हमारी बड़ी आंत (Gut) 100 लाख करोड़ (यानि 1000 खरब) से अधिक जीवाणुओं (bacteria) का एक पूरा संसार है, जिन्हें आंतों के अच्छे बैक्टीरिया (Good bacteria) या गट फ्लोरा के नाम से जाना जाता है.
इस गट फ्लोरा का स्वस्थ रहना आपके के लिए बहुत ही जरूरी है.
दिलचस्प बात यह है कि कई आहार, जीवनशैली और अन्य पर्यावरणीय कारक; आपके आंतों के अच्छे बैक्टीरिया को नुकसान पहुंचा सकते हैं.
क्या होते हैं आंतों के अच्छे बैक्टीरिया
बैक्टीरिया की सैकड़ों प्रजातियां आपकी आंत में रहती हैं.
उनमें से कुछ मित्र बैक्टीरिया होते हैं, जबकि कुछ नहीं होते.
आंत के अधिकांश बैक्टीरिया चार समूहों में से किसी एक से सम्बंधित होते हैं :
फर्मिक्यूट्स, बैक्टीरॉयडेट्स, एक्टिनोबैक्टेरिया और प्रोटेबैक्टेरिया (1, 2).
प्रत्येक समूह आपके स्वास्थ्य में एक भूमिका निभाता है.
और बेहतर तरीके से बढ़ने के लिए उसे विभिन्न पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है (3).
पाचन के लिए सहायक मित्र बैक्टीरिया अहम होते हैं.
वे हानिकारक बैक्टीरिया और अन्य सूक्ष्मजीवों को नष्ट करते हैं और विटामिन K, फोलेट और शॉर्ट-चेन फैटी एसिड का निर्माण करते हैं(4, 5).
जब आंत में बहुत अधिक हानिकारक बैक्टीरिया होते हैं और पर्याप्त मित्र बैक्टीरिया नहीं होते, तो असंतुलन हो सकता है.
इसे डिसबायोसिस (dysbiosis) के नाम से जाना जाता है(6, 7).
डिसबायोसिस और अलग अलग प्रजाति के मित्र बैक्टीरिया का ना होना, दोनों ही कारण इंसुलिन प्रतिरोध, सूजन, मोटापे, सूजन आंत्र रोग और गुदा आंत के कैंसर जैसी बड़ी बीमारियों से जुड़े पाए गए हैं(8, 9, 10, 11).
इसलिए, अपने आंतों के अच्छे बैक्टीरिया को मित्रतापूर्वक तरीके से और अधिक से अधिक मात्रा में रखना जरूरी है.
जानिये, क्या हैं 8 चीजें जो आंतों के अच्छे बैक्टीरिया को नुकसान पहुंचा सकती हैं.
1. अलग अलग तरह के पोषक आहार न खाना
आम तौर पर, एक समृद्ध और विविध गटफ्लोरा को स्वस्थ माना जाता है (12).
यदि आंत के अच्छे बैक्टीरिया की विविधता में कमी होती है
तो हानिकारक प्रभावों जैसे संक्रमण या एंटीबायोटिक दवाओं से बचने की क्षमता भी कम हो जाती है(13, 14).
फल, सब्ज़ियों, दालों और पूरे अनाज जैसे विभिन्न खाद्य पदार्थों से युक्त आहार अलग अलग तरह की गट फ्लोरा बनाते हैं.
वास्तव में, आहार की विविधता और शैली में परिवर्तन केवल कुछ दिनों में ही आपके गटफ्लोरा प्रोफाइल को बदल सकते हैं(12, 15, 16).
ऐसा इसलिए है क्योंकि आप जो खाना खाते हैं वह ऐसे पोषक तत्व प्रदान करता है जो बैक्टीरिया के बढ़ने में मदद करता है.
पूरे अनाजों से समृद्ध आहार आपकी आंत को अलग अलग तरह के पोषक तत्व प्रदान करते हैं जिससे विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया के विकास को बढ़ावा देने में मदद मिलती है.
