काफी हद तक, डायबिटीज़ नियंत्रण की बागडोर, आपके अपने हाथ में है.
संसार में ऐसी कोई जड़ी बूटी नहीं है; न ही अब तक कोई ऐसी दवाई का आविष्कार हुआ है; जो बिना किसी आहारशैली व दिनचर्या बदलाव
के;
डायबिटीज को जड़ से ख़त्म कर दे.
अच्छी बात यह है कि आप ही स्वयं केवल डायबिटीज़ नियंत्रण कर सकते हैं.
बस, आप को चाहिए बुनियादी ज्ञान और थोड़ी इच्छाशक्ति!
यह लेख आपकी सहायता करेगा; डायबिटीज़ नियंत्रण के लिये जड़ीबूटियों, आहार व दिनचर्या को जानने के लिये.
आईये जानते हैं…
डायबिटीज़ है क्या
एक स्वस्थ व्यक्ति की फास्टिंग शुगर (खाने के कम से कम आठ घंटे बाद) 100 mg/dL तक, व खाने के 2 घंटे बाद की रक्त शुगर
140mg/dL के नीचे पायी जाती है. (2)
डायबिटीज तब मानी जाती है जब दो अलग अलग दिनों पर, शरीर में रक्तशुगर की मात्रा खाली पेट 126 से अधिक तथा भोजन बाद 200 से
अधिक निकले.
बीच की सीमाओं को प्री डायबिटिक (Pre-diabetic stage) कहा जाता है. यानि जब फास्टिंग शुगर 101 से 125 हो और भोजन के बाद की
141 से 199 के बीच.
डायबिटीज में, हमारे शरीर की रक्तशुगर पूर्णरूप एवं प्रभावी तरीके से कोशिकाओं तक नहीं पहुँच पाती,
जिस कारण कोशिकाओं को कम उर्जा मिलती है.
उर्जा की इसी कमी के कारण डायबिटीज में कमज़ोरी का आभास होता है.(2)
डायबिटीज के पहले की स्थिति को Pre-diabetic कहते हैं.
जब अलग अलग दो मौकों पर, शुगर की मात्रा स्वस्थ उच्चतम स्तर से अधिक लेकिन डायबिटिक स्तर के नीचे मिले;
यानी खाली पेट 100 से 125 तक, तथा भोजन बाद 140 से लेकर 199 तक.
Pre-diabetic विसंगति कुछ महीनों या सालों तक चलती रहती है, तथा ये डायबिटीज की पूर्व चेतावनी है.
इसे खानपान व जीवन शैली में बदलाव कर सामान्य किया जा सकता है; नहीं तो देर सवेर डायबिटीज़ में बदल जाती है. (2)
अनुमान के मुताबिक हर वर्ष लगभग 10 लाख लोगों की डायबिटीज के कारण मृत्यु हो जाती है. (1)
कितनी कारगर होती हैं एलोपैथिक दवाईयां
इन्सुलिन या अन्य दवाओं का उदेश्य रक्तशर्करा अथवा ब्लड sugar के स्तर को एक निर्धारित लक्ष्य के अंदर रखने का होता है. (3)
इन्सुलिन के अतिरिक्त, डायबिटीज़ की अन्य खाने वाली दवाइयों के दीर्घकालीन उपयोग के दुष्परिणाम जग जाहिर हैं.
Metformin, Sulfonylureas, Alpha-glucosidase inhibitors, Thiazolidinediones, Meglitinides इत्यादि सभी के घातक
दुष्परिणाम होते हैं.
लम्बे समय तक इन्हें लेने से लिवर खराब होना, ब्लड प्रेशर बढ़ जाना, ह्रदय रोग, पेट के रोग और किडनी रोग पनप जाते हैं, जो जीवन को और
भी नकारा बना देते हैं.
इसलिए लम्बे समय तक इन दवाओं के उपयोग से बचना ही चाहिये.
आसान काम सब को पसंद होते हैं…हमारे शरीर को भी
शरीर की उर्जा प्राप्त करने के दो मुख्य स्रोत होते हैं.
कार्बोहाइड्रेटस और वसा (Fat).
उर्जा प्राप्ति के दोनों स्रोतों में से कार्बोहाइड्रेटस से उर्जा पाना आसान काम है.
ये वैसे ही है जैसे घर के अंदर ही पानी के नल लगे हों. जब जितना चाहिये, ले लिया.
