सिर के बालों में रूसी (dandruff) होना एक असहजता की बात हो जाती है.
विशेषकर उनके लिये जो इस से निजात पाने के लिये कई नुस्खे अपनाते हैं, इलाज करते हैं; लेकिन सफलता नहीं मिलती.
खुजली और कपड़ों पर गिरती रूसी (dandruff) स्वच्छता अथवा hygiene की हीनता का भान भी कराती है.
दुनिया भर की आधी से भी अधिक किशोरावस्था के अगले वर्षों वाली आबादी रूसी (dandruff) से ग्रस्त रहती है.
यह पुरुष, महिलाओं, मानव जाति की सब नस्लों में और सब देशों में समान रूप से फैली हुई समस्या है.
रूसी (dandruff) का होना असहज ज़रूर है और कई बार इसका इलाज करना भी एक लम्बी और जटिल प्रक्रिया बन जाता है.
लेकिन इसे बिलकुल ठीक किया जा सकता है.
छोटी मोटी रूसी को कुछ नित्य नियमों से कण्ट्रोल किया जा सकता है जबकि हठी बन चुकी रूसी के लिये कुछ इलाज भी करने पड़ सकते हैं.
आईये जानते हैं, क्या हैं रूसी (dandruff) से स्थाई निजात के उपाय.
क्या होती है रूसी (dandruff)
हमारी त्वचा का निरंतर नवीनीकरण होता रहता है.
त्वचा की बाहरी कोशिकाएं, जिन्हें Keratinocyte कहा जाता है, नयी सतह बनाती रहती हैं.
और पुरानी कोशिकाएं मृत होकर गिरती निकलती रहती हैं.
ये इतनी सूक्ष्म होती हैं कि नंगी आँख से इन्हें देख पाना संभव नहीं.
जब सिर की त्वचा की मृत कोशिकाये सामान्य से अधिकता में छोटे बड़े समूह बनाकर; पपड़ी अथवा परतों (flakes) के रूप में नयी त्वचा पर जमने लगें या निकलने लगें तो इसे रूसी (dandruff) कहते हैं.
रूसी की समस्या सर्दियों में ही अधिक रहती है जब त्वचा से पसीने या तैलीय पदार्थों का स्राव कम होता है.
रूसी (dandruff) की तकलीफ और परेशानी
वैसे तो रूसी इतनी गंभीर समस्या नहीं.
लेकिन इसके कारण चींटियों के काटने जैसी खारिश, खुजली परेशान ज़रूर करती हैं.
यह तब होता है जब हम ठन्डे वातावरण से धूप या गर्म वातावरण में जाते हैं.
ऐसा लगता है, मानो चीटियाँ काट रही हों.
त्वचा के रंध्र (pores) जो रूसी के कारण बंद हो चुके होते हैं, जब पसीने या तैलीय पदार्थों के प्रेशर से खुलने लगते हैं, तो सतह की रूसी तिडककर या फटकर त्वचा से अलग होने लगती है.
जिस कारण हमें चींटियों के काटने जैसी खुजली होती है.
ऐसे में ज़रा सी सिर पर खुजली करने से रूसी कपड़ों पर गिरने लगती है, जो हमें और अधिक हीनता का भान देने लगती है.
कपड़ों पर गिरती रूसी भी असहज ज़रूर बना देती है.
किन्हें होती है रूसी (dandruff), और क्या हैं कारण
किसी को भी रूसी की समस्या हो सकती है,
लेकिन कुछ विशेष परिस्थियों या अवस्थाओं में इसका प्रभाव अधिक देखने को मिलता है.
आयु
रूसी का प्रभाव किशोरावस्था से लेकर 30-35 वर्ष की आयु तक अधिक देखने को मिलता है.
लेकिन इसका यह मतलब बिलकुल नहीं कि आगे के वर्षों में ये नहीं होती.
कुछ के लिये ये आजीवन होने वाली समस्या भी हो सकती है.
तैलीय त्वचा
Malassezia नामक फफूंद (fungus) मानव सहित हर प्राणी की त्वचा पर पायी जाती है.
शरीर से निकलने वाले तेल इसका आहार होते हैं.
1 सेव का सिरका
Apple Cider Vinegar (ACV) रूसी के लिये एक कारगर औषधि है.
सेव के सिरके में acetate वाली खटास और एंजाइम होने के कारण ये रूसी नाशक भी है और बालों के लिये बेहतरीन कंडीशनर भी.
नित्य नहाने से 10 मिनट पहले एक या दो चम्मच ACV सिर पर लगाईये और नहाते समय बाल धो लीजिये.
शैम्पू साबुन न लगायें.
तैलीय त्वचा के लिये ACV का उपयोग भी नीबू के रस तरह ही कीजिये.