परिणामस्वरूप एक समृद्ध और विविधता वाली गटफ्लोरा बनती है.
दुर्भाग्य से, पिछले 50 वर्षों में, आहार मे से अधिकांश विविधता विलुप्त हो चुकी है.
आज, दुनिया की खाद्य आपूर्ति का 75% केवल 12 पौधों और पांच पशु प्रजातियों से आता है(12).
अध्ययनों से दिलचस्प बात पता चली है कि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में अधिक विविध गटफ्लोरा पाया जाता है
जबकि शहरों में रहने वालों और अमेरिका, यूरोप ऑस्ट्रेलिया जैसे विकसित देशों के देशवासियों में कम विविध गटफ्लोरा रहता है(17, 18).
दालें, अनाज, हर प्रकार की सब्जियां और फल जैसे ग्रामीणों के आहार आमतौर पर शहरी लोगों के आहारों से अलग होते हैं
उनके आहार में कद्दु, कचालू, सहिंजन, करोंदा जैसी सब्जियां और ज्वार, बाजरा, रागी जैसे अनाजों का समावेश रहता है,
जिसे अधिकाँश शहरी लोग पसंद करने से हिचकिचाते हैं.
उनके आहार फाइबर एवं विभिन्न प्रकार के पौधों वाले प्रोटीन स्रोतों से समृद्ध होते हैं, जबकि शहरी लोगों के कम.
2. आहार में प्रीबायोओटिक्स की कमी
प्रीबायोओटिक एक प्रकार का फाइबर होता है जो शरीर में बिना पचे गुजरता है
और अनुकूल आंत बैक्टीरिया की वृद्धि और गतिविधि को बढ़ावा देता है (19).
फलों, सब्जियों और पूरे अनाज सहित कई खाद्य पदार्थों में स्वाभाविक रूप से प्रीबायोओटिक (prebiotic) फाइबर होता है.
आहार में इनकी कमी आपके पाचन के लिए नुकसानदेह हो सकती है (20).
प्रीबायोओटिक से भरपूर भोजन हैं:
• दालें जैसे उड़द, अरहर, मसूर, मूंग, काबुली चने, लोबिया, राजमाह और सेम• जौ • केले• शकरकंद• शतावरी• लहसुन• हरा प्याज और पका प्याज• मेवागिरी जैसे मूगफली, अखरोट, बादाम, काजू इत्यादि
मोटापे से ग्रस्त 30 महिलाओं में एक अध्ययन के दौरान पाया गया कि तीन महीने के लिए दैनिक प्रीबायोओटिक (prebiotic) सप्लीमेंट लेने से स्वस्थ बैक्टीरिया बिफिडोबैक्टेरियम और फैसिलिबैक्टीरियम के विकास को बढ़ावा मिला (21).
प्रीबायोओटिक (prebiotic) फाइबर आहार शॉर्ट-चेन फैटी एसिड के उत्पादन को भी बढ़ावा देता है(22).
ये फैटी एसिड आपके पेट में कोशिकाओं के लिए पोषण के मुख्य स्रोत होते हैं.
उन्हें आपके रक्त में अवशोषित किया जा सकता है,
जहां वे उपापचय और अच्छे पाचन को बढ़ावा देते हैं, सूजन को कम करते हैं,
साथ ही कोलोरेक्टल कैंसर के खतरे को कम कर सकते हैं(23, 24).
इसके अलावा, प्रीबायोओटिक (prebiotics) फाइबर से समृद्ध खाद्य पदार्थ,
इंसुलिन और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में भूमिका निभा सकते हैं (25, 26).
3. बहुत अधिक शराब पीना
शराब के नशे की लत अत्यधिक जहरीली है और बड़ी मात्रा में पीने पर शरीर और मन का बहुत नुकसान हो सकता है (27, 28).
आंत के स्वास्थ्य के मामले में, बार बार शराब पीने से डिसबिओसिस जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं.
