IBS उपचार में खानपान नियम

IBS उपचार में खानपान नियम – जानिये, स्वस्थ रहिये

हर रोग के उपचार में जितनी औषधियाँ जरूरी होती हैं उतना ही खानपान और परहेज़ भी जरूरी होता है।

यही नियम IBS संग्रहणी के इलाज के लिए भी लागू होता है।

IBS उपचार की दवाइयां आपको अवश्य ठीक कर देंगी। 

लेकिन यदि आप खानपान के नियमों, दिनचर्या और विधियों का पालन करेंगे तो निश्चित ही आप आजीवन स्वस्थ रहेंगे।

यहाँ बताये  गये सुझाव, विधि और विधान से लाखों ने लाभ पाया है।

 इनमें से कुछ सुझाव आपको अटपटे लग सकते हैं क्योंकि आजकल सोशल मीडिया पर भांति भांति के दुष्प्रचार के कारण कई भ्रांतियाँ पैदा हो गई हैं, जिनका न कोई वैज्ञानिक आधार है न ही आयुर्वेद सम्मत।

लेकिन आप इन सबका पालन अवश्य करें, और लाभ का स्वयं अवलोकन करें।

यदि कोई सुझाव आप पर काम नहीं करता है, तो उसे कुछ दिन अपनाने के बाद छोड़ सकते हैं। 

IBS संग्रहणी विशेष

इस रोग में एक जैसे लक्षण होते हुए भी हर व्यक्ति का पाचन तंत्र अलग अलग व्यवहार करता है। 

यह इसलिए होता है क्योंकि हमारे पेट में बैक्टीरीया की लाखों करोड़ों प्रजातियाँ होती हैं।

जब उनकी प्रजातियों या संख्या में असंतुलन पैदा होता है तो हमें भोजन पचाने में दिक्कत होती है और IBS जैसे रोग घेर लेते हैं।

इसी प्रकार कई प्रकार के एन्ज़ाइम्स  भी हमारे आहार को तोड़ कर उसे पचाने का काम करते हैं।

जैसे दूध को पचाने के लिये Lactase नामक एन्ज़ाइम की जरूरत होती है और घी तेल पचाने के लिये Lipase एन्ज़ाइम की।

जिस व्यक्ति में इनकी कमी होगी उसे दूध और चिकनाई पचाने में कष्ट होगा।

IBS रोग में बैक्टीरीया और एन्ज़ाइम्स का असंतुलन हर व्यक्ति में अलग अलग होता है, जिस कारण हर व्यक्ति के पाचन तंत्र का व्यवहार भी दूसरों  से अलग हो सकता है। 

इसलिये, क्या खायें और क्या नहीं खायें से ही काम नहीं चलता।

खानपान के तरीके और नियम भी IBS उपचार में अवश्य ही प्रभावी रहते हैं।

आपको बस इन्हें अपनी समस्यानुसार अपनाना है। 

आहार संबंधी सामान्य नियम

समय पर भोजन लेने का नियम बनाएं। यदि कभी दो घंटे या अधिक का विलंब हो जाये, तो मुख्य भोजन छोड़ दीजिए। केवल कुछ हल्का आहार ले सकते हैं।

धीमी गति से और खूब चबा कर भोजन करना चाहिये। 

खाना केवल पेट भरा होने तक या थोड़ा कम ही खाना चाहिये, अधिक कभी भी नहीं। 

प्रतिदिन कम से कम 8 कप या ग्लास तरल पदार्थ पीना हितकारी होता है। 

प्रतिदिन चाय और कॉफ़ी का सेवन 2 कप तक सीमित रखिये। 

शराब बियर और कार्बोनेटेड या मीठे पेय पदार्थों का सेवन कम करें। अधिक मात्रा में मीठा लेना भी हितकारी नहीं होता। 

लहसुन और प्याज़ और ऐसे किसी भी अन्य खाद्य पदार्थ से बचना चाहिये जो लगातार लक्षणों को ट्रिगर करते हों।

सप्ताह में एक या दो बार बिना अनाज का भोजन लें, यानि केवल दाल, सब्जी और दही इत्यादि। 

महीने या सप्ताह में एक दिन नाश्ता/प्रातराश (Breakfast) छोड़ देना चाहिये, सीधे दोपहर का भोजन लीजिये। इस अवधि में केवल तरल पदार्थ लेने चाहिये।

