त्रिफला रसायन के लाभ फायदे उपयोग विधि

त्रिफला रसायन – उपयोग कीजिये, रोगमुक्त रहिये

त्रिफला केवल पेट साफ़ करने की ही औषधि नहीं है. आयुर्वेद में इसे रसायन अथवा टॉनिक भी बताया गया है. त्रिफला रसायन इसलिए उपयोगी है क्योंकि त्रिफला के घटक तीनों दोषों को ठीक करते हैं.

हरड वातशामक है, तो बहेड़ा कफशामक और आंवला पित्तशामक.

जो औषधि सभी दोष मिटा दे और दुर्बलता का निवारण करे, उसे ही रसायन कहा जाता है.

त्रिफला रसायन से कायाकल्प

कायाकल्प योग ऐसे योग को कहा जाता है जिसके उपयोग से शरीर के सब दोष मिट जाएँ

और काया फिर से पूर्ण नीरोगी हो जाये.

मनुष्य अपने शरीर का कायाकल्प कर सालों साल तक निरोग और जवान रह सकता है।

त्रिफला से कायाकल्प होता है, ऐसा आयुर्वेद में कहा गया है.

इस लेख में पढ़िये, क्या हैं त्रिफला के शोध आधारित गुण और लाभ फायदे

त्रिफला – बेहतरीन आयुर्वेदीय टॉनिक – 10 शोध आधारित गुण

लेकिन अकेला त्रिफला शुष्कता पैदा करता है, जिसे त्रिफला से हानि भी कह सकते हैं..

इसलिए त्रिफला रसायन कायाकल्प योग में घी और शक्कर या या तिल तेल और शहद मिलाये जाते हैं.

हरड, बहेड़ा, आंवला के योग को त्रिफला कहा जाता है.

त्रिफला रसायन को ही त्रिफला रसायन कल्प योग, त्रिफला घृत या त्रिफला अवलेह भी कहते हैं.

यह रसायन दुर्बलता का नाश करता है और स्मृति को बढाता है.

इसके नियमित उपयोग से चेहरा कांतिवान और ओजसयुक्त बनता है.

कायाकल्प हेतु त्रिफला रसायन जैसा निरापद और बढ़िया योग दूसरा कुछ नहीं है।

त्रिफला रसायन कल्प- बनाने और उपयोग की विधि

यह रसायन बनाना संभवत: सबसे आसान है.

आप बस 100 ग्राम त्रिफला में 100 ग्राम घी और और 100 शक्कर मिला दें.

रसायन तैयार है.

अधिक गुणकारी बनाने के लिए, यदि चाहें तो इसमें दो या तीन चम्मच त्रिकटु चूर्ण (काली मिर्च, सौंठ, पिप्पली का समभाग चूर्ण) भी मिला सकते हैं.

आप त्रिकटु चूर्ण घर पर ही बना सकते हैं, जिसकी विधि नीचे दिये लिंक पर उलब्ध है:

घर पर बनाईये त्रिकटु चूर्ण – जानिये क्या हैं फायदे

आप चाहें, तो स्वाद बढाने के लिए घी और शक्कर की मात्रा बढ़ा भी सकते हैं.

इसमें लोंग, इलायची, जावित्री इत्यादि भी मिला सकते हैं.

त्रिफला रसायन कैसे खाना चाहिये

इस रसायन का एक बड़ा चम्मच रोज़ सुबह खाली पेट या फिर रात्रि को सोने से पहले लें.

चाहें तो ऊपर से दूध पी लें.

सुबह लेने से इसे कायाकल्प योग माना जाता है और रात को लेने से मेदोहर (मोटापा घटने वाला) योग.

इसे सुबह और शाम दोनों समय भी ले सकते हैं.

त्रिफला रसायन के लाभ फायदे

आयुर्वेद में, त्रिफला रसायन अथवा त्रिफला अवलेह अथवा त्रिफला रसायन कायाकल्प योग अथवा त्रिफला घृत की विस्तृत व्याख्या उपलब्ध है.

पारम्परिक वैद्य भी इसके गुणगान कुछ इस प्रकार करते हैं.

एक वर्ष तक नियमित सेवन करने से शरीर चुस्त होता है।

दो वर्ष तक नियमित सेवन करने से शरीर निरोगी हो जाता हैं।

तीन वर्ष तक नियमित सेवन करने से नेत्र-ज्योति बढ जाती है।

चार वर्ष तक नियमित सेवन करने से त्वचा कोमल व सुंदर हो जाती है।

पांच वर्ष तक नियमित सेवन करने से बुद्धि कुशाग्र हो जाती है।

छः वर्ष तक नियमित सेवन करने से शरीर शक्ति में पर्याप्त वृद्धि होती है।

सात वर्ष तक नियमित सेवन करने से सफ़ेद बाल फिर से काले हो जाते हैं।

आठ वर्ष तक नियमित सेवन करने से वृद्धावस्था पुन: यौवन पा लेती है।

नौ वर्ष तक नियमित सेवन करने से नेत्र-ज्योति कुशाग्र हो जाती है.

सूक्ष्म से सूक्ष्म वस्तु भी आसानी से दिखाई देने लगती हैं।

दस वर्ष तक नियमित सेवन करने से वाणी मधुर हो जाती है.

स्वर में सरस्वती का वास हो जाता है।

ग्यारह वर्ष तक नियमित सेवन करने से वचन सिद्धि प्राप्त हो जाती है.

अर्थात व्यक्ति जो भी बोले वह सत्य हो जाता है।

त्रिफला रसायन – अन्य योग

इस योग में घी की जगह तिल का तेल लिया जाता है और शक्कर की जगह शहद.

इसमें भी त्रिकटु चूर्ण मिला लेना चाहिये.

त्रिफला और शहद और तिल का तेल, सब समान मात्रा में मिलाकर इस योग की 10 ग्राम मात्रा हर रोज गुनगुने पानी के साथ लें.

इससे पेट, मासिक धर्म और दमे की तकलीफे दूर होती है.

इसे 120 दिन लेने से शरीर का शुद्धिकरण हो जाता है.

और 6 महीने तक नियमित सेवन करने से चेहरे पर कांती आ जाती है।



 

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5 thoughts on “त्रिफला रसायन – उपयोग कीजिये, रोगमुक्त रहिये”

  1. Sanjeev C. Bhatkar

    Trifala churna mein Anvla Harad aur Behada churnonki matea kitani / kis praman mein honi awashyak hai ?
    Anvla 3 ,
    Harad 2
    Behada 1 ya tinon churna saman matra mein hone chahiye ?
    Hamari jankarinusar pahala 3 : 2 : 1 praman ka adhiktam upayog kiya jata hai. Tatha samapraman vishist vyadhi mein upchar ke liye upayog mein laya jata hai. Krupaya aapki salah dijiye.

  2. यदि आप गिनती से ले रहे हैं तो एक हरड, दो बहेड़ा और तीन आंवला जो कि आयुर्वेद में बताया गया है. लेकिन आजकल वज़न से सभी को सम भाग लिया जाता है.

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