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पेट की खराबी – जानिये क्या हैं शोध प्रमाणित 12 आसान उपाय

हम सभी को यदा कदा, पेट की खराबी के विकारों जैसे अपच, गैस, दिल की धड़कन, मतली, कब्ज या दस्त जैसे लक्षणों को को झेलना पड़ता है.

लेकिन जब ये लक्षण बार बार उत्पन्न होने लगते हैं तो ये जीवन में बहुत सी रुकावटें भी पैदा कर देते हैं.

खुशकिस्मती से, आप खान पान एवं रहन सहन में कुछ  बदलाव कर पेट में काफी सकारात्मक प्रभाव ला सकते हैं.

जानिये क्या हैं पाचन में सुधार करने के 12 प्राकृतिक तरीके

1. भरपूर रेशेदार तत्व खाइये

सब जानते हैं कि फाइबर अच्छे  पाचन के लिए फायदेमंद होता है.

घुलनशील फाइबर पानी को अवशोषित करता है और मल को भारी बनाने में मदद करता है.

अघुलनशील फाइबर एक बड़े टूथब्रश की तरह कार्य करता है जो आपके पाचन तंत्र में आहार को धकेलने  में मदद करता है(1).

घुलनशील फाइबर फलियों, मेवागिरियों और बीजों में पाया जाता है

जबकि सब्जियां, और गेहूं जैसे अनाज अघुलनशील फाइबर के अच्छे स्रोत होते हैं.

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एक उच्च फाइबर तृप्त आहार पाचन सम्बंधित बीमारियों के कम करने में सहायक माना जाता है

जिसमें अल्सर, GERD, बवासीर, डायवेर्टीक्युलाइटिस और आईबीएस शामिल हैं(2).

प्रीबायोटिक्स एक अन्य प्रकार का फाइबर होता है जो आपके आंत के अच्छे बैक्टीरिया को भोजन प्रदान करता है.

इससे (Prebiotics) संतृप्त आहार आंत की सूजन को कम करने के लिए जाने जा चुके हैं (3).

प्रीबायोटिक्स कई फलों, सब्जियों और अनाज में पाए जाते हैं.

निष्कर्ष

एक उच्च फाइबर आहार आंत के नियमित संचालन को बढ़ावा देता है और कई पाचनविकारों के खिलाफ सुरक्षा प्रदान कर सकता है.

तीन सामान्य प्रकार के फाइबर घुलनशील, अघुलनशील एवं प्रोबियोटिक के नाम से जाने जाते हैं.

2. प्राकृतिक भोजन खाइये

शहरों में  खाये जाने वाले आहारों जैसे ब्रेड, रिफाइंड तेल, सफ़ेद चीनी,

जिनमें परिष्कृत कार्बोस, संतृप्त वसा और additives उच्च मात्रा में पाए जाते हैं;

को बढ़ते हुए पेट की खराबी  के लिए उत्तरदायी जाना गया है(4).

Additives को, जिनमें ग्लूकोज, नमक और अन्य रसायन सम्मिलित हैं, आंत की सूजन (IBD) के लिए जिम्मेदार पाया गया है

जो आँतों के स्राव ((leaky gut) का मुख्य कारण होता है (5).

बहुत सारे खाद्य पदार्थों, जैसे पिज़्ज़ा, बर्गर, बाजारू नमकीन और मिठाईयों  में ट्रांस वसा (Trans fats) पाई जाती है.

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ये ह्रदय के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभावों के लिए बखूबी जाने जाते हैं.

अब इन्हें अल्सरेटिव कोलाइटिस के बढ़ते जोखिम के लिए भी उत्तरदायी माना गया है, जो कि एक आँतों की सूजन का रोग  है (6).

यही नहीं, कम कैलोरी पेय और आइस क्रीम जैसे संसाधित खाद्य पदार्थों में अक्सर कृत्रिम मिठास होती है,

जो पाचन समस्याओं का कारण बन सकती है.