भूख से कम भोजन करें

ठीक होने तक भर पेट खाना न खाएं, और भूख से अधिक तो कभी भी नहीं खाएं (No over-eating)।

यदि तीन रोटी की भूख है तो अढाई रोटी ही खायें।

यह इसलिए क्योंकि इस रोग में पाचन शक्ति मंद रहती है।

भूख से  कम खाने पर पाचन तंत्र प्रभावी तरीके से काम करता है, और आपको अधिक ऊर्जा  मिलती है।

जैसे पौधों को अधिक खाद पानी देने से नुकसान पहुंचता है, वैसे ही अधिक खाने से हमारे साथ भी होता है।

हाँ, ठीक होने पर आप भरपेट भोजन खा सकते हैं।

भोजन को हल्का रखिये

कई लोग एक ही समय के भोजन में रोटी भी लेते हैं और चावल भी।

केवल एक अनाज ही लें।

या तो केवल चावल खाईये या फिर केवल रोटी। दोनों का इकट्ठा सेवन पाचन पर बोझ डाल देता है।

इसी प्रकार का नियम दाल, सब्जियों में भी अपनाएं।

यदि आप भांति भांति के व्यंजन एक साथ खाएंगे तो पचने में भी परेशानी होगी। 

अधिक व्यंजन बनाने में जिस प्रकार रसोई में अधिक समय लगता है, ठीक उसी प्रकार इन्हें पचाने में भी आमाशय, लिवर, अग्न्याशय (Pancreas) और आंतों को अधिक मेहनत करनी पड़ती है।

भांति भांति के व्यंजन पचाने के लिये आपके तंत्र को भांति भांति के एंजाइम बनाने पड़ते हैं.

और जब एंजाइम बनने में कमी रह जाएगी तो आपका भोजन भी सही से नहीं पचेगा।

ब्याह शादियों या अन्य दावतों में भी इस नियम का पालन करें।

सामान्य आहार

मानव आहार में मुख्यत: अनाज, दालें, सब्जियां, सलाद, फल, दुग्ध उत्पाद, मांसाहार और मेवे (Dryfruits) लिये जाते हैं।

इन्हें स्वादिष्ट बनाने के लिये नमक, चीनी, मिर्च मसाले लगते हैं।

घी तेल का उपयोग भी होता है। 

मात्रा के लिहाज से अनाज सबसे अधिक उपयोग होता है फिर उत्तरोत्तर दालों, सब्जियों, फलों, दूध के उत्पाद

अनाज

आपके लिये ज्वार, बाजरा, रागी, ओट, जौ, मक्का जैसे अनाज सर्वोत्तम हैं।

चावल भी सुपाच्य होते हैं। गेहूं हमारा मुख्य अनाज है। 

गेहूं

हमारा मुख्य अनाज होते हुए भी कईयों को गेहूं तकलीफ देता है।

इसे सुपाच्य बनाने के लिये दो आसान उपाय हैं।

आटे को खमीरीकृत करें

आटा गूँथने के बाद उसे सामान्य तापमान में कपड़े से ढक कर दो से चार घंटे तक रखें। जिससे कि यह खमीरीकृत (Fermented) हो जाये।

इस प्रकार से बनाई गई रोटी लाभकारी बैक्टीरीया युक्त हो कर सुपाच्य हो जाएगी।

ध्यान रहे कि खमीरीकरण अथवा किण्वन केवल सामान्य तापमान में ही हो सकता है, फ्रिज में रखकर नहीं। 

यदि आप रात कि बनाई रोटी को अगले दिन खाते हैं तो यह भी लाभकारी बैक्टीरीया युक्त हो जाती है। 

आपने देखा होगा कि ताजी रोटी रबर के समान खिंचती है जबकि पुरानी रोटी बड़े आराम से टूट जाती है।

यह इसलिए होता है क्योंकि रोटी में लाभकारी बैक्टीरीया उत्पन्न हो जाते है।

गेहूं को अच्छी तरह भूनकर सेवन करें

अनाजों को अच्छी तरह से भूनने पर इनकी चोकर (बीज के छिलके का तत्व ) का फाइबर सुपाच्य हो जाता है।

सभी प्रकार के बीजों के छिलके में phytates नामक विषतत्व होते हैं जो इनको पचाने में बाधक होते हैं।

कुछ में ये Phytates कम होते हैं तो कुछ में ज्यादा। 

जब आप इन्हें भून देते हैं तो इनकी चोकर के Phytates नष्ट हो कर सुपाच्य फाइबर में बदल जाते हैं।