2 लहसुन युक्त सरसों का तेल
एक कप सरसों के तेल में 10 कलियाँ लहसुन डाल कर इतना गर्म करें कि लहसुन का रंग हल्का सुनहरी हो जाए.
इसे ठंडा होने दें और कलियाँ बीच में ही रहने दें.
इस तेल को रोज़ रात को सोते समय सिर पर लगायें और सुबह शैम्पू साबुन से सिर धो लें.
फिर बालों में ACV या नीबू का रस लगायें जिसे 2-3 मिनट बाद धो लें.
एक ही सप्ताह में लाभ मिलेगा.
3 नीम के पत्तों का काढ़ा
एक कप भर नीम के पत्ते ले कर पांच कप पानी में दस मिनट तक उबाल लें.
ठंडा होने पर बोतल में भर कर रख लें.
इस क्वाथ को रोज़ नहाने से दस मिनट पहले सिर पर लगाएं और नहाते समय बालों को धो लें.
शैम्पू न लगायें.
ये योग भी रूसी (dandruff) की फंगस के लिये लाभकारी है.
यदि आप लहसुन सरसों के तेल के योग का उपयोग कर रहे हैं, तो इस क्वाथ को शैम्पू करने के बाद लगाईये और 2-3 मिनट बाद बाल धो लें.
4 प्याज़ का रस
एक बड़े प्याज़ का रस निकाल कर सिर पर लगाईये.
10 मिनट बाद बालों को धो लें.
फिर बालों में दो तीन मिनट के लिये ACV या नीम्बू का रस लगा कर रखने के बाद धो लें.
फंगस का खातमा हो जायेगा.
5 नीम्बू का रस
रोज़ नहाने से 10 मिनट पहले एक नीम्बू का रस सिर पर लगाईये और नहाते समय बाल धो लीजिये.
रूसी तो ठीक होगी ही साथ ही बालों में नयी जान और चमक भी आ जाएगी.
यदि तैलीय त्वचा है तो पहले शैम्पू कीजिये फिर नीम्बू का रस 2 से 5 मिनट तक लगाईये.
बाद में बाल धो लीजिये.
रूसी का पूरा इलाज होने तक तेल न लगाएं.
अन्य विशेष
रूसी (dandruff) या फंगस होने पर बालों में तेल कम ही लगायें.
यदि तेल लगाना ही हो तो गीले बालों में कदापि न लगाएं, सूखने पर ही लगाएं.
केवल नारियल का तेल लगायें. यदि चाहें तो इस तेल में शुद्ध कपूर मिलाया जा सकता है.
ध्यान रखें
तेल में कभी भी नीबू का रस मिला कर न लगायें.
ऐसा करने से तेल के फैटी एसिड्स (fatty acids) बन जाते हैं जो खोपड़ी पर एक परत बना कर फंगस के जमाव को बढ़ा सकते है.
रूसी (dandruff) होने की दशा में जब भी शैम्पू या साबुन से बालों को धोएं तो बाद में नीबू का रस या ACV लगा कर बालों को एक बार फिर धो लें.
शैम्पू लगाने से सिर की pH असंतुलित हो जाती है जिससे त्वचा शुष्क हो जाती है.
नीम्बू और ACV दोनों ही pH संतुलन के लिये लाभकारी रहते हैं.
Dandruff के स्थायी इलाज के लिये नीबू या ACV का उपयोग रोज़ करें.
रोज़ शैम्पू करना ज़रूरी नहीं. अधिक शैम्पू करने से त्वचा का pH संतुलन बिगड जाता है.
सप्ताह में एक या दो बार हेड स्टीम बाथ (Head steam bath) लेने से भी लाभ मिलता है.
इसके लिये आधी बाल्टी गर्म पानी में एक तौलिया भिगो कर, निचोड़कर सिर पर लपेट लें.
ठंडा होने पर ये प्रक्रिया फिर दोहरायें.
ऐसा तीन चार बार करें जिससे आपको लगभग 15 मिनट का स्टीम बाथ मिल सके.
इस क्रिया से dandruff त्वचा से अलग हो जाती है.
दिन भर में बालों को तीन या चार बार, विशेषकर सोते समय, ज़रूर कंघी या ब्रश करें.
ये प्रक्रिया दो से तीन मिनट की होनी चाहिए.
इससे मृत कोशिकाएं त्वचा से अलग होती रहती हैं, साथ ही, सिर के रंध्रों का रक्त संचारण तेज़ होकर त्वचा के नवीनीकरण की क्रिया सुचारू रहती है.
इम्यून तन्त्र का सुधार
यदि बताये गये उपायों से उपचार न हो पाता हो या फिर रूसी बार बार होती हो
तो जान लीजिये कि इम्यून तंत्र में सुधार करने की ज़रुरत है.
अमृतयोग एक ऐसा टॉनिक अथवा रसायन है जिसके उपयोग से रूसी सहित कई अन्य विकारों में भी लाभ लिया जा सकता है.
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