कृत्रिम मिठास

एक अध्ययन में पाया गया कि 50 ग्राम कृत्रिम स्वीटनर xylitol खाने से 70% लोगों में अफारा और दस्त हो गया,

और एरिथ्रिटोल स्वीटनर की 75 ग्राम  मात्रा ने भी 60% लोगों में समान लक्षण पैदा किए (7).

अध्ययनों से यह प्रमाणित हुआ है कि कृत्रिम मिठास और चीनी से बनी शराब आंत के स्वस्थ बैक्टीरिया की संख्या को कम करते हैं

और हानिकारक आंत बैक्टीरिया की संख्या में वृद्धि करते हैं (458).

पेट के बैक्टीरिया के असंतुलन को आईबीएस संग्रहणी (IBS) और

पेट की सूजन के रोग जैसे अल्सरेटिव कोलाइटिस और क्रोहन रोग (Crohn’s disease) से जुड़ा पाया गया है(9).

सौभाग्य से, वैज्ञानिक साक्ष्य बताते हैं कि उच्च पोषक तत्वों वाले आहार पाचन रोगों के खिलाफ सुरक्षा करते हैं (10).

इसलिए, संपूर्ण खाद्य पदार्थों (Whole foods) को खाना

और संसाधित खाद्य पदार्थों  के सेवन को सीमित करना पाचन के लिए सबसे अच्छा हो सकता है.

निष्कर्ष

अधिक मात्रा में प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का सेवन पाचन विकारों के बढ़ते जोखिम से जुड़ा माना गया है.

ऐसे आहार खाने से जिन में खाद्ययोजक, ट्रांसवसा और कृत्रिम मिठास कम हो, आपके पाचन में सुधार हो सकता है

और पाचन रोगों के खिलाफ सुरक्षा हो सकती है.

3. पर्याप्त वसा खाईये

अच्छी पाचन के लिए पर्याप्त वसा खाने की आवश्यकता होती है.

वसा आपको भोजन के बाद संतुष्ट महसूस करने में मदद करती है

और अक्सर पोषक तत्वों के उचित अवशोषण के लिए आवश्यक भी होती है.

यह आपके पाचन तंत्र में भोजन को आसानी से आगे भी धकेलती रहती है।

यह जानना भी दिलचस्प होगा कि अधिक वसा कब्ज से छुटकारा पाने में सहायक पाई गई है(1112).

यदि आप लगातार कब्ज महसूस करते हैं,

तो अपने आहार में अधिक वसा जैसे देसी घी या सरसों, तिल, नारियल, मूंगफली के तेल लेने से आपको काफी राहत मिल सकती है

इसके अतिरिक्त, अध्ययनों से पता चला है कि ओमेगा -3 फैटी एसिड अल्सरेटिव कोलाइटिस जैसे आंत सूजन रोगों के बढ़ने के आपके जोखिम को कम कर सकता है(313).

स्वास्थ्यवर्धक ओमेगा -3 फैटी एसिड की उच्च मात्रा पाने के लिए खाद्य पदार्थों में

अलसी के बीज, चिया के बीज, मेवागिरी (विशेष रूप से अखरोट), साथ ही वसायुक्त मछली की कई प्रजातियाँ शामिल हैं,

जिन्हें लेकर बेहतरीन स्वास्थ्य लाभ पाये जा सकते हैं. (1415).

पढ़िये कब्ज़ (Constipation) ठीक करने के तरीके.

निष्कर्ष

वसा भोजन को आपके पाचन तंत्र में निर्विघ्नता से चलाती रहती है.

इसके अतिरिक्त, ओमेगा -3 फैटी एसिड सूजन को कम करता है जो आंत की सूजन जैसे भयंकर रोगों को रोक सकता है.

4. तरलता बनाये रखिये (Stay Hydrated)

तरल पदार्थों का कम सेवन कब्ज का एक आम कारण होता है.