इसलिए गेहूं की रोटी, दलिया को अच्छे से भून लिया करें।

आपने देखा होगा कि हर प्रकार के सत्तू सुपाच्य होते हैं, केवल इसलिए क्योंकि इन्हें पहले भून कर फिर आटा बनाया जाता है।

मैदा

आयुर्वेद में मैदा को सुपाच्य आहार माना गया है। 

लेकिन आजकल सोशल मीडिया ने मैदा को एक जहर की संज्ञा दे रखी है, जिससे एक भ्रम पैदा हो जाता है।

आपको ऐसे किसी वहम में पड़ने की जरूरत नहीं।

भारत, नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान को छोड़ कर सारी दुनिया मैदा का ही सेवन करती है।

जब उन सबको तो कुछ नहीं होता फिर अकेले भारतीयों के लिये ही क्यों हानिकारक होगा।

बहुत सारे लोगों को, जिन्हें गेहूं की रोटी नहीं पचती थी – मैं कुछ दिन के लिये नान, मैगी, ब्रेड इत्यादि खाने की सलाह देता हूँ।

सब के सब कहते हैं कि उन्हें मैदा खाने से लाभ ही मिलता है।

आप भी मैदा को ट्राइ करके स्वयं अवलोकन कर सकते हैं।

Chaval Bhat

दालें

लाभकारी अनाज जैसे चावल, बाजरा, ज्वार, मक्का का अधिक सेवन करें.

चोकरयुक्त गेहूं (Whole wheat) जौ, ओट्स का कम सेवन करें.

इन अनाजों के छिलके में पाए जाने वाले फाइबर में काफी अधिक phytates होते हैं जो पाचन में बाधा पहुंचा सकते हैं.

Phytates के कारण ही IBS रोग में आयरन, जिन्क, कैल्शियम और अन्य खनिजों की कमी आने लगती है.

आपके लिए मसूर, अरहर अथवा तुअर दाल सर्वोत्तम हैं;

बटला (छोटा मटर), मूंग, चना दाल मध्यम लाभकारी रहती हैं.

लेकिन रोग ठीक होने तक उड़द दाल, लोबिया, राजमाह का सेवन न करें या फिर उनका उपयोग पकाने के 24 घंटे बाद करें जिससे कि इनके FODMAPs कम हो जाएँ.

सब्जियां

सब्जियों में भिन्डी, करेला, लौकी, टिंडा, परवल, ड्रमस्टिक, बैंगन इत्यादि लाभकारी हैं.

पत्तागोभी, गोभी, अरबी, इत्यादि से बचें या कम खायें क्योकि इनमें अधिक FODMAPs होते हैं.

ऐसी सब्ज़ियों से भी बचें जिनमें अधिक पेस्टिसाइड उपयोग किये जाते हैं.

दही या मठा का उपयोग

मसाले मिर्च

मसालों में जीरा, काली मिर्च, अदरक, धनिया के बीज, धनिया की पत्तियां, लचीनी, सौंफ, मेथी, जावित्री, लोंग, जायफल, अजवायन इत्यादि सभी;

आपके लिए लाभकारी हैं.

केवल लाल और हरी मिर्च से बचें या कम खाएं.

लाल और हरी मिर्च को छोड़कर सभी प्रकार के मसाले आपके लिए लाभकारी हैं.

कितनी बार खाना चाहिए

रोग ठीक होने तक रोज़ाना केवल दो या तीन बार ही आहार लें.

प्रातराश (Breakfast), दोपहर का भोजन (lunch) और रात्रि का भोजन (Dinner),

दो आहारों के बीच कम से कम चार घंटे का अंतराल रखें.

बार बार के खाने से बचें.

दो आहारों के अंतराल में स्नैक्स (snacks) जैसे बिस्कुट, नमकीन इत्यादि से भी बचें.

खाने के समय का अनुशासन कड़ाई से पालें.

यह नहीं होना चाहिये कि किसी दिन नाश्ता 8 बजे किया और कभी सुबह 10 बजे.

खाने के दैनिक समय में 15 मिनट से आधे घंटे से अधिक हेरफेर नहीं होना चाहिये.

8/16 नियम

आठ घंटे के भीतर दो भोजन करना और 16 घंटे का आराम देने को 8/16 के नियम (8/16 fasting ) से जाना जाता है.