वसा (Fat) का स्रोत एक कुएं की भांति है.
जहाँ से हम पानी एक घड़े में भरकर लाते हैं फिर उसे घर में धीरे धीरे उपयोग करते हैं.
जब घर के नल का पानी उपलब्ध हो तो कुँए का पानी या तो इस्तेमाल ही नहीं होता या फिर बहुत कम.
हमारा शरीर भी आसान काम को ही महत्व देता है.
उर्जा पाने के लिये ये कार्बोहाइड्रेटस को वसा से ज्यादा तरजीह देता है.
कार्बोहाइड्रेटस से उर्जा आसानी से मिल जाती है जबकि फैट से उर्जा पाने की प्रक्रिया जटिल रहती है.
कार्बोहाइड्रेट व वसा जैसे उर्जा स्रोतों के अतिरिक्त, हमें प्रोटीन भी भारी मात्रा में चाहिए होती है.
जिसका उपयोग कोशिकाओं के बनाने, मुरम्मत करने, होर्मोंस व अन्य जैविक रसायनों के निर्माण में होता है.
प्रोटीन शरीर की मूलभूत रचना की कारक (building block) होती है.(4)
डायबिटीज़ नियंत्रण- कैसे करें
डायबिटीज़ नियंत्रण बिल्कुल भी मुश्किल नहीं, जितना कि समझा जाता है.
नीचे दिए गए कुछ आहारों तथा नियमों से आप अपनी डायबिटीज़ का इलाज स्वयं कते हैं.
1 तेजपत्ता (Bayleaf)
घर की रसोई में उपलब्ध तेज पत्ता 2 घंटे के भीतर ही रक्तशर्करा का स्तर घटाने में सक्षम रहता है.
इसका चूर्ण बना कर रखें व नियमित तौर पर एक या दो चम्मच दिन में तीन बार लें.
2 दालचीनी (Cinnamon)
तेजपत्ता की ही तरह, दालचीनी भी डायबिटीज में लाभकारी होती है.
एक तो यह कोशिकीय स्तर पर इन्सुलिन का प्रतिरोध घटा कर इन्सुलिन की संवेदनशीलता बढ़ा देती है (5, 6).
साथ ही यह कार्बोहाइड्रेट के विघटन को धीमा कर देती है जिस कारण खान खाने के बाद एकदम से शुगर नहीं बढ़ती. (7, 8).
दालचीनी के उपयोग से शुगर लेवेल्स में 29 प्रतिशत तक का सुधार शोधों में देखने को मिला है.
यह कुछ हद तक इन्सुलिन की ही तरह काम करती है. (9, 10, 11).
दालचीनी आधा से एक चम्मच तक ली जा सकती है.
3 रसौंत (Berberine)
रसौंत एक सत्व है जो दारुहल्दी से तैयार किया जाता है.
रसौंत लगभग वैसे ही काम करती है जैसे कि डायबिटीज कम करने की दवाएं काम करती हैं. (12, 13).
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रसौंत को कार्बोहायड्रेटस के विघटन में लाभकारी पाया गया है तथा यह भी पाया गया है कि इसके उपयोग से शुगर लेवेल्स में सुधार होता है. (12, 14, 15).
डायबिटीज कण्ट्रोल के लिये रसौंत के सप्लीमेंट्स भी काफी लोकप्रिय है.
4 मेथी दाना (Fenugreek seed)
डायबिटीज के लिये मेथी को एक सुरक्षित जड़ी बूटी का दर्जा प्राप्त है.
बहुत से शोध प्रमाणित करते हैं कि मेथी का उपयोग डायबिटीज के लिये लाभकारी है.
मेथी शुगर कंटोल के साथ साथ शुगर सहने की क्षमता को भी बढाती है. (16, 17,18, 19).
मेथी के दानों में उत्तम घुलनशील फाइबर भी होता है जिस कारण ये शुगर को अचानक बढ़ने से रोकती है.
आप मेथी का उपयोग अंकुरित दाल, चना की भांति करेंगे तो तुरंत और अधिक लाभ मिलेगा.
फ़िक्र न करें मेथी कोई गर्म सर्द नहीं होती. महाराष्ट्र में तो इसकी दाल बना कर खाई जाती है.
5 फाइबर युक्त आहार
फाइबर, विशेषकर घुलनशील फाइबर कार्बोहाइड्रेटस के विघटन को धीमा करता है.
