिलोय के पाउडर को सौंठ की समान मात्रा और गुगुल के साथ मिलाकर दिन में दो बार लेने से इन बीमारियों में काफी लाभ मिलता है।
11 चयापचय सुधारक
इससे इम्यूनिटी सिस्टम में सुधार आता है.
शरीर में अतिआवश्यक सफेद सेल्स (व्हाइट ब्लड कार्पसेल्स) की कार्य करने की क्षमता बढ़ती है।
12 डायबिटीज सुधारक
गिलोय में शरीर में शुगर के स्तर को कम करने का खास गुण होता है।
13 कोलेस्ट्रॉल नियंत्रक
गिलोय में लिपिड के स्तर को कम करने का भी खास गुण होता है।
14 डेंगू चिकुनगुनया में लाभकारी
यह शरीर में ब्लड प्लेटलेट्स की संख्या बढ़ाता है जिससे यह डेंगू तथा स्वाइन फ्लू के निदान में बहुत कारगर है।