एक अध्ययन ने 41 शराबियों के गट फ्लोरा की जांच की जिसकी 10 स्वस्थ व्यक्तियों के गट फ्लोरा से तुलना की जो कम से कम या फिर बिलकुल शराब नहीं पीते थे.
शराब पीने वाले 27% लोगों में डिस्बिओसिस था, लेकिन यह शराब ना पीने वाले किसी भी व्यक्ति में मौजूद नहीं था (29).
एक अन्य अध्ययन ने आंतों के स्वास्थ्य पर तीन अलग-अलग प्रकार के अल्कोहल के प्रभावों की तुलना की.
20 दिनों तक, प्रत्येक व्यक्ति ने 9.2 औंस (272 मिलीलीटर) रेड वाइन, उसी मात्रा में बिना अल्कोहल की रेड वाइन और 3.4 औंस (100 मिलीलीटर) जिन (Gin) का सेवन किया(30).
Gin पीने से फायदेमंद आंत बैक्टीरिया की संख्या में कमी आई,
जबकि रेड वाइन ने वास्तव में आंत स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए फायदेमंद बैक्टीरिया की बहुत वृद्धि की
और क्लॉस्ट्रिडियम जैसे हानिकारक आंत बैक्टीरिया की संख्या में कमी आई.
हल्की रेड वाइन पीने से आंत बैक्टीरिया पर अच्छा प्रभाव इसमें पॉलीफेनॉल के होने के कारण होता है.
पॉलीफेनॉल पौधों से मिलने वाले यौगिक होते हैं जो पाचन से बच जाते हैं और लाभकारी आंत बैक्टीरिया से टूट जाते हैं.
ये रक्तचाप को कम करने और कोलेस्ट्रॉल में सुधार करने में भी मदद कर सकते हैं (31, 32).
4. एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन
एंटीबायोटिक्स महत्वपूर्ण दवाएं हैं जो बैक्टीरिया से होने वाले संक्रमण और बीमारियों जैसे मूत्र पथ संक्रमण और गले में खराश के लिए उपयोग की जाती हैं.
ये दवाएं या तो जीवाणुओं को मार देती हैं या उन्हें बढ़ने से रोकती हैं.
पिछले 80 वर्षों में इन दवाओं ने करोड़ों लोगों का जीवन बचाया भी है.
फिर भी, एंटीबायोटिक्स की सबसे बड़ी कमी यह है कि वे अच्छे और बुरे बैक्टीरिया दोनों को प्रभावित करते हैं.
वास्तव में, यहां तक कि एक 3से 5 दिनों का एंटीबायोटिक उपचार भी गट फ्लोरा की संरचना और विविधता में हानिकारक परिवर्तन कर सकता है.
एंटीबायोटिक आमतौर पर फायदेमंद बैक्टीरिया जैसे बाईफिडोबैक्टेरिया और लैक्टोबैसिलि में अल्पकालिक गिरावट का कारण बनता है
और अस्थायी रूप से क्लॉस्ट्रिडियम जैसे हानिकारक बैक्टीरिया को बढ़ा सकता है(36).
एंटीबायोटिक्स आंतों के अच्छे बैक्टीरिया में दीर्घकालिक परिवर्तन भी कर सकते हैं.
एंटीबायोटिक दवाओं की खुराक पूरी करने के बाद, अधिकांश बैक्टीरिया 1- 4 सप्ताह बाद लौटते हैं,
लेकिन उनकी संख्या अक्सर पिछले स्तर पर वापस नहीं आती(37, 38, 39).
वास्तव में, एक अध्ययन में पाया गया कि एंटीबायोटिक दवाओं की एक खुराक ने बैक्टरोइड्स की विविधता को कम किया,
जो सबसे प्रभावशाली जीवाणु समूहों में से एक है
साथ ही प्रतिरोधी उपभेदों की संख्या में वृद्धि हुई पाई गई.
ये प्रभाव दो साल तक बने रहे(40).