विशेषज्ञ कब्ज को रोकने के लिए प्रति दिन गैर-कैफीनयुक्त तरल पदार्थों के 1.5 – 2 लीटर पीने की सलाह देते हैं.

हालांकि, यदि आप गर्म वातावरण में रहते हैं या कठोर परिश्रम या व्यायाम करते हैं

तो आपको और भी अधिक आवश्यकता हो सकती है (17).

पानी के अतिरिक्त, आप हर्बल चाय और अन्य गैर-कैफीनयुक्त पेय पदार्थ जैसे

नीम्बू पानी या जूस के साथ भी अपनी तरलता को पूरा बनाये रख सकते हैं.

साथ ही, सावधान रहें कि भोजन के साथ ज्यादा पानी न पीएं क्योंकि यह आपके पेट के प्राकृतिक एसिड को पतला कर सकता है.

भोजन के साथ जल के छोटे घूँट लेना ठीक है, लेकिन भोजन से पहले बड़ी मात्रा में जल ना पिएं.

हाँ, भोजन के अंत में पानी ज़रूर पीना चाहिए.

आपके द्रवसेवन की जरूरतों को पूरा करने का एक और तरीका है.

वह है फल और सब्ज़ियां अपनाने का जिनमें पानी की मात्रा में उच्च होती हैं जैसे ककड़ी, टमाटर, खरबूजे, तरबूज, अंगूर और आड़ू इत्यादि (1819).

पढ़िये क्या हैं पानी पीने के आयुर्वेदीय निर्देश

निष्कर्ष

अपर्याप्त तरल पदार्थ का सेवन कब्ज का एक आम कारण है.

गैर-कैफीनयुक्त पेय पदार्थों को पीने की बजाये उच्च जल सामग्री वाले फलों और सब्जियों को खाकर शरीर में पानी के स्तरों को बनाये रखें.

5. तनाव नियंत्रित करें (Manage Stress)

तनाव आपके पाचन तंत्र पर कहर बरपा सकता है.

इसे पेट के अल्सर, दस्त, कब्ज और आईबीएस से जुड़ा हुआ पाया गया है (20212223).

तनाव के हार्मोन आपके पाचन को सीधे प्रभावित करते हैं.

जब आपका शरीर लड़ाई के दौर से गुज़र रहा होता है, तो वह यह सोचता है कि आपके पास आराम करने और पचाने का समय नहीं है.

जिस कारण, तनाव की अवधि में पाचन तंत्र से रक्त और ऊर्जा संचार हट जाते हैं.

इसके अतिरिक्त, आपकी आंत और मस्तिष्क जटिल रूप से जुड़े हुए हैं

जो आपके मस्तिष्क को प्रभावित करता है, वह आपके पाचन को भी प्रभावित कर सकता है(222425).

तनाव प्रबंधन, ध्यान और विश्राम करने का प्रशिक्षण; सभी को आईबीएस संग्रहणी के लक्षणों में सुधार के लिए प्रभावी पाया गया है(26).

अन्य अध्ययनों से पता चला है कि संज्ञानात्मक व्यवहार चिकित्सा cognitive behavioral therapy,

एक्यूपंक्चर acupuncture और योग yoga सभी पाचन लक्षणों में सुधार करते हैं (27).

इसलिए, तनाव प्रबंधन तकनीक जैसे पेट से गहरे सांस लेने,

ध्यान या योग से ना केवल आपकी मानसिकता बल्कि आपके पाचन में भी सुधार हो सकता है.

6. ध्यानपूर्वक भोजन करिये (Eat Mindfully)

ध्यान न देने पर हम बहुत ज्यादा खाना बहुत जल्दी खा जाते हैं जिससे सूजन, गैस और अपच हो सकता है.

ध्यान से भोजन करना आपके भोजन के सभी पहलुओं और खाने की प्रक्रिया पर ध्यान देने का अभ्यास है(28).