जब आप दोपहर बारह से एक बजे के बीच और रात को 8 से 9 बजे तक दो भरपेट भोजन लेते हैं

और 16 घंटे के लिए अपने पाचन तंत्र को आराम देते हैं तो चमत्कारिक लाभ मिलते हैं.

कोशिश कीजिये कि सप्ताह में कम से कम दो दिन आप इस नियम को ज़रूर पालें.

आपको इन दो दिनों में केवल अपना सुबह का नाश्ता नहीं लेना है.

केवल दोपहर और रात के भोजन ही लेने हैं.

सुबह से दोपहर तक जब भी आपको भूख का आभास हो तो पानी या नीम्बू पानी पी लिया करें.

यह पेट के तंत्र को मज़बूत भी करेगा और आराम भी देगा.

लेकिन यह नियम तभी पालें जब आपको केवल IBS की शिकायत हो.

यदि IBS के साथ एसिड सम्बन्धी कोई रोग हों जैसे कि gastritis, GERD, पेप्टिक अलसर, एसिडिटी इत्यादि;

तो आपको तीन या चार बार हलके सुपाच्य आहार लेने चाहिए.

आंत्रशोथ (Ulcerative colitis) में भी तीन या चार हलके आहार लेना  लाभकारी रहता है.

इस 16 घंटे की उपवास अवधि में पानी, बिना दूध की चाय या नीम्बू पानी ले सकते हैं.

एक आहारीय उपवास

हो सके, तो उपचार अवधि में कभी कभार दिन भर में केवल एक ही भोजन ही लें, रात के समय.

इसे एक आहारीय उपवास कहा जाता है.

इसे आप माह में एक या दो दिन भी करेंगे तो लाभ मिलेगा.

बिना गेहूं का आहार

आजकल की गेहूं उन्नत किस्में भी  कुछेक के पाचन में बाधा पहुंचती है.

क्या आपको गेहूं सही से हजम हो जाते हैं; इसे जानने का एक आसान उपाय है.

लगातार तीन से पांच दिन तक केवल दाल, सब्ज़ी और दही का ही सेवन करें.

यदि आपको लाभ अनुभव हो तो पेट के पूरी तरह ठीक होने तक गेहूं का उपयोग बंद कर दें.

आपको बहुत जल्द लाभ मिलेगा.

यदि आपको गेहूं तंग न भी करते हैं, तो भी सप्ताह में एक या दो दिन केवल सब्जियां, दाल और फल का ही सेवन करना चाहिए.

आराम से भोजन करें

भोजन को हमेशा धीरे धीरे खाएं; जल्दबाज़ी कभी न करें.

मुहं की लार में salivary amylase नामक एंजाइम होता है जो कष्टकारी स्टार्च को maltose में बदल देता है.

मन लगा कर, ध्यानपूर्वक, पूरे आराम से भोजन  करने की आदत डालिये.

भोजन के हर कौर को आनंद पूर्वक इतना चबाइये, कि ये निगलने की बजाये पानी की तरह गटकने योग्य हो जाये.

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इसीलिए कहा जाता है कि भोजन को 32 बार चबाना चाहिये;

हालाँकि आपको गिनती करने और इस वहम में पड़ने की कोई ज़रूरत नहीं.

सूखी रोटी को तो 32 बार चबाया जा सकता है लेकिन चावल दाल को नहीं.

सीधे सीधे ध्यान रखिये कि आप भोजन को इतना चबायें कि यह एकसार होकर निगलने की बजाये पीने योग्य बन जाये.

FODMAPs

IBS रोग में उच्च FODMAPs आहारों से ज़रूर बचना चाहिये.

जिन आहारों में FODMAPs की मात्रा अधिक हो उनसे बचना चाहिए.

या फिर इनके fodmap कम करने के बाद ही खायें.

FODMAPs पर अधिक जानकारी इस लिंक पर देखिये.

FODMAPs और इनके पाचन तंत्र पर प्रभाव

सलाद, सब्जियां

यदि आपको ताज़े सलाद पच जाते हैं तो लीजिये, अन्यथा इनका उपयोग बिलकुल बंद कर दें.

कच्चा प्याज़ भी नहीं खाएं.

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यदि सलाद लेना ही हो तो दो या तीन दिन पहले से सिरका मिला कर बनाया गया सलाद ही लें.