5. नियमित शारीरिक गतिविधि की कमी
शारीरिक गतिविधि को शरीर की किसी भी क्रिया के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो ऊर्जा की खपत करे.
पैदल चलना, बागवानी, तैराकी और साइकिल चलाना ये सभी शारीरिक गतिविधियों के उदाहरण हैं.
शारीरिक सक्रियता के वजन घटाने, कम तनाव और जीर्ण चिरकालिक (Chronic) बीमारी का कम खतरा होने सहित कई सारे स्वास्थ्य लाभ हैं (41, 42, 43, 44).
हाल के अध्ययनों से पता चला है कि शारीरिक गतिविधि गटफ्लोरा को भी बदल सकती है,
जिससे आंत के स्वास्थ्य में सुधार होता है(45, 46, 47).
उच्च फिटनेस स्तरों को ब्यूट्रेट की बढ़ती मात्रा से जोड़ा गया है.
ब्यूट्रेट एक शॉर्ट-चेन फैटी एसिड होता है जो व्यापक स्वास्थ्य और ब्यूट्रेट जनक बैक्टीरिया के लिए जरूरी रहता है (48, 49).
खिलाड़ियों और एथलीटों में अक्कर्मनिया (Akkermansia) नामक बैक्टीरिया के उच्च स्तर पाए गए,
जो मेटाबोलिज्म सुधार और मोटापे की रोकथाम में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला बैक्टीरिया है (50, 51).
महिलाओं में भी इसी तरह के परिणाम दर्ज किए गए हैं.
एक अध्ययन ने 19 शारीरिक रूप से सक्रिय महिलाओं के गट फ्लोरा की तुलना 21 गैर-सक्रिय महिलाओं से की (52).
सक्रिय महिलाओं में बिफिडोबैक्टेरियम (Bifidobacterium) और अक्कर्मनिया (Akkermansia) सहित,
स्वास्थ्य के लिए अच्छे जीवाणुओं की एक बड़ी मात्रा थी,
जो सिद्ध करता है कि कम – या मध्यम तीव्रता वाली नियमित शारीरिक गतिविधि, पेट के लिए फायदेमंद होती है.
6. तम्बाकू का धूम्रपान और सेवन
तंबाकू का धुआं हजारों रसायनों से बना है, जिनमें से 70 कैंसर का कारण बन सकते हैं (53).
धूम्रपान शरीर के लगभग हर अंग को नुकसान पहुंचाता है और हृदय रोग, स्ट्रोक और फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ाता है (54).
सिगरेट धूम्रपान भी आँतों की सूजन रोग के लिए सबसे महत्वपूर्ण पर्यावरणीय खतरों में से एक है, जिसकी विशेषता पाचन तंत्र की लगातार सूजन है (55).
इसके अलावा, गैर धूम्रपान करने वालों की तुलना में धूम्रपान करने वालों को क्रोन की बीमारी होने की संभावना ज्यादा रहती है,
जो की एक आम प्रकार की आंत सूजन की बीमारी है (56).
एक अध्ययन में, धूम्रपान छोड़ने के 9 सप्ताह बाद गट फ्लोरा की विविधता में वृद्धि हुई पाई गयी,
जो स्वस्थ आंत का परिचायक है (57).
7. पर्याप्त नींद ना लेना
आम धारणा है कि, अच्छे स्वास्थ्य के लिए अच्छी नींद लेना बेहद जरूरी है.
आंत के बैक्टीरिया पर नींद की कमी का प्रभाव अनुसंधान का एक नया क्षेत्र है.
आँतों के स्वास्थ्य पर नींद की कमी और खराब नींद की गुणवत्ता के प्रभाव को निर्धारित करने के लिए,
कुछ और ज्यादा अध्ययन की जरूरत है.
अध्ययनों से इतना पता ज़रूर चलता है कि नींद की कमी मोटापे और हृदय रोग सहित कई बीमारियों से जुड़ी हुई है (58, 59, 60).