जिस कारण भोजन के बाद शुगर में एकदम से बढ़ाव नहीं होता.
अपने भोजन में फाइबर का भरपूर समावेश करें.
चोकर युक्त आटा, सभी किस्म के सलाद, फलों में पपीता, आडू, नाशपाती, तरबूज़, खरबूजा इत्यादि कम शुगर वाले व फाइबर के उत्तम स्रोत हैं.
6 सेव का सिरका
डायबिटीज कण्ट्रोल के लिये एप्पल साइडर विनेगर (ACV) एक अदभुत वरदान है.
आधुनिक शोधों ने एप्पल साइडर विनेगर को शुगर कण्ट्रोल में काफी लाभकारी पाया है.
यह शुगर विघटन की शारीरिक प्रक्रियाओं में सहायक है तथा इन्सुलिन की संवेदनता को बढाता है. (20, 21, 22, 23, 24, 25).
[the_ad id=”6804″]एप्पल साइडर विनेगर (सेव का सिरका) शुगर की कोशिकीय क्रियाओं को भी धीमा करता है, जिससे शुगर एकदम से नहीं बढ़ती. (27).
एप्पल साइडर विनेगर पेट के लिए भी लाभकारी रहता है क्योंकि डायबिटीज रोग में पेट अक्सर खराब हो जाया करता है.
आप इसके एक से दो बड़े चम्मच आधा गिलास पानी में मिलाकर ले सकते है या फिर सलाद, सब्जी इत्यादि में भी डाल सकते हैं.
Amazon पर उपलब्ध एप्पल साइडर विनेगर के लिये इस लिंक या दर्शाए गए चित्र पर क्लिक करें
7 कच्चे कसैले आहार
स्वस्थ जीवन के लिये, आयुर्वेद में सभी छ: रसों का सेवन अनिवार्य बताया है.
कसैले व कड़वे फल एवं सब्जियां डायबिटीज नियंत्रण में अति उपयोगी होती हैं.
आहार में कसैलेपन को पाने का तरीका ये भी है कि कुछ फलों के छिलके भी खाए जाएँ.
कसैले फलों के गुणों के लिये यहाँ क्लिक करें.
8 केटोजेनिक आहार
आजकल के शोध वे सब मानने लगे हैं जो हमारे बुज़ुर्ग हमें बताते थे.
पिछले 30-40 वर्षों में हमने घी मक्खन को दुश्मन समझ लिया था.
जिसका खामयाजा अब एक पूरी पीड़ी, कई बीमारियों से ग्रस्त होकर चुका रही है.
डायबिटीज में अधिक कार्बोहाइड्रेट की अपेक्षा अधिक घी तेल व प्रोटीन युक्त भोजन लेना एक कारगर विकल्प है.
इस प्रकार की आहारशैली से, शरीर वसा एवं प्रोटीन से अपनी उर्जा प्राप्त कर लेता है जिससे शुगर के लिये इन्सुलिन की आवश्यकता कम हो
जाती है.
शोध बताते हैं कि केटोजेनिक डाइट (जिसे कीटो डाइट भी कहते हैं) से इन्सुलिन की संवेदनशीलता 75 प्रतिशत तक बढ़ जाती है तथा अन्य
दवाइयां कम हो जाती हैं या छूट भी जाती हैं. (28, 29).
इसका एक अन्य फायदा यह भी है कि इसे लेने से शुगर लेवेल्स में अचानक बढ़ाव नहीं आता जैसा कि कार्बोहाइड्रेट प्रधान आहार से होता है.
साथ ही घी तेल युक्त भोजन के बाद लम्बे समय तक भूख नहीं लगती जो कि डायबिटीज वालों की आम समस्या रहती है.
कीटोजेनिक आहार – मात्रा और तरीका
स्टैण्डर्ड केटोजेनिक आहार शैली में वसा (घी, तेल इत्यादि), प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेटस का अनुपात 75:20:5 का होना चाहिये.
केटोजेनिक आहार पर बाद में विस्तार से लिखूंगा.
अभी के लिये इतना समझना ही काफी है कि इसमें आपको नाश्ते के विभिन विकल्प जैसे भीगी मूंगफली, अलसी, अंडा इत्यादि के साथ
फुलक्रीम दूध लेना है.
दोपहर को ताज़ी सब्ज़ियां, सलाद इत्यादि व दही से पेट भरना है.