अध्ययनों से पता चला है कि ध्यानपूर्वक खाना खाने से अल्सरेटिव कोलाइटिस और संग्रहणी आईबीएस वाले लोगों में पाचन के नकारात्मक लक्षण कम हो सकते हैं(29).

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ध्यान से खाने के लिए:

1 धीमे खाएं.

2 टीवी बंद करके एवं अपना फ़ोन हटाकर अपने खाने पे ध्यान केंद्रित करें.

3 ध्यान दें कि आपका भोजन आपकी प्लेट पर कैसा दिखता है और उसकी सुगंधा कैसी है.

4 भोजन के प्रत्येक कौर को प्रेमपूर्वक और आनंदित हो चयन करें.

5 अपने भोजन की बनावट, तापमान और स्वाद पर ध्यान दें

6 ध्यान करें प्रकृति और ईश्वर का जो आपको हर ऋतू में नए नए व्यंजन प्रदान कराते है.

निष्कर्ष

धीरे-धीरे, ध्यान से भोजन करना और अपने भोजन के हर पहलू पर ध्यान देना, जैसे बनावट, तापमान और स्वाद,

सामान्य पाचन समस्याओं जैसे अपचन, सूजन और गैस को रोकने में मदद कर सकता है.     

7. भोजन को भरपूर चबायिये

पाचन आपके मुंह से शुरू होता है.

आपके दांत भोजन को छोटे टुकड़ों में तोड़ देते हैं ताकि पाचन तंत्र के एंजाइम इसे और अच्छे से तोड़ने में सक्षम हों पायें.

पोषक तत्वों के अवशोषण में कमी का एक बड़ा कारण कम चबाने से जुड़ा भी पाया गया है (30).

जब आप अपने भोजन को अच्छी तरह से चबाते हैं

तो इसे आपके अमाशय को तरल मिश्रण में बदलने के लिए कम काम करना पड़ता है जब इसे छोटी आंत में प्रवेश करना होता है.

चबाने से लार पैदा होती है, और जितना अधिक आप चबाते हैं, उतनी अधिक लार बनती जाती है.

लार ही आपके भोजन में कुछ कार्बोहाइड्रेट्स और वसाओं को तोड़कर मुंह में पाचन प्रक्रिया शुरू करने में मदद करती है.

आपके अमाशय में भी लार एक द्रव के रूप में कार्य करता है जिससे ठोस भोजन आसानी से आपकी आंतों से गुजर सके.

भोजन को पूरा चबाने से यह सुनिश्चित होता है कि आपके पास पाचन के लिए बहुत लार है.

साथ ही यह अपच और दिल की धड़कन जैसे लक्षणों को रोकने में मदद कर सकती है.

और तो और, चबाने का कार्य तनाव को कम करने के लिए भी जाना गया है जो पाचन में सकारात्मक सुधार कर सकता है (31).

निष्कर्ष

चबाने से भोजन पूरी तरह टूट जाता है जिससे इसे अधिक आसानी से पचाया जा सके.

इस कार्य से लार का उत्पादन भी होता है, जो आपके पेट में भोजन के उचित मिश्रण के लिए आवश्यक होती है.

8. व्यायाम और सैर सपाटा कीजिये

नियमित व्यायाम आपके पाचन में सुधार करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक है.

व्यायाम और गुरुत्वाकर्षण आपके पाचन तंत्र के अंदर भोजन की यात्रा सुगम बनाते हैं.

इसलिए, भोजन के बाद पैदल चलने से आहार को आगे बढ़ाने में आपके शरीर को सहायता मिल सकती है.

नियमित व्यायाम आपके पाचन के लिए भी फायदेमंद हो सकता है.

स्वस्थ लोगों में एक अध्ययन से पता चला है कि साइकल चलाने और जॉगिंग जैसे मध्यम अभ्यास से

भोजन के आंत से गुजरने के समय में लगभग 30% तक की प्रेरकता बढ़ जाती है (32).

पुरानी कब्ज वाले लोगों के एक और अध्ययन में, 30 मिनट चलने के दैनिक अभ्यास के नियमों से काफी सुधार के लक्षण मिले हैं(33).