नींद इतनी महत्वपूर्ण है कि समय के परिमाण के लिए शरीर की अपनी एक घड़ी होती है
जिसे आपकी सर्कडियन लय (circadian rhythm) के नाम से जाना जाता है (61).
यह 24 घंटे की आंतरिक घड़ी है जो आपके मस्तिष्क, शरीर और हार्मोन को प्रभावित करती है.
यह घडी आपको सतर्क और जगा हुआ रख सकती है,
लेकिन साथ ही आपके शरीर को बता भी सकती है कि कब आपके सोने का समय है (62, 63).
ऐसा प्रतीत होता है कि हमारी आंत भी एक दैनिक सर्कडियन जैसी लय का पालन करती है.
नींद की कमी, दिन और रात की शिफ्ट में कार्य और रात में देर से खाने की आदत से
आपके शरीर की घड़ी बाधित हो आपकी आंत के बैक्टीरिया पर हानिकारक प्रभाव डाल सकती है(64, 65, 66).
2016 का एक अध्ययन गट फ्लोरा की संरचना पर नींद की कमी के कुप्रभावों का पता लगाने वाला पहला अध्ययन था (67).
अध्ययन ने नौ लोगों में दो रातों की नींद की कमी (प्रति रात लगभग 4 घंटे) के प्रभावों की तुलना,
दो रातों की सामान्य नींद की अवधि (8.5 घंटे) से की.
दो दिनों की नींद की कमी ने गट फ्लोरा में बदलाव किए
और वजन बढ़ाने, मोटापे, टाइप 2 मधुमेह और वसा उपापचय से जुड़े बैक्टीरिया की बहुत अधिक मात्रा में बढ़त हुई (67, 68).
8. बहुत अधिक तनावग्रस्त होना
केवल आहार, शारीरिक गतिविधि और पर्याप्त नींद के ही बारे में नहीं होता है.
उच्च स्तर के तनाव के भी शरीर पर हानिकारक प्रभाव हो सकते हैं.
तनाव आंत की संवेदनशीलता में वृद्धि कर सकता है,
रक्त प्रवाह को कम कर सकता है और आंत के बैक्टीरिया को बदल सकता है (69).
चूहों पर हुए अध्ययन से पता चला है कि अलग अलग प्रकार के तनाव
जैसे अलगाव, भीड़ और गर्मी,
गट फ्लोरा की विविधता को कम कर सकते हैं और आंत की प्रोफाइल बदल सकते हैं (70, 71, 72).
तनाव बैक्टीरियल आबादी को भी प्रभावित करता है,
जिससे क्लॉस्ट्रिडियम जैसे संभावित हानिकारक बैक्टीरिया में वृद्धि होती है
और लैक्टोबैसिलस जैसे फायदेमंद बैक्टीरिया की आबादी कम हो जाती है (73, 74).
मनुष्यों में एक अध्ययन ने 23 कॉलेज के छात्रों में आंत बैक्टीरिया की संरचना पर तनाव के प्रभाव को देखा (75).
सेमेस्टर की शुरुआत में और अंतिम परीक्षा के दौरान सेमेस्टर के अंत में आंत बैक्टीरिया की संरचना का विश्लेषण किया गया था.
अंतिम परीक्षाओं से जुड़े उच्च तनाव को लैक्टोबैसिलि (Lactobacilli) समेत अच्छे बैक्टीरिया में कमी का कारण बना दिया.
आशाजनक होते हुए भी, तनाव और आंत वनस्पतियों के बीच के संबंधों पर शोध काफी नया है,
और इन पर मानव अध्ययन वर्तमान में सीमित ही हैं.
आंत के स्वास्थ्य में सुधार कैसे करेंएक स्वस्थ गट फ्लोरा जिसमें शरीर के लिए अच्छे बैक्टीरिया प्रचुर मात्रा में होने चाहिए,
संपूर्ण अच्छे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं.