सिरका मिले दो या तीन दिन पुराने सलाद के FODMAPs विघटित हो जाते हैं और सलाद में प्रचुर एंजाइम्स भी तैयार हो जाते हैं

जो आपको काफी राहत देंगे.

सब्जी दाल इत्यादि में सेव के सिरके (apple cider vinegar) का नियमित उपयोग करें.

फलों का उपभोग

फलों में केला, अनार, जामुन, संतरा, मौसमी, कीनू, चीकू, पपीता, अमरुद इत्यादि आपके लिए लाभकारी हैं.

लेकिन खुमानी, पल्म, खरबूजा, तरबूज़, इत्यादि high FODMAP फलों से ज़रूर बचें.

कोशिश करें कि फलों को भोजन के अंत में ही लिया करें.

अकेले कभी नहीं.

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याद रखिये, रोग ठीक होने तक आपको केवल दो या तीन आहार ही लेने हैं,

इसलिए फलों का समावेश भी मुख्य भोजन के अंत में ही करना ठीक रहता है.

खाने पीने का नियम 

गर्मागरम भोजन से बचें.

भोजन का तापमान सामान्य या सामान्य से कुछ अधिक (कुनकुना) ही होना चाहिए.

चाय कॉफ़ी या अन्य गर्म पेय भी थोडा तापमान कम होने पर ही लें.

कोई भी पेय जैसे दूध, लस्सी, सूप, जूस इत्यादि एकदम से न गटककर घूंट घूंट कर पियें.

मुंह की लार (saliva) का पेय में मिलना लाभकारी रहता है.

इसी प्रकार, चपाती, सब्ज़ी दाल इत्यादि के कौर भी इतनी देर ज़रूर मुहं में चबाएं या घुमाएँ कि मुहं की लार इन्हें एकसार कर तरल कर दे और आप इनके कौर को निगलने की बजाये गटक जाएँ.

सूखे आहार के लिए निगलने शब्द का उपयोग होता है जबकि तरल आहारों के लिए गटकने शब्द का उपयोग होता है.

अंग्रेजी में एक कहावत भी है; Drink the solids, eat the liquids.

मतलब एक ही है कि कभी भी भोजन को बिना पर्याप्त लार मिलाये निगलना या गटकना नहीं चाहिये.

खाते समय शांत चित्त हो कर पूरा ध्यान भोजन में ही रखें, टीवी, मोबाइल इत्यादि से दूर रहें.

खमीरीकृत आहार

रोटी बनाने से पहले गूंधे आटे को कुछ घंटे तक खमिरिकृत कर लिया जाये अथवा फुला लिया जाये तो इसकी रोटियां सुपाच्य हो जाती हैं.

यदि आप रात को बनायीं रोटी का उपयोग अगले दिन करेंगे (12 से 24 घंटे बाद) तो भी इसमें खमीर उत्पन्न हो जाता है

जिससे आपको लाभ मिलेगा.

दक्षिण भारत में दही चावल को रात में मिला कर रख देते हैं और फिर अगले दिन इसे दल सब्जी, सांभर मिला कर खाते हैं.

इस प्रकार के दही चावल बिलकुल हलके हो जाते हैं और आपको इन्हें खाने के बाद कभी भी पेट में भारीपन महसूस नहीं होता है.

खमीरिकृत आहारों (Fermented foods) जैसे इडली, डोसा, ढोकला, खमीरी कुलचा,

किमची (Kimchi), सौअरक्रौउट(sauerkraut) केफ़िर (Kefir) इत्यादि का नियमित सेवन करें.

मिठाइयों में भी केवल खमीरयुक्त पकवान जैसे रसगुल्ला, छेना, जलेबी, रसमलाई, केक का बहुत थोडा उपयोग करें.

बर्फी, काजूकतली, मिल्ककेक जैसी मिठाईयां पाचन तंत्र पर भारी रहती हैं.

इनसे बचें.

खमीरयुक्त आहार को प्राथमिकता दीजिये, जिससे हमें प्रचुर मात्रा में लाभकारी बैक्टीरिया मिल जाते हैं.

साथ ही FODMAPs भी विघटित हो जाते हैं, और खाना सुपाच्य हो जाता है.

सारशब्द

बार बार, हर छोटे अंतराल में भोजन नहीं करना चाहिये.

गरमा गर्म आहार और पेय IBS में नुक्सान पहुंचाते हैं.

हमेशा आराम से, शांत चित्त होकर ही भोजन करना चाहिये.

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