रात का भोजन केवल अंकुरित दालें, बीन्स (या मांस, मछली) व सलाद होंगे.
बीच के नाश्ते में अखरोट, मूंगफली, पिस्ता, बादाम, सोयाबीन, इत्यादि तेलयुक्त पदार्थ रहेंगे.
चीनी, मीठे फ्रूट, कोल्ड ड्रिंक्स, जूस, आटा गेहूं, चावल, आलू इत्यादि उच्च कार्बोहाइड्रेट वाले आहार पर रोक रहेगी.
केटो आहार शैली एकदम नहीं बल्कि धीरे धीरे 10 से 15 दिनों में परिवर्तित करनी चाहिए.
यानी आरम्भ में आप चीनी, गेहूं चावल के उत्पाद छोड़ें, फिर बाद में आलू इत्यादि.
9 ओमेगा-3 का सेवन करें
बहुत सारे नए शोध यह प्रमाणित करते हैं कि ओमेगा 3 की कमी का डायबिटीज से सीधा सम्बन्ध है.
ओमेगा 3 युक्त आहार जैसे अलसी, अखरोट, मछली इत्यादि, डायबिटीज नियंत्रण में प्रभावी पाए गए हैं.
इसी कारण ओमेगा 3 के सप्लीमेंट का एक बड़ा बाज़ार खड़ा हो गया है.
ये सप्लिमेट्स घर बैठे अमाजोंन जैसे ऑनलाइन स्टोर से मंगाए जा सकते हैं.
कई डायबिटीज के रोगियों ने बताया है कि ओमेगा 3 लेने से उनकी डायबिटीज में काफी सुधार मिला.
यह सप्लीमेंट्स मुख्यत: मछली के तेल से बने होते हैं.
यदि आप शाकाहरी हैं तो ओमेगा 3 के लिए आप अलसी का तेल ले सकते हैं.
क्योंकि यह तेल स्वाद की वजह से सीधे उपयोग करना मुश्किल होता है, आप इसके capsules भी ले सकते हैं.
ओमेगा 3 पर अधिक जानकारी के लिये इस लिंक को क्लिक करें.
10 भरपूर पानी पियें
शरीर को पानी से तृप्त रखने से डायबिटीज में बड़ा लाभ मिलता है.
पानी पीने से वैसोप्रेसिन नामक होर्मोन सक्रिय हो जाता है जिस कारण किडनियां अतिरिक्त शुगर को मूत्र में भेज देती हैं.
पानी से होने वाला अधिक मूत्र त्याग एक प्राकृतिक शुगर कण्ट्रोल प्रक्रिया है.(30, 31, 32, 33)
पानी कम पीकर अपना मूत्र त्याग नियंत्रित करने की गलती कभी न करें. भरपूर पानी पियें.
चाहे इसके लिये आपको रात में भी क्यों न उठकर टॉयलेट जाना पड़े.
11 कार्बोहाइड्रेटस कम लें
आपका शरीर कार्बोहाइड्रेटस को विघटित कर शुगर (मुख्यतः ग्लूकोस) में परिवर्तित करता है.
और फिर इन्सुलिन इसे कोशिकाओं तक पहुँचाने का काम करती है.
जब आप अधिक कार्बोहाइड्रेट लेते हैं या जब आपकी इन्सुलिन ठीक काम नहीं कर पाती, तो ये प्रणाली बिगड़ जाती है जिसके कारण रक्त में
शुगर बढ़ने लगती है.
इसलिए उच्च कार्बोहाइड्रेटस; जैसे कि चीनी व चीनी युक्त ड्रिंक्स, मिठाई, अनाज जैसे चावल, गेहूं इत्यादि के उत्पाद, आलू के उत्पाद इत्यादि
से बचना चाहिए.
चावल मांड निकाल कर खाएं.
चोकर सहित व खमीर करने से गेहूं से होने वाले नुकसान कम हो जाते हैं.
एक बात ध्यान रखें. यदि आप पेट के रोग जैसे IBS संग्रहणी इत्यादि से त्रस्त हैं तो चोकर सहित आटा आपको परेशान कर सकता है.