अध्ययनों से यह भी पता चलता है कि व्यायाम सूजन विरोधी प्रभावों के कारण आये आंत सूजन रोगों के लक्षणों को कम कर सकता है,

जैसे कि शरीर में सूजन कारकों को कम करना (3435).

निष्कर्ष

व्यायाम आपके पाचन में सुधार कर सकता है और कब्ज के लक्षणों को कम कर सकता है.

यह सूजन को कम करने में भी मदद कर सकता है, जो आंत सूजन की स्थिति को रोकने में फायदेमंद हो सकता है.

9. अमाशय के तेजाब को संतुलित रखिये

पाचन के लिए उदर एसिड आवश्यक होता है.

पर्याप्त एसिड के बिना आप मतली, एसिड प्रवाह, दिल की धड़कन या अपच के लक्षणों का अनुभव कर सकते हैं.

अमाशय के एसिड के कम स्तर ओवर-द-काउंटर या डॉक्टर के पर्चे पर आधारित एसिड कम करने वाली दवाओं के अत्यधिक उपयोग के कारण हो सकते हैं(36).

अन्य कारण हो सकते हैं – तनाव, बहुत जल्दी खाना, उम्र बढ़ना और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों से संतृप्त आहार.

सेब का सिरका आपके उदर एसिड को बढ़ाने का एक आसान तरीका है.

हालांकि, सीधे सिरका पीना आपके पाचन तंत्र पर कठोर हो सकता है,

इसलिए एक छोटे से गिलास पानी में आधा एक चम्मच (5-10 मिलीलीटर) सिरका मिला करके भोजन से पहले पीना सबसे अच्छा है.

वैकल्पिक रूप से, एक अध्ययन से पता चला कि सेब का सिरका युक्त गम चबाने से भोजन के बाद दिल की धड़कन के लक्षण कम हो जाते हैं(37).

निष्कर्ष

कम उदर एसिडअनियमित पाचन के लक्षण जैसे मतली, दिल की धड़कन, अपच और एसिड प्रवाह का कारण बन सकता है.

भोजन से आधा घंटा पहले एक गिलास पानी में सेब का सिरका (5-10 मिलीलीटर) पीने से आपके पेट में एसिड बढ़ाने में मदद मिल सकती है.

10. पेट की खराबी में शरीर की सुनिये

यदि भूख एवं पूर्णता संकेतों पर ध्यान ना दिया जाये तो अधिक मात्रा में भोजन करना,

गैस सूजन और अपच का अनुभव करना अधिक संभावित होता है.

आम जानी धारणा है कि आपके दिमाग को महसूस करने में 20 मिनट लगते हैं कि आपका पेट भरा हुआ है या नहीं.

हालांकि इस दावे का समर्थन करने के लिए बहुत पुख्ता शोध उपलब्ध नहीं है,

लेकिन आपके दिमाग तक सन्देश ले जाने वाले हॉर्मोन के लिए समय लगता है, कि वह बता पाये कि पेट पूरा भर चुका है(38).

इसलिए धीरे-धीरे खाने के लिए समय लेना और आपकी क्षुधा कितनी शांत हो रही है, इस पर ध्यान देना

आम पाचन समस्याओं को रोकने का एक सही और कारगर तरीका है.

साथ ही, भावनात्मक तरीके से  किया हुआ भोजन आपके पाचन को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है.

एक अध्ययन में पाया गया कि जब लोग चिंतित हो खाना खाते थे तो वे बदहजमी और सूजन के उच्च स्तर का अनुभव करते थे(39).

भोजन से पहले विश्राम करना आपके पाचन लक्षणों में सुधार कर सकता है.

निष्कर्ष

जब आप उद्विग्न या चिंतित हों तब अपनी भूख और क्षुधा शांत होने के संकेतों पर ध्यान नहीं देने से खाने पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.

