एलोपैथी ने बेशक करोड़ों जानें बचाई हैं. लेकिन इसका सबसे बड़ा नकारात्मक पहलू इसके दुष्प्रभाव हैं.
हर छोटी मोटी बीमारी के लिए एंटीबायोटिक्स, एसिडिटी अवरोधक और दर्द निवारक दवाओं का उपयोग उतना ही खतरनाक है
जितना कि किसी रोग से संक्रमित या प्रभावित होना.
फौरी तौर पर आपको इनके दुष्प्रभाव केवल कमजोरी, मुंह का स्वाद बिगड़ना, भूख की कमी इत्यादि दिखते हैं.
लेकिन इनकी हर खुराक आपके जीवन के दिन ही कम नहीं करती बल्कि बचे हुए जीवन से वह सब निचोड़ लेती है जो आपको एक स्वस्थ जीवन में चाहिए होता है.
कैंसर, आर्थराइटिस, यूरिक एसिड, डायबिटीज, थाइरॉयड, संग्रहणी (IBS), रक्तचाप अनियमितता – सभी के मूल में एलोपैथिक दवाओं का उपयोग ही सबसे बड़ा कारण होता है.
डिप्रेशन, खिन्नता, अनिद्रा, सुकून की कमी जैसे मानसिक विषाद
जो ख़ुशी के मौके पर भी आपको प्रसन्नचित नहीं रख पाते – भी इन्हीं दवाओं की देन हैं.
आईये जानते हैं आधुनिक दवाओं के 6 घातक परिणाम और उपाय जिन्हें आपको ज़रूर समझना चाहिए.
1 पेट के गंभीर रोग
मेडिकल साइंस की सबसे अद्भुत खोज के रूप में सराही गई दवाएं एंटीबॉयोटिक्स हैं।
एंटीबॉयोटिक्स के उपयोग से रोगाणु तो मरते ही हैं साथ ही हमारे आतों के लाभकारी बैक्टीरिया का भी सफाया हो जाता है.
पांच दिन की एंटीबायोटिक्स का कोर्स बैक्टीरिया का इतना सफाया कर देता है
कि इन्हें फिर से आबाद करने में दो साल से भी अधिक का समय लग जाता है.
नतीजा, जब लाभकारी बैक्टीरिया ही नहीं बचेगा तो पाचन कैसे ठीक होगा.
बैक्टीरिया की कमी के चलते पहले हम पेट के अलसर, एसिडिटी, गैस से ग्रस्त होने लगते हैं
और फिर आता है इसका अगला उग्र रूप जिसे IBS अथवा संग्रहणी रोग कहा जाता है.
जब IBS संग्रहणी भी कुछ साल पुरानी हो जाती है तो इम्युनिटी सम्बंधित कई अन्य रोग जैसे
आँतों की सूजन, डायबिटीज, जोड़ों के दर्द के रोग, थाइरोइड समस्या, किडनी समस्या इत्यादि भी शरीर को जकड़ने लग जाते हैं.
2 लिवर का नुकसान
हमारा लिवर कई प्रकार के एंजाइम और एमिनो एसिड्स का निर्माण करता है जिनसे शरीर की लगभग हर क्रिया का सरोकार रहता है.
एंटीबायोटिक्स और अन्य कई ड्रग्स लिवर की कार्यशैली को प्रभावित करती हैं. लीवर के एंजाइम्स ऐसे काम करने लगते हैं जैसे कि हम काम कर रहे मजदूरों की आखों में पट्टियाँ बाँध कर काम करवाएं.
जब उन्हें दिखेगा ही नहीं कि काम ठीक हो रहा या नहीं तो काम भी गुणवत्ताहीन ही होगा.
एंजाइम्स का यही अंधत्व कोलेस्ट्रॉल बढाने, थाइरोइड समस्या जैसे कई रोगों का कारक बन जाता है.