बहुत से शोध बताते हैं कि कम कार्बोहाइड्रेटस लेने से डायबिटीज पर बेहतर नियंत्रण रहता है, और अचानक शुगर का अत्यधिक बढ़ना जैसी
स्थितियों से भी निजात मिलती है. (34, 35, 36, 37)
12 व्यायाम
हल्का व्यायाम तथा सैर करना शुगर मेटाबोलिज्म को उत्प्रेरित करने में सहायक होता है.
सैर करने से पैंक्रियास की गतिशीलता बढती है.
साथ ही पेट की क्रियाशीलता भी बढ़ती है.
13 योगासन
हलासन, ताड़ासन, इत्यादि पेट की क्रियाशीलता को नियमित रखने में सहायक होते हैं.
14 प्राणायाम
अनुलोम विलोम व कपालभाती क्रियाएं जिनसे पेट में संकुचन व कम्पन हो, पैंक्रियास की दक्षता बढाने में सहायक रहते हैं.
और जब एक्टिव रहेगी तो डायबिटीज नियंत्रण भी आसान होगा.
15 ध्यान (Meditation)
तनाव डायबिटीज के मुख्य कारकों में से एक है.
ध्यान तनाव को नियंत्रित करता है.
बड़ी से बड़ी चिंता का निवारण ध्यान से हो जाता है.
यदि आप ध्यान को जटिल मानते हैं तो केवल इतना करिए कि सुबह नींद से उठते ही बिस्तर पर आँखें बंद कर 10 मिनट तक सुखासन में बैठ
जाएं.
तीन चार दिन में ही आप ध्यान के प्रथम चरण को पा जायेंगे.
सुबह उठने के बाद, कम से कम दो घंटे तक अखबार, टीवी, फ़ोन इत्यादि से दूर रहें.
कुछ समय का मौन रखना भी, तनाव दूर करने का अचूक उपाय है.
टोटकों, फौरी नुस्खों से बचें
सोशल मीडिया के इस दौर में आपको तमाम तरह के ज्ञान मिलेंगे कि यह नुस्खा लो वो नुस्खा लो तो डायबिटीज जड़ से ख़त्म हो जायेगी.
इन नुस्खों की न तो कोई प्रमाणिकता होती है न ही कोई विश्वसनियता.
ऐसे ही फ़िज़ूल के एक उपाय के बारे में आपको ज़रूर आगाह रहना चाहिए,
जिसमें कहा जाता है कि गुडमार की पत्तियों की चाय या पावडर से डायबिटीज ठीक होती है.
यह भ्रामक प्रचार होते हैं जो आपको लाभ देने की बजाये नुक्सान भी दे सकते हैं.
गुडमार पर अधिक जानकारी इस लेख में देखी जा सकती है.
आयुर्वेदिक उपचार
मेहन्ता (Mehanta)और Berberis (दारुहरिद्रा) आयुर्वेद सेंट्रल के उत्पाद के उत्पाद हैं जिन्हें उपयोग कर कईयों ने डायबिटीज़ में लाभ पाया है
मेहन्ता एक सम्पूर्ण आयुर्वेदिक उत्पाद है जिसके सभी संयोजक तत्व आयुर्वेद सम्मत भी हैं और शोध विज्ञान द्वारा प्रमाणित भी. (5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12, 13, 14, 15, 16, 17,18, 19, 20, 21, 22, 23, 24, 25, 26)
इसके उपयोग से इन्सुलिन उत्पादन और सक्रियता दोनों ही बढ़ते हैं और शरीर उर्जावान भी बना रहता है.
इस लिंक पर क्लिक कर मेहन्ता (Mehanta) पर अधिक जानकारी ली जा सकती है और खरीद भी की जा सकती है.
दारुहल्दी के उत्पाद Berberis (रसौंत) के गुण इस लेख में देखे जा सकते हैं.
सारशब्द
डायबिटीज एक बहुआयामी रोग है. लेकिन इसका नियंत्रण बड़ी आसानी से किया भी जा सकता है.
बताये गए 15 विकल्प आसान भी हैं और कारगर भी.
आपको एलोपैथिक दवाओं के लम्बे समय के उपयोग से ज़रूर बचना चाहिये.
रोगी की आयु और स्वास्थ्य, डायबिटीज की दीर्घता (duration) प्रबलता (intensity) व अन्य रोगों इत्यादि के चलते, अपने डॉक्टर के मार्ग
निर्देशन में ही बताये गए सुझावों का चयन करें.
Dibitig me quek upchar batayeo
Inmein se jo suit karen ve chuniye.