विश्राम करने और अपने शरीर के संकेतों पर ध्यान देने से भोजन के बाद नकारात्मक पाचन लक्षणों को कम करने में आपको मदद मिल सकती है.

11. बुरी आदतें छोड़िये

आप जानते हैं कि बुरी आदतें जैसे धूम्रपान, बहुत अधिक शराब पीना और रात में देर से खाना आपके समग्र स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा नहीं है.

और, वास्तव में, ये आदतें कुछ आम पाचन मुद्दों के लिए भी जिम्मेदार भी होती हैं.

धूम्रपान 

धूम्रपान एसिड प्रवाह विकसित करने के जोखिम को लगभग दोगुना करता है(40).

इसके अलावा, अध्ययनों से पता चला है कि धूम्रपान छोड़ने से इन लक्षणों में सुधार होता है.

इस बुरी आदत को पेट के अल्सर, अल्सरेटिव कोलाइटिस और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर वाले लोगों में बढ़ी हुई सर्जरी से भी जोड़ा गया है(424344).

यदि आपकी पाचन समस्याएं हैं और आप धूम्रपान करते हैं तो ध्यान रखें कि सिगरेट छोड़ना फायदेमंद हो सकता है.

शराब

शराब पेट में एसिड उत्पादन बढ़ा सकती है और इससे दिल की धड़कन का अनियमित होना, एसिड प्रवाह और पेट का अल्सर हो सकता है.

अत्यधिक शराब का सेवन गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट में रक्तस्त्राव से जुड़ा हुआ माना जाता है(45).

शराब भी आंत सूजन रोग, छिद्रयुक्त आंत और आंत बैक्टीरिया में हानिकारक परिवर्तनों से जुड़ी हुई है(46).

शराब का सेवन कम करने से आपके पाचन में मदद मिल सकती है.

देर रात का भोजन

देर रात खाना खाने और फिर सोने के लिए लेट जाने से दिल की अनियमित धड़कन और बदहजमी हो सकती है.

पचाने के लिए आपके शरीर को समय चाहिए और गुरुत्वाकर्षण आपके द्वारा खाए जाने वाले भोजन को सही दिशा में रखने में मदद करता है.

इसके अतिरिक्त, जब आप लेट जाते हैं तो आपके पेट की तत्त्व ऊपर आ सकते हैं और इससेदिल की धड़कन अनियमित हो सकती है.

खाना खाने के बाद लेट जाना प्रवाह के नकारात्मक प्रभावों से बहुत जुड़ा हुआ है(47).

यदि आप सोने के समय पाचन संबंधी मुद्दों का अनुभव करते है

तो बिस्तर पर जाने से पहले अथवा खाने के तीन से चार घंटे प्रतीक्षा करें,

भोजन को अपने अमाशय से अपनी छोटी आंत में जाने के लिए समय दें.

निष्कर्ष

धूम्रपान जैसी बुरी आदतों, बहुत अधिक शराब पीना और देर रात खाने से पाचन संबंधी समस्याएं पैदा हो सकती हैं.

पाचन में सुधार करने के लिए, इन हानिकारक आदतों से बचने की कोशिश करें.

12. आंत-सहायक पोषक तत्व लीजिये

कुछ पोषक तत्व आपके पेट की खराबी को दुरुस्त करने में मदद कर सकते हैं.

प्रीबायोटिक्स

प्रीबायोटिक्स एक प्रकार का फाइबर होता है जो आपके आंत के अच्छे बैक्टीरिया को भोजन प्रदान करता है.

Prebiotics के सप्लीमेंट्स आंत की सूजन को कम करने के लिए जाने जा चुके हैं (3).

PBF भी एक एक ऐसा ही प्रीबायोटिक्स सप्लीमेंट है जिसे ले पेट के लाभकारी बैक्टीरिया को बढ़ने में सहायता मिलती है.