यह हैं गट फ्लोरा को सुधारने के तरीके पर कुछ सुझाव:
अधिक प्रीबायोओटिक (prebiotic)खाद्य पदार्थ खाइये
फलियां, लोबिया, राज्माह, उरद अथवा उड़द, प्याज, शतावरी, जई, केला एवं अन्य प्रीबायोओटिक (prebiotic) फाइबर से भरपूर खाद्य पदार्थ खाएं.
यहाँ यह जानना दिलचस्प होगा कि भारत की उन उपसभ्यताओं में पेट के रोग कम देखे जाते हैं जो उड़द, राजमाह और लोबिया का अधिक उपयोग करते हैं.
जैसे कि दक्षिण भारतीय वडा और उत्तर भारतीय लोबिया, राजमाह और उड़द की दाल के व्यंजन.
प्रीबायोओटिक सप्लीमेंट्स लेना भी एक उत्तम विकल्प है.
अधिक प्रोबायोटिक्स (probiotics) का उपभोग करें
प्रोबायोटिक्स (probiotics) आंतों के मित्र बैक्टीरिया की मात्रा बढ़ाने में बहुत मदद कर सकते हैं.
खमीरयुक्त खाद्य पदार्थ, जैसे कि दही, मठा, वडा, डोसा, ढोकला, किमची, कांजी, कोम्बूचा चाय और केफिर, ये सभी प्रोबायोटिक्स के उत्कृष्ट स्रोत हैं.
आप एक प्रोबियोटिक पूरक लेना भी शुरू कर सकते हैं.
अच्छी नींद के लिए समय सुनिश्चित करें
अच्छी नींद के लिए, कैफीन का सेवन कम करने का प्रयास करें,
नींद से एक आधे घंटे पहले टीवी, मोबाइल इत्यादि ध्यान हटाने वाले कारकों से दूर रहें.
पूर्ण अंधेरे में सोएं और नींद की एक समय सारणी बनाएं ताकि आपके सोने और जागने का समय एक ही हो.
तनाव घटाएं
नियमित व्यायाम, ध्यान और गहरी सांस लेने के अभ्यास से आपके तनाव के स्तर को कम करने में मदद मिल सकती है.
यदि कोई नियमित रूप से तनावग्रस्त महसूस करता है
तो उसे मनोवैज्ञानिक से सलाह करने पर विचार करना चाहिये.
अधिक पॉलीफेनोल्स (Polyphenols) वाले खाद्य पदार्थ खाएं
इसके अच्छे स्रोतों में लॉन्ग अथवा लवंग (Clove), रेड वाइन, डार्क चॉकलेट और हरी चाय शामिल हैं.
वास्तव में भारतीय रसोई के मसाले लौंग में सबसे अधिक polyphnols पाये जाते हैं.
उसके बाद पुदीना और सौंफ का स्थान आता है.
पॉलीफेनॉल (Polyphenols) बहुत कुशलता से नहीं पचते हैं
और अक्सर पेट में अपना रास्ता बनाते हैं, जहां वे बैक्टीरिया द्वारा पचाये जाते हैं.
पुरानी आहारशैली अपनाईये,
अपने खाने में लौंग, सौंफ और पुदीना जैसे मसालों का यथोचित उपयोग ज़रूर कीजिये.
सार शब्द
आपकी आंतों के बैक्टीरिया संपूर्ण स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, और गट फ्लोरा में रुकावट कई बिमारियों से जुड़ा हुआ है.
खराब नींद, शराब का सेवन और निष्क्रियता जैसे आहार और जीवनशैली से जुड़े हुए कारक आंतों के बैक्टीरिया को नुकसान पहुंचा सकते हैं.
वैकल्पिक रूप से, एक स्वस्थ जीवनशैली जीना जिसमें नियमित शारीरिक गतिविधि,
कम तनाव और कई तरह के पूरे आहार हों, स्वस्थ गट फ्लोरा सुनिश्चित करने का सबसे अच्छा तरीका है.
खमीरयुक्त खाद्य पदार्थ और प्रोबियोटिक (probiotic) पूरक भी मदद कर सकते हैं.
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