3 डायबिटीज का बड़ा कारण
सामान्यत: डायबिटीज शरीर में इंसुलिन की कमी होने से या इन्सुलिन की संवेदनशीलता की कमी से पैदा होती है।
लेकिन कुछ खास दवाईयों के दुष्प्रभाव से भी शरीर में डायबिटीज होती है।
इन दवाइयों में मुख्यतया एंटी डिप्रेसेंट्स, नींद की दवाईयां, कफ सिरफ
तथा बच्चों को एडीएचडी (अतिसक्रियता) के लिए दी जाने वाली दवाईयां शामिल हैं।
इन्हें दिए जाने से शरीर में इंसुलिन उत्पादकता कम हो जाती है
और व्यक्ति को डायबिटीज का इलाज करवाना पड़ता है।
4 कैंसर का बड़ा कारण
ब्लड प्रेशर या रक्तचाप (बीपी) की दवाईयों से कैन्सर होने का खतरा तीन गुना बढ़ जाता है।
ऎसा इसलिए होता है क्योंकि ब्लडप्रेशर की दवाईयों में कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स होते हैं.
कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स के उपयोग से कोशिकाओं की हालत वैसी ही हो जाती है
जैसे किसी मछली की पानी से बाहर निकालने पर होती है.
उसे सांस लेने में तकलीफ होती है और वह बार बार अपना मुंह खोलकर सांस लेने की कोशिश करती है, और अंतत: मर जाती है.
जब कोशिकाओं को ज़रूरी कैल्शियम नहीं मिल पाता तो उनकी कमज़ोर होने और मरने की दर भी बढ़ जाती है.
प्रतिक्रियास्वरूप कोशिकाएं बेकार होकर कैंसर का रूप लेने में लग जाती हैं।
ये केवल ह्रदय रोग की दवाओं से ही नहीं होता कई कोलेस्ट्रॉल नियंत्रक दवाएं,
दर्द निवारक दवाएं, दिबेतेस और आर्थराइटिस की दवाएं भी ऐसा ही प्रभाव दिखाती हैं.
5 आंतरिक ब्लीडिंग
एस्पिरीन डिस्प्रिन का चलन आजकल खूब बढ़ गया है.
मामूली सर दर्द से लेकर शराब का हैंगओवर ठीक करने के लिए कुछ लोग इसका नियमित सेवन करते हैं.
हॉर्ट अटैक तथा ब्लड क्लॉट बनने से रोकने के लिए दी जाने वाली दवाई एस्पिरीन से लेने से खून पतला हो जाता है.
ह्रदय रोगियों जिनकी रक्त धमनियां सिकुड़ गयी हों; के लिए ये आवश्यक हो सकती है.
लेकिन इन्हें लगातार लेने से शरीर में रक्तस्राव का खतरा भी बेहद बढ़ जाता है.
शोध बताते हैं कि इंटरनल ब्लीडिंग का खतरा लगभग 100 गुणा तक बढ़ सकता है।
एक बात पक्की है, यदि इंटरनल ब्लीडिंग होने लग जाए तो परिणाम जानलेवा भी हो जाते हैं।
6 किडनी रोग
सीने में जलन के लिए नाहक ही Antacids का उपयोग किडनी कार्यक्षमता को बाधित करते हैं.
ये दवाएं आँतों के अल्सर भी साथ लाती है.
इन दवाओं से आंतों का अल्सर होने की संभावना बढ़ जाती है,
साथ ही साथ हडि्डयों का क्षरण होना, शरीर में विटामिन बी12 कमी आदि भी इनके अन्य दुष्प्रभाव रहते हैं।
क्या हैं उपाय
आधुनिक मेडिकल जगत की बहुत सी दवाईयां एक बीमारी को दूर कर अन्य कई रोगों की कारक बन जाती हैं.
जहाँ तक हो सके इनसे बचिए.
खासकर, इनकी आदत मत डालिए.
हमेशा अपने डॉक्टर से पूछ लिया करें कि आपको दी जाने वाली दवाई के क्या दुष्परिणाम हैं.
जब भी ऐसी दवाओं का उपयोग करें तो अपने डॉक्टर से इनके दुष्प्रभाव निवारण के बारे में भी अवश्य जानें
और दुष्प्रभाव निवारण की प्रक्रिया का भी पूरा पालन करें.
एक बात पक्की है कि अभी किये जाने वाले दुष्प्रभाव निवारण की कीमत
होने वाले भयंकर रोगों के इलाज की कीमत के सामने कुछ भी नहीं रहेगी.
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