प्रोबायोटिक्स

प्रोबायोटिक्स बैक्टीरिया के फायदेमंद उपभेद हैं जो आपके आंत में स्वस्थ बैक्टीरिया की संख्या में वृद्धि करके पाचन को अच्छा बनाते हैं.

ये स्वस्थ बैक्टीरिया अस्थिर फाइबर को तोड़कर पाचन में सहायता करते हैं.

प्रोबायोटिक्स की कमी गैस और सूजन का कारण बन सकती है.

अध्ययनों से पता चला है कि प्रोबियोटिक आईबीएस वाले लोगों में सूजन, गैस और दर्द के लक्षणों में सुधार कर सकते हैं(48).

और तो और, वे कब्ज और दस्त के लक्षणों में भी सुधार कर सकते हैं(4950).

प्रोबायोटिक्स खामिरिकृत आहारों जैसे सायरक्राट, किमची और मिसो, साथ ही साथ दही में पाए जाते हैं जिनमें जीवित और सक्रिय संस्कृतियां होती हैं.

ये कैप्सूल में भी उपलब्ध मिलते हैं.

एक अच्छे सामान्य प्रोबियोटिक पूरक में लैक्टोबैसिलस और बिफिडोबैक्टेरियम सहित उपभेदों का मिश्रण होना चाहिए.

ग्लूटामाइन

 ग्लूटामाइन एक एमिनो एसिड है जो आंत के स्वास्थ्य की रक्षा करता है.

यह आंतों की पारगम्यता अथवा छिद्रयुक्त आंत (leaky gut) को कम करने के लिए जाना जाता है () (51). 

सोयाबीन, अंडे और बादाम जैसे खाद्य पदार्थ खाने से आप अपने ग्लूटामाइन के स्तर को बढ़ा सकते हैं(52).

ग्लूटामाइन को पूरक रूप में भी लिया जा सकता है,

लेकिन यह सुनिश्चित करने के लिए कि यह आपके लिए उचित उपचार रणनीति है,

अपने चिकित्सक से पहले बात अवश्य करें.

जिंक

जिंक एक खनिज है जो स्वस्थ आंत के लिए महत्वपूर्ण होता है और इसकी कमी से विभिन्न प्रकार के आँतों के विकार हो सकते हैं(53).

जिंकयुक्त पूरक आहार डायरिया, कोलाइटिस, छिद्रयुक्त आंत और अन्य पाचन पेट की खराबी के इलाज में फायदेमंद साबित हुआ है(53).

इसकी अनुशंसित दैनिक सेवन (आरडीआई) महिलाओं के लिए 8 मिलीग्राम और पुरुषों के लिए 11 मिलीग्राम है.

शेलफिश, सूरजमुखी, कद्दू के बीज और जीरा, सौंफ जिंक की उच्च मात्रा से युक्त भोजन माने जाते हैं(54).

निष्कर्ष

स्वस्थ पाचन तंत्र के लिए कुछ पोषक तत्व आवश्यक होते हैं.

यह सुनिश्चित कीजिये कि आपके शरीर को पर्याप्त prebiotics, प्रोबियोटिक, ग्लूटामाइन और जिंक मिलें जो पेट की खराबी में सुधार ला सकते हैं.

सारशब्द

यदि आप अनियमित पाचन लक्षणों का अनुभव करते हैं

तो सरल आहार और जीवनशैली में परिवर्तन पेट की खराबी में सुधार करने में मदद कर सकते हैं.

फाइबर, स्वस्थ वसा और पोषक तत्वों में उच्च भोजन को खाना अच्छी पाचन क्रिया की ओर पहला कदम होता है.

ध्यानपूर्वक खाना, तनाव में कमी और व्यायाम जैसी क्रियांएं भी फायदेमंद हो सकती हैं.

अंत में, बुरी आदतों को मिटाना जो आपके पाचन को प्रभावित कर सकता है जैसे धूम्रपान, बहुत अधिक शराब पीना और देर रात भोजन करना,

नकारात्मक लक्षणों से छुटकारा पाने में भी मदद कर सकता है.

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